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उत्तराखंड:पाकिस्तान पर फतह की स्वर्ण जयंती, BSF के पैराग्लाइडर ने दिखाया दम

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Published : Nov 12, 2021, 1:08 PM IST

मालदेवता में पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल का आयोजन
मालदेवता में पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल का आयोजन

1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह रौंदा था. पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेकते हुए करीब 90 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था. इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश बना था. पाकिस्तान पर 1971 की इस ऐतिहासिक विजय का स्वर्ण जयंती वर्ष चल रहा है. इस उपलक्ष्य में देहरादून के मालदेवता में तीन दिवसीय बीएसएफ पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल शुरू चल रहा है. कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने किया.

डोईवाला: स्वर्णिम विजय वर्ष (1971 युद्ध विजय की 50वीं वर्षगांठ) के उपलक्ष्य में मालदेवता में तीन दिवसीय बीएसएफ पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल गुरुवार से शुरू हो गया. बीएसएफ इंस्टीट्यूट आफ एडवेंचर एंड एडवांस ट्रेनिंग डोईवाला और उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया है. कार्यक्रम का शुभारंभ पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने किया.

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि बीएसएफ देश का गौरवशाली सुरक्षा बल है. बीएसएफ (Border Security Force) के जवान भारत-पाक और भारत बांग्लादेश की अत्यंत महत्वपूर्ण सीमा पर तैनात हैं. उन्होंने कहा कि मैं भी खुद 4 वर्ष बीएसएफ में रहा हूं. साहसिक व अनुशासित बल होने के साथ ही बीएसएफ का एक मानवीय चेहरा भी है. बीएसएफ निरंतर सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यक्रम भी करता रहता है.

मालदेवता में पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल का आयोजन

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने केदारनाथ आपदा का उल्लेख करते हुए कहा कि आपदा प्रभावितों की मदद के लिए बीएसएफ के सभी कर्मियों ने अपने एक दिन का वेतन दिया था. जिसमें 16 करोड़ की धनराशि एकत्र हुई. इसमें 10 करोड़ रुपये सीएम राहत कोष में दिए गए. पांच-पांच लाख रुपये आपदा में शहीद हुए उत्तराखंड पुलिस के 15 जवानों के स्वजनों को दिए गए. वहीं शेष रकम से आपदा ग्रस्त गांव में राहत एवं पुनर्वास कार्यक्रम चलाए गए और उन्होंने पैराग्लाइडिंग की गतिविधियों को बड़े स्तर पर ले जाने पर जोर दिया.

बीएसएफ के कमांडेंट महेश कुमार नेगी ने कहा कि बीएसएफ साहसिक खेलों के माध्यम से 1971 युद्ध की वीरगाथा और वीर सैनिकों के बलिदान को आम नागरिकों युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए संकल्पित है. इस शौर्य पर्व में सीमा सुरक्षा बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व जनरल सैम मानेकशॉ ने भी सराहा था.

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इस अभियान में भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल ने अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था. वहीं बांग्ला वासियों की क्रूर हत्याओं व मानवाधिकार हनन पर रोक लगा पूर्वी पाकिस्तान को एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश के रूप में मुक्त कराया. इस विजय के 50 वर्ष पूरे होने पर देश स्वर्णिम विजय पर्व मना रहा है. उन्होंने बताया कि इस युद्ध में सीमा सुरक्षा बल को एक महावीर चक्र और 11 वीर चक्र मिले.

कार्यक्रम में एनसीसी कैडेट विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं के अलावा डिप्टी कमांडेंट आरएन भाटी, मनोज सुंद्रियाल, पीके जोशी, एसके त्यागी, सहायक कमांडेंट पुनीत तोमर, पवन सिंह पंवार, चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रजनीकांत सहित भारी संख्या में सीमा सुरक्षा बल के जवान मौजूद रहे.

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