ETV Bharat / bharat

जानें, इस वजह से नीतीश और पीके के बीच बढ़ीं दूरियां

author img

By

Published : Jan 29, 2020, 9:53 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 10:55 AM IST

etvbharat
डिजाइन फोटो

बिहार में भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) में पिछले कुछ माह से शीर्ष स्तर पर जारी खींचतान का बुधवार को पटाक्षेप हो गया, जब मुख्यमंत्री व जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने पार्टी लाइन से हटकर लगातार बयान दे रहे अपने दो करीबियों-प्रख्यात रणनीतिकार प्रशांत किशोर और महासचिव पवन कुमार वर्मा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया. वैस तो नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पीके व पीकु, दोनों ही लगातार तीर चला रहे थे. लेकिन वे गाहे-बगाहे नीतीश को भी आंखें दिखाने लगे, तब पानी सिर से ऊपर चला गया और उसका परिणाम दोनों की बर्खास्तगी के रूप में सामने आया.

नई दिल्ली : जनता दल (यूनाइटेड) से 2018 में जुड़कर अपनी राजनीतिक पारी का आगाज करने वाले प्रख्यात रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी ने आखिरकार बाहर का रास्ता दिखा दिया. एक वक्त था, जब बिहार के मुख्यमंत्री व जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने प्रशांत को बिहार का भविष्य बताया था. लेकिन पिछले कुछ समय से नीतीश और प्रशांत किशोर के बीच नागरिकता कानून को लेकर तनातनी चल रही थी. इस बीच बयानबाजी तेज हुई तो दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गईं और नतीजा यह हुआ की नीतीश को सख्त फैसला लेना पड़ा.

आइए जानें, प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के साथ से लेकर अलग होने तक की कहानी...

नीतीश कुमार के लिए दिया नारा
वर्ष 2015 में जब बिहार विधानसभा का चुनाव होना था, तब प्रशांत किशोर, लालू यादव और नीतीश कुमार के सम्पर्क में आए. उन्होंने नारा दिया- 'बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है.' फिर नीतीश कुमार की बहार आई और वह सीएम बन गए.

बीजेपी के साथ गठबंधन, नहीं भाया
कुछ दिनों बाद जेडीयू ने आरजेडी से नाता तोड़ लिया. नीतीश ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर नई सरकार चलानी शुरू कर दी. हालांकि, कुछ दिनों के लिए प्रशांत किशोर फ्रेम से बाहर चले गए और इसके बाद अलग राह चुनने लगे. कभी उन्होंने अखिलेश यादव और राहुल गांधी के लिए काम किया तो कभी जगन मोहन रेड्डी और ममता बनर्जी के साथ जुड़े.

पीके की जेडीयू में एंट्री
जेडीयू ने दो साल पहले 2018 में बड़ा फैसला लिया. पीके को जेडीयू में शामिल किया. महागठबंधन को मिली बड़ी चुनावी सफलता के बाद पीके का कद भी बढ़ गया. प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री के सलाहकार और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद मिला. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों का गठन नहीं हुआ है.

एक बयान, जो नीतीश को तीर की तरह चुभा
प्रशांत किशोर ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि आरजेडी से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश कुमार को नैतिक रूप से चुनाव में जाना चाहिए था, न कि बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनानी चाहिए थी. प्रशांत किशोर का यह बयान नीतीश कुमार को तीर की तरह चुभा. कुछ ही दिनों में नीतीश की आंखों के तारे रहे प्रशांत कांटे की तरह चुभने लगे.

आम आदमी ने बिगाड़ा खेल!
पीके की कम्पनी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रचार की कमान संभाली और बीजेपी के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया. इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी को भी सीएए के मुद्दे पर आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया.

पीके और पवन के सीएए विरोधी सुर
प्रशांत किशोर और जेडीयू महासचिव पवन वर्मा पिछले कई दिनों से सीएए को लेकर लगातार पार्टी विरोधी बयान दे रहे थे. एक ओर पवन वर्मा ने सीएम नीतीश को चिट्ठी लिखकर स्पष्टीकरण मांगा था. वहीं दूसरी ओर प्रशांत किशोर ने सीएए को लेकर बीजेपी नेताओं के साथ ही पार्टी नेताओं पर भी निशाना साधा था.

नीतीश की चेतावनी
नीतीश कुमार ने दोनों ही नेताओं से साफ कह दिया था कि अगर आपको कहीं जाना है तो आप जा सकते हैं, दरवाजा खुला है. लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. मुख्यमंत्री ने प्रशांत किशोर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वे कुछ और चाहते होंगे, उन्हें कहीं और जाना होगा, इसलिए ये सब कर रहे हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि जदयू ट्विटर वाली पार्टी नहीं है. समान लोगों की पार्टी है.

शाह के कहने पर किया शामिल
प्रशांत किशोर जनता दल यूनाइटेड में शामिल कैसे हुए, इस पर भी सीएम नीतीश कुमार ने बताया कि उन्हें (प्रशांत किशोर) पार्टी में शामिल करने का फैसला उन्होंने बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह के कहने पर किया था. उन्होंने कहा कि क्या आप जानते हैं कि पार्टी में वह (प्रशांत किशोर) कैसे शामिल हुए? अमित शाह ने मुझे उन्हें शामिल करने के लिए कहा.

'पार्टी से अलग राय रखने वालों की क्या जरूरत'
प्रशांत किशोर पर सवालों का जवाब देते हुए प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जो बैठक में नहीं आ रहा, उसके बारे में क्या बात करना है.जो अपनी अलग राय रखेगा, उसकी पार्टी में क्या जरूरत है, उससे मतलब ही क्या है. उन्होंने कहा कि जब बैठक में खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष मौजूद रहेंगे तो फिर किसी और की क्या जरूरत है.

पीके कोरोना वायरस
जेडीयू नेता अजय आलोक ने भी पीके को कारपोरेट दलाल करार दिया. वहीं, पीके को कोरोना वायरस करार देते हुए कहा कि अच्छा हुआ कि जेडीयू को इससे मुक्ति मिली.

Intro:Body:Conclusion:
Last Updated :Feb 28, 2020, 10:55 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.