ETV Bharat / bharat

आसान नहीं तेजस्वी की राह, सामने हैं कई चुनौतियां

author img

By

Published : Nov 9, 2020, 6:10 AM IST

Updated : Nov 9, 2020, 1:27 PM IST

एग्जिट पोल ने महागठबंधन की बांछें खिला दी हैं. यदि इसी अनुरूप परिणाम निकले, तो तेजस्वी का मुख्यमंत्री बनना तय है. यह बिहार में एक नए युग की शुरुआत होगी. लालू और नीतीश की छाया से मुक्त राजनीति किस दिशा में बढ़ेगी, अभी इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. फिर भी, तेजस्वी के लिए राह आसान नहीं है, उनके सामने कई चुनौतियां हैं. एक नजर.

तेजस्वी
तेजस्वी

पटना : बिहार देश के पिछड़े राज्यों की सूची में शामिल है. इसके लिए कई लोगों को जिम्मेदार माना जाता है. तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव भी उसी लिस्ट के नाम हैं. तेजस्वी ने 2020 के लिए सियासत को जो रंग दिया है, उससे एक बात तो साफ है कि तेजस्वी नीतिगत निर्णय के समय अपने धैर्य को कठोर रखने से नहीं चूकते, लेकिन जिस आरजेडी को तेजस्वी बना रहे हैं अगर उसमें नीतिगत निर्णय को लेकर कोई कठोर चूक हुई, तो बिहार को पिछड़े पायदान पर रखे जाने की लिस्ट में एक और नाम जुड़ जाएगा. तेजस्वी के लिए बिहार की आगे की राजनीति हर कदम पर एक नई जंग की तरह है.

कठोर निर्णय से बनाई छवि- पोस्टर से हटवा दिया लालू का फोटो
2020 की सियासत में तेजस्वी यादव निर्णय लेने में कठोर छवि लेकर उभरे हैं. इस बात की चर्चा भी खूब रही कि तेजस्वी यादव पिता के वोट बैंक को ही बचा ले जाएं तो बहुत है. हालांकि तेजस्वी यादव ने राजनीति को दिशा देने के लिए रफ्तार पकड़ी तो राजनीति के लिए गुणा गणित बैठाने वाले राजनीतिक पंडित भी यह नहीं समझ पाए कि तेजस्वी की इस तरह की राजनीति को दिशा दे कौन रहा है.

लालू यादव के लाथ तेजस्वी
लालू यादव के लाथ तेजस्वी

तेजस्वी यादव ने आरजेडी पार्टी के सभी पोस्टर से लालू यादव का फोटो हटवा दिया. पार्टी के नेताओं को साफ संदेश दे दिया कि पार्टी में अनुशासन सबसे ऊपर रहेगा और इससे इतर जाकर कुछ भी होगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

तेजस्वी यादव ने सार्वजनिक मंच से अपने पिता लालू यादव के 15 साल के काम काज को लेकर माफी मांगी, तो सियासत में इस बात की चर्चा हो गयी कि तेजस्वी ने हताशा में यह बयान दिया लेकिन राजनीति में जिस बदलाव ने तेजस्वी के तरफ रूख किया है उससे कई चेहरे हताश हो गए हैं.

महागठबंधन में शामिल जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा तेजस्वी यादव पर वह दबाव नहीं बना पाए, जो वे चाहते थे. मांझी और कुशवाहा भले ही आरजेडी छोड़ कर चले गए, लेकिन तेजस्वी ने अपनी नीतिगत निर्णय की कठोर छवि को बनाए रखा. तेजस्वी ने 2020 के लिए चुनाव को अपने हिसाब से दिशा दिए और नीति भी बनाए.

उपेंद्र कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा

राजनीतिक विरासत वाली छवि को तोड़ना है बड़ी चुनौती

तेजस्वी यादव के लिए सत्ता की राह तक जाना कई मायनों के तहत है. लेकिन तेजस्वी जिस राजनीतिक विरासत की वंश बेल हैं. उसकी हर चुनौती तेजस्वी के लिए पग-पग चुनौती है. दरअसल बिहार के युवा इस युवा राजनेता को बिहार के उदभव का नया आईकॉन मान लिए हैं. बिहार को यह लगने लगा है कि बिहार में तेजस्वी कुछ अलग कर देंगे.

