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कोलंबो बंदरगाह के कंटेनर टर्मिनल का ठेका चीनी कंपनी को मिला

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Published : Nov 26, 2021, 10:46 PM IST

Updated : Nov 27, 2021, 1:44 AM IST

श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह के पूर्वी कंटेनर टर्मिनल के निर्माण का ठेका चीन की एक सरकारी कंपनी को दिया गया है.श्रीलंका की सरकार ने बुधवार को इस टर्मिनल के निर्माण का ठेका चीन की चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी को देने की घोषणा की. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

A Chinese company got the contract for the container manufacturing of Colombo port.
कोलंबो बंदरगाह के कंटेनर निर्माण का ठेका चीन की कंपनी को मिला.

नई दिल्ली : श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह के पूर्वी कंटेनर टर्मिनल के निर्माण का ठेका चीन की एक सरकारी कंपनी को दिया गया है.श्रीलंका की सरकार ने बुधवार को इस टर्मिनल के निर्माण का ठेका चीन की चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी को देने की घोषणा की.

मंत्रिमंडल के एक फैसले में चीनी कंपनी को कई चरणों में इस टर्मिनल के निर्माण का ठेका दिया गया. हालांकि श्रीलंका सरकार की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि इस अनुबंध का मूल्य कितना है. उसने चीन की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी को कई बोलीकर्ताओं के बीच विजयी घोषित किया.

चीन का अनुबंध प्राप्त करना रणनीतिक द्वीप राष्ट्र में उसके बढ़ते पदचिह्न का संकेत है. वहीं उनके आर्थिक द्विपक्षीय संबंधों के बाद निकटवर्ती सैन्य संबंध भी हैं, यही वजह है कि चीन द्वारा श्रीलंका को हाल ही में एक नौसैनिक युद्धपोत उपहार में दिए जाने के साथ ही प्रमुख सैन्य समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे. वहीं चीनी कंपनियों के पास दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा और कोलंबो बंदरगाह के टर्मिनल में हिस्सेदारी है.

वहीं कोलंबो से लगभग 200 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित हंबनटोटा बंदरगाह की लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी श्रीलंका सरकार द्वारा चीन मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स कंपनी को 99 साल के लिए 1.12 बिलियन डॉलर में पट्टे पर दी जा चुकी है. चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (CHEC) आकर्षक ईसीटी अनुबंध प्राप्त करने वाली कंपनी के अलावा चाइना कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी की सहायक कंपनी है. यह कंपनी पहले से ही श्रीलंका की कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम कर रही है.

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कोलंबो बंदरगाह के इस टर्मिनल के विकास का मुद्दा राजनीतिक विवाद का भी विषय रहा है. श्रीलंका इस कंटेनर डिपो के निर्माण को लेकर भारत एवं जापान के साथ हुई त्रिपक्षीय करार को कुछ महीने पहले ही निरस्त कर दिया था. हालांकि त्रिपक्षीय समझौते के तहत, जापान और भारत के निवेशकों की ईसीटी में 49 फीसदी हिस्सेदारी थी, जबकि राज्य के स्वामित्व वाली श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी ने 51 फीसदी को बरकरार रखा होगा. वहीं दूसरी तरफ त्रिपक्षीय सौदे का कोलंबो बंदरगाह ट्रेड यूनियनों ने विरोध किया था. इन संगठनों ने आरोप लगाया था कि यह श्रीलंका की संप्रभुता को प्रभावित करेगा.

वहीं अप्रैल 2021 में द्वीप राष्ट्र की संसद में पोर्ट सिटी बिल पेश किए जाने के बाद से बहस के बीच कोलंबो में सुप्रीम कोर्ट में लगभग 19 याचिकाएं दायर की गईं. हालांकि, चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी के साथ नया सौदा यह प्रदान करता है कि रणनीतिक बंदरगाह टर्मिनल श्रीलंका पोर्ट अथॉरिटी द्वारा पूरी तरह से संचालित होगा.

Last Updated : Nov 27, 2021, 1:44 AM IST
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