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बिहार का अपराध मुक्त गांव, आजादी से अब तक नहीं दर्ज हुई एक भी FIR

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Published : Apr 28, 2022, 10:46 AM IST

Updated : Apr 28, 2022, 12:03 PM IST

एक तरफ बिहार में लोग आपराधिक घटनाओं से परेशान रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ यहां एक गांव ऐसा भी है जहां अपराध होता ही नहीं (Crime Free Village Of Bihar) है. यहां के ग्रामीणों ने आजतक थाना और कोर्ट कचहरी नहीं देखा. कहां है ये क्राइम फ्री गांव और कैसे यहां शांति व्यवस्था सदियों से बहाल है जानने के लिए आगे पढ़ें...

Bihar crime free village
बिहार का अपराध मुक्त गांव

पश्चिम चंपारण (बेतिया): बिहार के पश्चिम चंपारण के गौनाहा प्रखंड क्षेत्र का एक छोटा सा गांव है कटरांव (katrao village of bihar). लेकिन इस गांव की खासियत ने बड़े-बड़े शहरों को पछाड़ दिया है. छोटी सी आबादी वाले बिहार के इस गांव ने देश के सामने नजीर पेश की है. जो भी इस गांव के बारे में सुनता है दांतों तले अंगुली दबा लेता है. आजादी के बाद से अगर कहीं कोई अपराध (Crime Free Village Of Bettiah ) हुआ ही ना हो तो जाहिर सी बात है लोगों को आश्चर्य होगा ही. उससे भी बड़ी बात ये कि इस गांव में आजादी से पहले भी शांति व्यवस्था इसी तरह से बहाल थी. जी हां, बिहार के कटरांव गांव की यही खासियत इसे दूसरों से अलग और बेमिसाल बनाती है. गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांतों का पालन बिहार के इस गांव में आज भी होता है.

कटरांव गांव में नहीं होता अपराध: इस गांव की आबादी लगभग दो हजार है. कटरांव गांव पटना से 285 किमी दूर स्थित है. इसमें थारू, मुस्लिम, मुशहर और धनगर जैसे विभिन्न समुदायों के लोग हैं. यह गांव सहोदरा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है. 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद से यहां के अधिकारियों ने एक भी मामला दर्ज नहीं किया है. आज तक यहां किसी प्रकार का झगड़ा-विवाद या चोरी-डकैती नहीं हुई है. आलम यह है कि आजादी के बाद से इस गांव में अब तक एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है.

ना थाना गए...ना कोर्ट देखा: यहां के लोग ना तो थाने गए और ना ही कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाया. इस गांव में अब तक कोई अपराध नहीं हुआ है. अगर छोटा मोटा विवाद होता भी है तो उसका निपटारा गांव के ही चौपाल पर कर लिया जाता है. यह एक ऐसा गांव है जहां के लोगों ने ना ही थाना देखा है और ना ही कचहरी. ग्रामीण सुकून भरी जिंदगी जी रहे हैं. साथ ही दूसरे लोगों को भी अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलने का संदेश दे रहे हैं. गुलामी देख चुके गांव के वृद्ध की मानें तो कभी इस गांव में पुलिस की जरूरत ही महसूस नहीं हुई. आदिवासी बहुल यह गांव काफी पिछड़ा हुआ माना जाता है. लेकिन इनकी सोच दूसरों को पछाड़ रही है. कटरांव गांव के लोगों ने साबित कर दिया है कि आधुनिक और शिक्षित कहे जाने वाले समाज से वे आगे हैं. पुलिस प्रशासन भी इस गांव के जज्बे को सलाम कर रहा है.

ग्रामीणों का बयान: कटरांव की रहने वाली मनीषा कहती हैं कि हमारे गांव में आजतक एक भी केस मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. झगड़ा झंझट होने पर आपस में मिल जुलकर सुलझाते हैं. अगर सभी इसी तरह से मिलकर रहें तो देश की तस्वीर बदलेगी. वहीं प्रियरत्ना ने कहा कि कटरांव में कोई मुकदमा, केस नहीं हुआ है. हमें आज तक लज्जित होना नहीं पड़ा है. मैं सभी से अपील करती हूं कि जैसा कटरांव आज है वैसा ही इसे आगे भी बनाए रखें.

