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रूस- यूक्रेन युद्ध के बीच अफगानिस्तान के खदानों में लिथियम तलाश रहा चीन

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Published : Mar 5, 2022, 9:41 PM IST

Mineral Rich Afghanistan’s Extraction Sector
खनिज-समृद्ध अफगानिस्तान

अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान (Afghanistan Under Taliban Regime) के काबिज होते ही चीन ने अफगानिस्तान (China's Offer Afghanistan) में खनीजों के अकूत खजाने पर कब्जा करने के लिए अपनी चालें चलनी शुरू कर दी हैं. दरअसल, अफगानिस्तान में अकूत मात्रा में लोहा, तांबा, कोबाल्ट, सोना के अलावा औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण लिथियम और नाइओबियम के विशालकाय खनिज मौजूद है. ये ऐसे खनिज हैं, जो रातों रात किसी भी देश की तकदीर को हमेशा के लिए बदल सकते हैं. ईटीवी भारत के वरिष्ट संवाददाता संजीब कुमकर बरुआ की रिपोर्ट...

नई दिल्ली: भले ही दुनिया रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine Conflict) के घटनाक्रम नजर गड़ाए हो. चीन खनिज-समृद्ध अफगानिस्तान के खादानों (Mineral Rich Afghanistan’s Extraction Sector) में प्रवेश करने की गहन कोशिश कर रहा है. कम से कम 25 चीनी खनन फर्मों ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से खनिजों की निकासी के लिए काबुल, नंगरहार और लगमन प्रांतों में सत्तारूढ़ तालिबान शासन के अधिकारियों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं. SIGAR (अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए विशेष महानिरीक्षक) (Special Inspector General for Afghanistan Reconstruction) के एक हालिया ट्वीट में कहा गया है कि चीनी खनन कंपनियां अफगानिस्तान के लिथियम और तांबे के भंडार तक पहुंचने के अवसरों की तलाश कर रही हैं. चीनी खनन उद्योग के प्रतिनिधियों ने खनन अधिकारों और ऐसे खनिजों तक अनुसंधान पर चर्चा करने के लिए तालिबान के अधिकारियों से मुलाकात की.

  • (2/2)…Chinese mining companies have been scouting opportunities to access #Afghanistan’s lithium & copper deposits. Chinese mining industry representatives met with Taliban officials to discuss mining rights and research access to such mineralshttps://t.co/LuV5DzXzky

    — SIGAR (@SIGARHQ) February 27, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

SIGAR अफगानिस्तान पुनर्निर्माण प्रक्रिया पर अमेरिकी सरकार का प्रमुख निरीक्षण प्राधिकरण है. राज्य के स्वामित्व वाले मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पांच चीनी कंपनियों ने पहले ही अफगानिस्तान में प्रतिनिधियों और अधिकारियों को तैनात कर दिया है. 20 से अधिक अन्य चीनी सरकारी और निजी कंपनियों ने लिथियम के खनन में रुचि व्यक्त की है. दशकों से लगातार हो रही लड़ाई से कुचले हुए, अफगानिस्तान को धन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. तालिबान खनन सहित विभिन्न क्षेत्रों से धन जुटाने के तरीके और साधन पर विचार कर रहा है. एक अनुभवी राजनयिक मौलवी शहाबुद्दीन डेलावर को अफगानिस्तान के खनन क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के प्रयास का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया है.

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हाल ही में सिगार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद खनन क्षेत्र से दुर्लभ खनिजों, विशेष रूप से लिथियम, और तांबा को राजस्व का भंडार माना जा रहा है. तालिबान की 'तकनीकी विशेषज्ञता की कमी और वर्तमान वित्तीय तरलता का संकट' खनन में तेज गिरावट को जिम्मेदार माना जा रहा है. यहां तक ​​​​कि अग्रणी खनन कंपनियों का आकलन है कि अफगानिस्तान से खनिज निर्यात में साल-दर-साल 45% की गिरावट आई है. अफगानिस्तान में लिथियम के विशाल भंडार मौजूद हैं, जिनमें से कुछ का कुल मूल्य $ 1 ट्रिलियन से अधिक है. जो बोलीविया के भंडार को टक्कर देता है.

लैपटॉप और सेल फोन की बैटरी के साथ-साथ कांच और सिरेमिक उद्योग में इसके उपयोग के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरी बनाने में लिथियम काफी अहम है. लिथियम की कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया ईवी क्रांति के कगार पर है. विशेष रूप से, जबकि चीन के पास दुर्लभ खनीज का भंडार नहीं है, यह दुनिया की लिथियम-आयन बैटरी का लगभग दो-तिहाई उत्पादन करने वाली दुनिया की अधिकांश लिथियम-प्रसंस्करण सुविधाओं को नियंत्रित करता है. अक्सर यह कहा जाता है कि चीन अपने व्यपारिक लाभ के बजाय भू-राजनीतिक प्रभुत्व और पश्चिम के खिलाफ उपयोग के लिए के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दुर्लभ खनीजों पर निगाह रखता है.

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