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जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने संबंधी आशंकाएं निराधार, सबके हित सुरक्षित : उपराज्यपाल

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Published : Oct 28, 2020, 3:01 AM IST

केंद्र ने कई कानूनों में संशोधन कर देशभर के लोगों के लिए जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का रास्ता साफ कर दिया है. हालांकि, केंद्र के इस कदम का जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा के कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया है. इन दलों ने कहा है कि केंद्र का यह कदम पूर्ववर्ती राज्य को 'बिक्री के लिए पेश' करने जैसा है. हालांकि, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जमीन के संबंध में आशंकाओं को निराधार बताते हुए कहा है कि सरकार की ओर से हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं.

law amendment for land in JK
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

श्रीनगर : केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जम्मू कश्मीर में कृषि भूमि का इस्तेमाल सार्वजनिक सुविधाओं के विकास के लिए करने की अनुमति दिए जाने के बाद स्थानीय लोग कई प्रकार कई आशंकाएं जता रहे हैं. आशंकाओं के बीच जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि सरकार की ओर से किए गए कानूनी संशोधन कृषि भूमि का स्थानांतरण गैर-कृषि कार्य वालों को करने की अनुमति नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि भूमि के संबंध में लिया गया फैसला उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया था.

बकौल मनोज सिन्हा, 'इसका कृषि भूमि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. मैं जोर देकर और पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि कृषि भूमि को किसानों के लिए आरक्षित रखा गया है; कोई भी बाहरी व्यक्ति उन भूमि पर नहीं आएगा.

उन्होंने आगे कहा, 'हमने औद्योगिक क्षेत्रों को परिभाषित किया है, हम चाहते हैं कि देश के बाकी हिस्सों की तरह, यहां भी उद्योग आएं ताकि जम्मू-कश्मीर का भी विकास हो और रोजगार पैदा हों.'

उन्होंने कहा कि कानून में कई रियायतें दी गई हैं, जिनके तहत कृषि जमीन को गैर-कृषि कार्य के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है. इनमें शैक्षणिक या स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं का विकास शामिल है.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व महाधिवक्ता इशाक कादरी ने कहा कि इन संशोधनों से जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों के लिए जमीन खरीदने का रास्ता साफ हो गया है. उन्होंने कहा, 'अब यहां बाहरियों के लिए जमीन खरीदने को लेकर किसी तरह की कानूनी रोक नहीं है.'

इस अधिसूचना के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों की ओर नाराजगी भरी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई. इन दलों ने केंद्र के इस कदम को 'जम्मू-कश्मीर को बिक्री' के लिए पेश करना करार दिया है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि संघ शासित प्रदेश के लोगों को अन्य राज्यों में उपलब्ध मौलिक संरक्षण भी उपलब्ध नहीं कराये गये हैं.

वहीं भाजपा ने कहा है कि इन संशोधनों से संघ शासित प्रदेश में ‘विकास की धारा’ बहेगी. इससे यहां प्रगति और समृद्धि का नया दौर शुरू होगा. एक साल पहले केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त किया था.

गौरतलब है कि मंगलवार को (27 अक्टूबर) गृह मंत्रालय ने हिंदी और अंग्रेजी में जारी 111 पृष्ठ की अधिसूचना में भूमि कानूनों में कई बदलाव किए हैं. इनके तहत कृषि भूमि का इस्तेमाल सार्वजनिक सुविधाओं के विकास के लिए करने की अनुमति दी गई है.

जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव केंद्र के पास भूमि के निपटान से संबंधित संशोधन है. केंद्र ने कानून की धारा 17 के तहत ‘राज्य के स्थायी निवासी’ के वाक्य को हटा दिया है. पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए हटाए जाने से पहले गैर-निवासी जम्मू-कश्मीर में अचल संपत्तियां नहीं खरीद सकते थे. ताजा बदलावों से गैर-निवासियों के लिए संघ शासित प्रदेश में जमीन खरीदने का रास्ता साफ हो गया है.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को ही एक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के नवोदित उद्यमियों से जुड़े 10,000 से अधिक ऋण मामलों को मंजूरी की घोषणा की. विभिन्न कार्यक्रमों के तहत केंद्र शासित प्रदेश के नवोदित उद्यमियों के लिए 10 हजार से अधिक ऋण मामलों को मंजूरी देने की घोषणा के बाद सिन्हा ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के लिए उनका मंत्र चार 'पी'...पीस (शांति), प्रोसपेरिटी (समृद्धि), प्रोगरेस (प्रगति) और पीपुल (जनता) के इर्द-गिर्द घूमता है.

उन्होंने कहा, 'वी3 (गांव वापसी-3) स्वरोजगार कार्यक्रम, आर्थिक पैकेज और ‘मेरा कस्बा-मेरा अभिमान' के तहत 10,000 से अधिक ऋण मामलों को मंजूरी देने से युवाओं को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता दिखाई गयी है जो जम्मू-कश्मीर सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में से एक है.

10 हजार करोड़ का वितरण

सिन्हा ने कहा कि 15,309 आवेदन प्राप्त हुए थे जिनमें से 10,828 को मंजूरी दी गई है और बी2वी3 के तहत 6,734 आवेदकों को 100 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है.

उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पंचायत में कम से कम दो लोगों को शामिल करने का लक्ष्य रखा था जिन्हें स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता की जरूरत थी.

स्वरोजगार का विकल्प

उन्होंने कहा कि प्रशासन प्रदेश के हर उस व्यक्ति की आवश्यकता पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करना चाहता है. सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर बैंक का ना केवल इन उद्यमियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने बल्कि स्वरोजगार का विकल्प चुनने वाले युवाओं का हाथ पकड़ कर उन्हें रास्ता दिखाने के लिए भी धन्यवाद दिया.

जीएसटी की प्रतिपूर्ति

उपराज्यपाल ने बैंक को 250 करोड़ रुपये का चेक भी सौंपा. व्यवसायी समुदाय को आवश्यक राहत प्रदान करते हुए, उपराज्यपाल ने यह भी घोषणा की कि अगले साल एक जनवरी से जीएसटी की प्रतिपूर्ति समय पर और स्वचालित रूप से बिना किसी देरी के की जाएगी.

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