ऐसे होता है मामले का निपटारा: अपने न्यायिक ढांचे के कारण ही इस गांव में शांति बनी हुई है. मामलों का निपटारा गोमस्थ बायवस्थ व्यवस्था (Gomastha Bayawastha in bettiah katrao) के तहत किया जाता है. 1950 के दशक में इस व्यवस्था की शुरुआत हुई थी. यह व्यवस्था बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिन्हा के दिमाग की उपज थी. गोमस्थ ही कटरांव में उत्पन्न होने वाले छोटे विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान करते हैं. यहां इस व्यवस्था का आज भी सम्मान किया जाता है. यही कारण है कि गोमस्थ दोषी व्यक्ति को दंडित भी कर सकता है. कटरांव, जिसने पंचायत प्रणाली में प्रतिनिधियों को चुना है, को अपने गोमस्थों में अटूट विश्वास है. गांव, आज तक गोमस्थों द्वारा दिए गए फैसलों का पालन करता है. यही कारण है कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद से 75 वर्षों से यहां कानून-व्यवस्था कायम है.

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क्या है गोमस्थ व्यवस्था: ग्रामीणों का कहना है कि एक गोमस्थ को एक अर्ध-देवता के रूप में माना जाता है, जिसका आदेश सभी के लिए हमेशा स्वीकार्य होता है. गोमस्थ की स्थिति सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, हालांकि स्थानीय प्रशासन थारू जनजाति में इसके प्रसार से अवगत है. थारू समुदाय में लंबे समय से इस प्रणाली का पालन किया जाता है. यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों के दृढ़ विश्वास को दर्शाता है. फिलहाल गांव में तीसरी पीढ़ी के गोमस्थ न्याय प्रणाली को संभाल रहे हैं. मामले के निपटारे के समय ग्रामीण एक पेड़ या सामुदायिक हॉल के नीचे बैठते हैं और विवाद में शामिल पक्षों को सुनने के बाद न्याय करते हैं.

बेतिया एसपी ने की कटरांव की तारीफ: कहते हैं कि अभी कलयुग है और इसमें राम राज्य की कल्पना बेमानी है. लेकिन कटरांव गांव के लोगों ने जो काम किया है उसे देखकर तो यही लगता है कि कलयुग में भी राम राज्य संभव है. अगर मन में किसी तरह का स्वार्थ व लालच ना हो तो शांति से मिल जुलकर रहना आसान हो जाता है. बेतिया एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा (Bettiah SP Upendra Nath Verma On katrao village) ने बताया कि कटरांव एक ऐसा गांव है जहां आजादी के बाद से थाना में कोई केस रजिस्टर नहीं हुआ है और ना ही किसी पर 107 का मामला दर्ज है. गांव में ग्रामीण कोई भी विवाद आपस में बैठ कर हल कर लेते हैं, जो कि काबिले तारीफ है.

बेतिया एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने बताया, "कटरांव एक ऐसा गांव है जहां का रहन-सहन और संस्कृति ऐसी है कि कोई विवाद नहीं होता है. अगर विवाद होता है तो सामाजिक संगठन गोमस्थ बायवस्थ द्वारा विवादों को सुलझाया जाता है. वहां के लोग शांतिप्रिय हैं और विवादों से दूर रहते हैं. यही कारण है कि आजादी के बाद से आज तक कटरांव का एक भी मामला थाने में नहीं आया है. इस गांव के लोग और सामाजिक संगठन दूसरे क्षेत्रों के लिए नजीर पेश करती है कि कैसे हम शांति से रह सकते हैं."

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Last Updated : Apr 28, 2022, 12:03 PM IST
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