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हाथरस कांड : सीबीआई ने अदालत में पेश की स्थिति रिपोर्ट

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Published : Nov 25, 2020, 9:16 PM IST

हाथरस कांड
हाथरस कांड

हाथरस दुष्कर्म मामले की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई ने हाथरस मामले की जांच की रिपोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष पेश की.

लखनऊ : हाथरस कथित बलात्कार एवं हत्याकांड मामले की जांच कर रही सीबीआई ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष तफ्तीश की स्थिति रिपोर्ट पेश की.

सीबीआई ने अदालत को आश्वस्त किया कि वह इस मामले की जांच आगामी 10 दिसंबर तक पूरी कर लेगी.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के वकील अनुराग सिंह ने पीठ को बताया कि जांच में वक्त लग रहा है, क्योंकि अभी तक फॉरेंसिक रिपोर्ट नहीं मिल पाई है.

न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा हाथरस के जिलाधिकारी को अब तक नहीं हटाए जाने पर चिंता जाहिर की.

पीठ ने हाथरस जैसे मामलों में शव के अंतिम संस्कार के लिए दिशानिर्देश तय करने के सिलसिले में प्रस्तावित नियम शर्तों पर विचार विमर्श के लिए राज्य सरकार और न्याय मित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर को कुछ और समय भी दिया.

इसके पूर्व, वरिष्ठ अधिवक्ता एसवी राजू और अपर महाधिवक्ता पीके साही ने हलफनामा दाखिल कर यह दलील दी कि हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने कथित बलात्कार पीड़िता के शव को देर रात में जलाए जाने का फैसला जिस तरीके से लिया था और स्थिति को सर्वश्रेष्ठ तरीके से संभाला, यही वजह है कि राज्य सरकार जिलाधिकारी को हाथरस से हटाकर कहीं और स्थानांतरित नहीं करना चाहती.

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अधिवक्ताओं ने कहा कि पीड़िता के परिवार के किसी भी सदस्य ने जिलाधिकारी पर कोई इल्जाम नहीं लगाया है, यहां तक कि जांच एजेंसी ने भी ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं कि जिलाधिकारी मामले की तफ्तीश को किसी भी तरह से प्रभावित कर रहे हैं, लिहाजा किसी राजनीतिक दल की बेबुनियाद मांग की पूर्ति मात्र के लिए जिलाधिकारी को स्थानांतरित या निलंबित नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे नौकरशाही का मनोबल गिरेगा.

हालांकि, पीठ राज्य सरकार के रुख और इस सफाई से संतुष्ट नहीं दिखी.

हाथरस कांड के पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने पीठ से आग्रह किया कि वह परिवार को दिल्ली में एक घर आवंटित करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दे. इस पर पीठ ने यह कहते हुए कोई व्यवस्था देने से मना कर दिया कि उसने एक सीमित विषय पर स्वत: संज्ञान लिया है.

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 16 दिसंबर तय की है.

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