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MP: रील नहीं रियल Bajrangi Bhaijaan, अब तक 500 से ज्यादा भारतीयों की करा चुके हैं वतन वापसी, जानें क्या है फंडा

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Published : Dec 9, 2022, 5:21 PM IST

खुशहाल जिंदगी के ख्वाब लिए नियाज अभी कतर की जमीन पर उतरा ही था कि उसके सारे ख्वाब चूर-चूर हो गए. 1 लाख रुपए एजेंट को देकर यहां तक पहुंचा नियाज फर्जी एजेंटों के चंगुल का ताजा शिकार था. वापिसी की कोशिश में एयरपोर्ट पर ही फर्जी दस्तावेजों की वजह से उसे गिरफ्तार कर लिया गया. नियाज के सामने एक ही सवाल था कि वतन वापसी कैसे होगी. कहानी अलग हो सकती है, किसी देश में फंस जाने की वजह अलग हो सकती है. लेकिन दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फंसे लोगों का सवाल एक ही वतन वापसी कैसे होगी ? तो जवाब ये है कि भोपाल के बजरंगी भाईजान यानि आबिद हुसैन हैं ना.

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रियल लाइफ बजरंगी भाईजान हैं आबिद हुसैन

भोपाल। वतनपरस्ती का एक तरीका ये भी तो है कि सरहद पार अटक गए, भटक गए अपने देश के लोगों की सकुशल वतन वापसी करवा ली जाए. यूपी की पैदाइश और भोपाल में आकर बस गए आबिद हुसैन गुजरे 7 सालों से यही कर रहे हैं. दुनिया के किसी हिस्से से पुकार आई हो, आबिद हुसैन की पूरी कोशिश होती है कि ऐसे हर शख्स की आवाज विदेश मंत्रालय के साथ एम्बेसी तक पहुंचाई जाए. देश दुनिया की तमाम एम्बेसी के संपर्क अपने मोबाइल में लिए आबिद भाई का पूरा मेल बॉक्स ऐसी एप्लीकेशन से भरा होता है जिसमें दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फंसे भारतीयों की वापसी के लिए पत्राचार किया गया है. ये क्या जुनून है, कौन हैं ये बजरंगी भाई जान और कितने लोग हैं ऐसे जिनकी करवाई उन्होंने वतन वापसी.

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कराची जेल में बंद जितेन्द्र अर्जुनवार की कराई वतन वापिसी: आबिद हुसैन ने सबसे पहले तो 2016 में बाग्लादेश के रहने वाले रमजान नामक बच्चे को उसके घर पहुंचाया था जो भोपाल में फंस गया था. आबिद कहते हैं ''उसी वक्त हमें ये ख्याल आया कि मेरे अपने वतन के लोग मेरे भाई भी तो दूसरे मूल्कों में फंसे होंगे. उनकी वतन वापसी कैसे होती होगी. उसी दौरान जितेन्द्र अर्जुनवार का मामला सामने आया. दिमागी रुप से कमजोर जितेन्द्र पाकिस्तान की कराची जेल में बंद था. बहुत लंबी लड़ाई लड़ी गई उसकी वापसी के लिए. लेकिन विदेश मंत्रालय के प्रयास से हमारा जितेन्द्र वापस आ गया. मैं लगातार जितेन्द्र की वतन वापसी के लिए अभियान छेड़ा रहा''. आबिद बताते हैं मैं ''असल में पुल की तरह काम करता हूं जो दुनिया के किसी भी हिस्से में जाकर फंस गए हैं उनकी आवाज सही जगह तक पहुंचाता हूं. एम्बेसी और मंत्रालय तक, ताकि समय पर उन्हें मदद पहुंचे और वो खैरियत से वतन लौट सकें''. आबिद अब तक 500 से ज्यादा लोगों की वतन वापसी करवा चुके हैं.

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सऊदी में धोखा, पाकिस्तान में हर भारतीय जासूस: यूं तो आबिद यूक्रेन समेत सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, मलेशिया, पाकिस्तान और कंबोडिया जैसे तमाम देशों से लोगों की वतन वापसी करवा चुके हैं. लेकिन जिन लोगों की वापसी हुई उनके तजुर्बे के आधार पर आबिद कहते हैं ''सबसे ज्यादा नौकरी के नाम पर छलावा सऊदी अरब में है, वहां पहुंचते ही पासपोर्ट छीन लेते हैं, तनखअवाह नहीं देते. एग्रीमेंट आठ घंटे के काम का है, लेकिन 15 घंटे काम करवाते हैं. इसी तरह पाकिस्तान में अगर गलती से भी कोई सरहद पार कर गया तो वो जासूस के दायरे में आ जाता है, पहला इल्जाम यही लगता है उस पर. उसे अपनी बेगुनाही साबित करने में कई बार बीस साल तक लग जाते हैं, भारत से पाकिस्तान में फंसे ज्यादातर मामलों में यही हुआ है''.

विदेश में नौकरी हो या पढ़ाई फर्जी एजेंटों से सावधान: आबिद हुसैन के पास अब तक जितने मामले में आए हैं उनमें ज्यादातर में फर्जी एजेंटों की वजह से लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ी और भारतीय चंगुल में फंस गए. आबिद कहते हैं ''लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किसके जरिए जा रहे हैं. पूरी जांच पड़ताल करनी चाहिए कि कोई फर्जी एजेंसी तो नहीं है. मेरी सबसे यही गुजारिश है कि फर्जी एजेंट जो काम कर रहे हैं, उनसे सतर्क रहिए और जिस किसी भी देश मे हों आप अपनी एम्बेसी से हमेशा संपर्क में रहिए''.

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