ETV Bharat / bharat

प्रेस काउंसिल बताए, मीडिया घरानों पर क्या कार्रवाई करें : सुप्रीम कोर्ट

author img

By

Published : May 27, 2020, 4:53 PM IST

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उल उलेमा ए हिंद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया से दो हफ्ते में यह सुझाव मांगा है कि कोरोना महामारी से उपजी स्थिति को कथित तौर पर साम्प्रदायिक रंग देने वाले मीडिया घरानों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है. इसके अलावा मरकज प्रकरण से जुड़ी एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जवाब देने को कहा है. पढ़ें पूरी खबर...

नई दिल्ली : मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने जमीयत उल उलेमा ए हिंद द्वारा दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई की और प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) को दो हफ्ते में अपना जवाब देने को कहा है. याचिका में जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दावा किया गया था कि मीडिया संस्थानों ने कोरोना महामारी से उपजी स्थिति को साम्प्रदायिक रंग दिया. याचिका में साथ ही मीडिया संस्थानों के खिलाफ कारवाई की मांग की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रेस परिषद को यह सुझाव देने के लिए कहा कि केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम, 1995 की धारा 19 और 20 के तहत मीडिया घरानों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है और अब तक उसने (पीसीआई) क्या कार्रवाई की है.

बता दें कि यह याचिका जमीयत ने तबलीगी जमात की घटना के मद्देनजर दायर की थी, जहां 13 मार्च को जमात के आयोजन के लिए दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में लगभग 3400 लोग जमा हुए थे. पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, इसके बावजूद लगभग एक हजार लोग दिल्ली के मरकज में रह गए थे.

गौरतलब है कि समारोह में शामिल होने वाले कई लोगों को कोरोना संक्रमित पाया गया था.

इस घटना को मीडिया द्वारा कथित रूप से साम्प्रदायिक रूप दिया गया तथा मुस्लिम समुदाय को कोसने और उसे वायरस के प्रसार के लिए दोषी ठहराया गया.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने अदालत को बताया कि यह एक गंभीर मामला है. इससे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर प्रभाव पड़ सकता है.

उन्होंने कहा कि मरकज से संबंधित झूठी खबरों को जिस तरह से पेश किया किया गया, उससे देश का घर्म निरपेक्ष ताना-बाना टूट सकता है.

उन्होंने सवाल किया कि सरकार इस मुद्दे पर चुप क्यों थीं. साथ ही उन्होंने मामले में शीर्ष अदालत से मीडिया संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया.

इस पर मुख्य न्यायधीश ने जवाब दिया, 'हम सभी मामलों को गंभीरता से लेते हैं. बार-बार यह मत कहो कि इस मामले को गंभीरता से लें.'

उन्होंने केंद्र से कहा कि वह लोगों को कानून और व्यवस्था के मुद्दों को भड़काने न दे, ये ऐसी चीजें हैं, जो बाद में कानून व्यवस्था के लिए समस्या बन जाती हैं.

पढ़ें - निजी अस्पतालों में कोरोना रोगियों का मुफ्त इलाज क्यों नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में इसी याचिका पर विचार करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह मीडिया को प्रतिबंधित नहीं कर सकता, इसलिए इसमें पीसीआई को भी पार्टी बनाया जाना चाहिए.

मरकज प्रकरण से जुड़ी एक अन्य याचिका की सुनवाई के करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जवाब देने को कहा है. इस याचिका में घटना को लेकर सीबीआई जांच की मांग की गई थी.

यह याचिका जम्मू-कश्मीर की एक वकील सुप्रिया पंडित द्वारा दायर की गई थी. इस याचिका में उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान केंद्र, दिल्ली और दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए थे.

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि भारत सरकार इस बारे में एक सप्ताह में जवाब दाखिल करेगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.