RAW
बिहार में तेजस्वी के पोस्टर

नौकरी का जो वादा तेजस्वी यादव ने किया है वह एक पहलू जरूर है लेकिन पार्टी के उन लोगोंं को रोक पाना भी किसी चुनौती से कम नहीं जो बिहार की राजनीतिक छवि को अपने कृत्य से धूमिल करते रहे हैं. आरजेडी के लिए यादव जाति की पार्टी होना एक चुनौती है. जिसे तेजस्वी यादव को तोड़ना होगा. जंगलराज जैसे शब्द लालू के लिए बोले गए थे, जिसे तेजस्वी को पनपने भी नहीं देना होगा.

हालांकि दानापुर से रितलाल यादव, मोकामा से अनंत सिंह, राजबल्लभ यादव, रामा सिंह जैसे बाहुबलियों को टिकट देने का काम आरजेडी ने किया है. लेकिन इनपर नकेल भी कड़ी लगी रहे इसके लिए उन्हें कठोर रहना होगा. लालू यादव के राज में जिस तरह से लोगों ने लालू यादव का फायदा उठाया अगर वैसी छूट मिल गयी तो इसमें दो राय नहीं कि बिहार का बहुत कुछ नुकसान तो होगा ही लेकिन तेजस्वी की सारी मेहनत चौपट भी हो जाएगी.

वादे पर कानून और कानून का राज भी चुनौती

तेजस्वी यादव के राजनीतिक कैरियर की सफलता इस बात के लिए भी चुनौतियों के दायरे में है कि नौकरी देने का जो वादा पूरा करना ही उनकी राजनीतिक सफलता का सबसे पहला और मजबूत सूत्र होगा. रोजगार देने का जो वादा तेजस्वी यादव ने किया है अगर अपने वादे को सच करके दिखा देते हैं, तो यह भी किसी काननू से कम नहीं है. बिहार में लालू यादव के समय में कानून के राज को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठे . उदाहरण में ही सही लेकिन दानापुर के बाहुबली रितलाल यादव राजद के शह पर ही अपने आतंक की सत्ता को आगे बढ़ा पाया था. यह दिगर बात है कि वह लालू वाली राजद थी यह तेजस्वी वाली राजद है.

20 नवम्बर 2015 को बिहार के उपमुख्यमंत्री की शपथ लेने कि बाद राजद विधायक दल की बैठक में तेजस्वी का तेवर पार्टी के लिए बहुत कुछ कह गया था. तेजस्वी ने साफ-साफ कहा था यह सभी को मान लेना है कि आप की गलती का खामियाजा कोई और भुगतेगा. पार्टी ने आप को सम्मान दिया है तो पार्टी के सम्मान का ध्यान आप लोग भी रखें. तेजस्वी के इस तेवर ने आरजेडी के वैसे नेताओं की सांस रोक दी थी जो लोग आरजेडी की सरकार बनने के बाद मनमानी करने की नीयत रखते थे.

लालू के काफी करीबी एक पत्रकार ने कहा कि लालू यादव वाली छवि तेजस्वी में नहीं है. यह इसलिए भी कहा जा सकता है कि तेजस्वी ने जिस युग की राजनीति को चुना है वह लालू से बहुत अलग है. लेकिन सवाल यही है कि जो लोग लालू के राज में गलती करने के बाद सत्ता का संरक्षण पा जाते थे उसे तेजस्वी यादव कैसे अलग रख पाते हैं.बहरहाल एग्जिट पोल में जनता ने अपना जनमत दे दिया है. नेताओं की किस्मत ईवीएम में कैद है. जो 10 नवम्बर को बाहर आएगी. एक्जिट पोल के जो परिणाम आ रहे हैं. वे अगर इक्जैक्ट पोल में बदलते हैं तो तेजस्वी यादव को और परफैक्ट होना होगा नहीं तो सत्ता पर बड़े सम्मान से जनता बैठा देती है तो रिजेक्ट करना भी बेहतर तरीके से जानती है. और इसे भी तेजस्वी यादव ने अपने परिवार के राजनीतिक उतार चढ़ाव से महसूस किया है और जिए भी हैं. बिहार 2020 के लिए जिस जनमत को दिया है उसका सही मान तभी होगा जब वादों और दावों के भरोसे को बिहार की सरजमीं पर उतार दिया जाय, इसे उतारना ही तेजस्वी यादव के पग पग पर चुनौती से भरा है.

Last Updated : Nov 9, 2020, 1:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.