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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जानिए क्या-क्या हुआ

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Published : Aug 5, 2020, 8:43 AM IST

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद  370 को खत्म हुए एक साल पूरा हो गया है. आइये जानते हैं वहां की कानून व्यवस्था और सुरक्षा के मद्देनजर क्या तब्दीली आई...

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को खत्म हुए एक साल पूरा
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को खत्म हुए एक साल पूरा

हैदराबादः 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने राज्य सभा में एक विधेयक पेश किया, जिसमें जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया गया और केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया.

यह विधेयक 6 अगस्त 2019 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया. 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने विधेयक पर अपनी सहमति दी और यह जम्मू और कश्मीर पुन: संगठन अधिनियम 2019 बन गया. अधिनियम ने राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में विभाजित कर दिया. जम्मू कश्मीर में विधानसभा के साथ और लद्दाख बिना विधानसभा के केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए. 31 अक्टूबर 2019 को ये केंद्रशासित प्रदेश अस्तित्व में आए.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि 5 अगस्त 2019 और जुलाई 2020 के बीच देश के भीतरी इलाकों में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ.

नेताओं की गिरफ्तारी

मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के अधिकांश शीर्ष नेताओं जिनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं 4 अगस्त, 2019 को गिरफ्तार कर लिए गए. 82 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला को 13 मार्च 2020 को सात महीने से अधिक की कैद के बाद रिहा किया गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 400 लोग अभी भी हिरासत में हैं. इन नेताओं में इश्फाक जब्बार और गुलाम नबी भट (एनसी), बशीर मीर (कांग्रेस), जहूर मीर और यासिर रेशी (पीडीपी) को भी गिरफ्तार किया गया.

रिहा किए गए नेता

25 नवंबर को दो राजनीतिक नेताओं - पीडीपी के दिलावर मीर और डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के गुलाम हसन मीर को नए केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा रिहा किया गया.

एनसी के नजीर गुरेजी, पीडीपी के अब्दुल हक खान, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के मोहम्मद अब्बास वानी और कांग्रेस के अब्दुल रशीद को 18 जनवरी 2020 को रिहा किया गया.

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सजाद लोन को 31 जुलाई 2020 को हाउस अरेस्ट किया गया था उन्हें एक साल पूरा होने से पांच दिन पहले रिहा किया गया.

मारे गए आतंकवादी

2018- एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में मारे गए 257 आतंकवादियों में से कम से कम 142 स्थानीय थे और शेष 115 विदेशी थे.

2019- साल 2019 में मारे गए 152 आतंकवादियों में से 120 स्थानीय थे.

2020- साल 2020 में कश्मीर में मारे गए 24 आतंकवादियों में से 21 स्थानीय थे.

आतंकवादियों की भर्ती

आतंकवादियों की अनुमानित भर्ती में भी भारी कमी आई है.

2019 - जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बुधवार रात सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर कार बम हमले को रोका, जब उन्होंने 40 से 45 किलो के विस्फोटक ले जा रहे एक वाहन को रोका.

अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद से आतंकवाद में शामिल होने वाले कश्मीरी युवकों में 40 प्रतिशत की कमी आई.

युवा उग्रवाद

साल 2020 में 1 जनवरी से 15 जुलाई के बीच उग्रवाद में शामिल होने वाले युवकों की संख्या घटकर 67 हो गई. आतंकवादी संबंधी घटनाएं इस अवधि के दौरान 188 से घटकर 120 हो गई.

घुसपैठ के प्रयास

नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ की कोशिशें अधिक रहती हैं, क्योंकि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह घाटी में आतंकवादियों को भेजने की कोशिश जारी रखते हैं. इस साल मार्च में कोविड -19 महामारी के कारण केंद्र सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन के तहत आतंकवादी गतिविधियों में कमी आंशिक रूप से हो सकती है.

माना जाता है कि हिजबुल मुजाहिदीन जो इस क्षेत्र में काफी सक्रिय है उसके कमांडर रियाज नाइकू सहित 50 से अधिक आतंकवादी मारे गए. इस साल मई में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आतंकवादी कमांडर मारा गया.

इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IEDs) अटैक

इस वर्ष मारे गए 136 आतंकवादियों में से 110 स्थानीय थे और शेष पाकिस्तान के थे. इस साल इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) और ग्रेनेड हमले कम हुए हैं. अधिकारियों ने कहा कि इस साल आईईडी हमलों की संख्या 21 थी. पिछले साल ये संख्या 51 थी.

आतंकवादी घटनाएं - 5 अगस्त 2019 से 10 मार्च 2020 तक जम्मू-कश्मीर में कुल मिलाकर 79 आतंकवादी घटनाएं हुई हैं जिसमें 49 आतंकवादियों को निष्क्रिय किया गया.

गृहमंत्रालय के अनुसार पथराव की घटनाओं में वृद्धि हुई

धारा 370 के उन्मूलन के बाद पथराव की घटनाओं में वृद्धि हुई – गृह मंत्रालय

आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी की 2017 में एक जांच में पता चला कि पाकिस्तान ने पैसों का लेन-देन किया

कश्मीर घाटी में पथराव करने वालों को पत्थर फेंकने के लिए प्रत्येक युवक को 500 रुपये दिए जाते थे

संघर्ष विराम उल्लंघन

संघर्ष विराम उल्लंघन - 2019 में जम्मू में पाकिस्तान द्वारा अब तक सबसे अधिक बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया. 2019 में 3,200 से अधिक बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर लोगों के बीच भय पैदा करने के लिए बार-बार चौकियों और गांवों को निशाना बनाया.

सीमा की रक्षा के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए

जम्मू-कश्मीर में बढ़ते संघर्षविराम उल्लंघन के मद्देनजर सीमावर्ती निवासियों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने नियंत्रण रेखा और आईबी के साथ 14,400 से अधिक भूमिगत बंकरों के निर्माण के लिए 415 करोड़ रुपये मंजूर किए. अबतक 8,600 बंकर जम्मू क्षेत्र में बनाए गए हैं.

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