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'बिहारियों को तो सरकार ने एक झटके में नकारा साबित कर दिया'.. सवाल- क्या बिहार के युवा शिक्षक बनने योग्य नहीं हैं?

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Published : Jun 28, 2023, 9:12 PM IST

बिहार में शिक्षक नियुक्ति के लिए नई नियमावली में संशोधन करके सरकार ने स्थानीय निवासी होने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. सरकार की दलील है कि बाहरी युवाओं को मौका मिलने से शिक्षा की क्वालिटी में सुधार होगा. ऐसे में सवाल भी कई हैं, जैसे योग्य शिक्षक मिलेंगे तो पढ़ाई सुधरेगी? क्या डोमिसाइल नीति खत्म होने से बिहार के छात्रों की हकमारी नहीं होगी?

Bihar Teacher Recruitment Etv Bharat
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पटना: 'बिहारियों में इतनी क्षमता है कि अगर चांद पर नौकरी संभव हो तो बिहारी सबसे पहले जाएंगे. सुशील मोदी ने ये बयान 29 फरवरी 2020 को बीजेपी के एनआरआई मीट में दिया था. उस समय सुशील मोदी बिहार के डिप्टी सीएम थे. उस समय के बिहार के प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए सरकार पर तंज कसा था और रोजगार को लेकर सवाल उठाया था.

ये भी पढ़ें - Bihar Teacher Recruitment : डोमिसाइल लागू करने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम.. अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री को लिया आड़े हाथ

क्या कहा था तेजस्वी यादव ने? : तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा था कि, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी कह रहे है कि बिहार के 7 करोड़ बेरोज़गार युवाओं को नौकरी लेने अब चांद पर जाना होगा क्योंकि, नीतीश जी बिहार में नौकरी नहीं दे सकते. कुर्सीवादी तिकड़मी राजनीति के अलावा ये 15 वर्षों मे कोई रोजगार सृजन नहीं कर पाए. कोई उद्योग, कंपनी, कारखाना, निवेश नहीं ला पाए.

तेजस्वी यादव ने क्या कहा था.
तेजस्वी यादव ने क्या कहा था.

समय के साथ नेताओं के बयान बदले: यह वह दौर था जब विपक्ष में तेजस्वी यादव थे और सत्तारूढ़ दल के तौर पर बीजेपी सरकार में थी. तब सुशील मोदी ने कहा था कि दुनिया के किसी भी कोने में वैकेंसी निकलती है तो वहां बिहारी जरूर पहुंच जाते हैं. चाहे वह चांद पर ही वैकेंसी क्यों ना हो. आज जब सत्तारूढ़ दल में आरजेडी शामिल है और वहीं विपक्ष में बीजेपी है तो, दोनों दलों के नेताओं के बयान बदल चुके है.

शिक्षा मंत्री बोले- 'इसी वजह से संशोधन किया गया' : वहीं, बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर से विरोध को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यहां हर बात का विरोध होता है. इसमें हम क्या कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने ऐसी बात कह दी जिस पर सवाल उठना लाजमी है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि बिहार के युवा सक्षम नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिहार के युवा शिक्षक बनने योग्य नहीं हैं?

ईटीवी भारत GFX.
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क्या कहते हैं शिक्षाविद : बिहार के शिक्षाविद डॉ नवल किशोर चौधरी ने बिहार सरकार के इस नीति को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार बिहार के लोगों को धोखा दे रही है. अभी बिहार में जेडीयू और आरजेडी की सरकार है और पिछले 30 सालों से यह सत्ता में है. यह बार-बार कहते रहे हैं कि बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. लेकिन इस नियम को लागू करके बिहार के लोगों को धोखा दिया जा रहा है.

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शिक्षक अभ्यर्थियों का फूटा सरकार पर गुस्सा : इधर, बिहार सरकार द्वारा शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को खत्म किए जाने को लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों में काफी आक्रोश है. शिक्षक अभ्यर्थियों की ओर से सरकार को 72 घंटे का का अल्टीमेटम दिया गया है. यह कहा गया है कि डोमिसाइल नीति लागू की जाए वरना 10 लाख से अधिक शिक्षक अभ्यर्थी सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

''नीतीश कुमार ने जो तुगलगी फरमान जारी किया है. हम लोगों ने चार साल से अपना खून जलाया है. पीएम बनन के चक्कर में आपने दूसरे राज्यों के लिए पिटारा खोल दिया है. अब हम लोग रोड पर उतरेंगे. कुर्सी के चक्कर में यहां के लोगों को दूसरे राज्यों मजदूर बनाएंगे. और दूसरे राज्यों के बच्चों को यहां नौकरी देंगे. सभी शिक्षक अभ्यर्थी सड़क पर उतरेंगे और सरकार के इस फैसले का विरोध करेंगे.'' - अभिषेक झा, शिक्षक अभ्यर्थी

'शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर कर रहे अपमान' - सुशील मोदी : इधर अभ्यर्थी नाराज तो उधर बीजेपी ने भी सरकार को घेरा. बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा कि एक तो सरकार बार-बार शिक्षक नियमावली में बदलाव कर रही है. सरकार के नए बदलाव से बिहारी छात्रों का हक मारा जाएगा. दूसरी तरफ बिहार के शिक्षा मंत्री ये कह कर कि 'बिहार के युवा सक्षम नहीं है' छात्रों का अपमान कर रहे हैं. बिहार में तो अंग्रेजी, गणित और विज्ञान के तेज तर्रार छात्र हैं. सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस बिहार से बनते हैं.

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