ETV Bharat / bharat

छठ पर्व विशेष : IPS कुमार आशीष ने फ्रेंच भाषा में किताब लिखकर बताई महिमा

author img

By

Published : Nov 3, 2019, 2:32 PM IST

बिहार के सिकंदरा प्रखंड जमुई जिले के रहनेवाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) आशीष अपने फ्रेंच भाषाई लेख के माध्यम से विदेशों तक छठ पर्व की महिमा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं जो काबिलेतारीफ है. कुमार आशीष फ्रांस से लौटकर वापस आये और यूपीएससी की कठिन परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बन कर अपने गृह राज्य में सेवा देने आये.

कुमार आशीष और उनकी किताब

पटना: बिहार में खास तौर से मनाए जाने वाले महापर्व छठ की महिमा ही निराली है. छठ पर्व सदियों से बिहारवासियों के मन में अपनी मिट्टी और संस्कृति के प्रति लगाव और महान आस्था का संगम है. यह पर्व उन तमाम बिहारवासियों के लिए खास हो जाता है जो इस वक्त बिहार की पावन धरती पर कार्यरत न होकर देश-विदेश के किसी और छोर पर रहते हैं. ऐसी ही एक काहानी जिले के एसपी कुमार आशीष से जुड़ी है.

बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार आशीष के साथ सन् 2006-2007 में यहां से एक हजार किलोमीटर दूर फ्रांस में हुई थी. एसपी आशीष भारतीय पुलिस सेवा के 2012 बैच के अधिकारी है और अब तक मधेपुरा, नालंदा और वर्तमान में किशनगंज एसपी के रूप में अपनी सेवा दे रहें हैं. एसपी आशीष अपने सामुदायिक पुलिसिंग के विभिन्न सफल प्रयोगों के लिए बिहार सहित पूरे देश में जाने जाते हैं. जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से उन्होंने फ्रेंच भाषा में स्नातक, स्नातोकोत्तर और पीएचडी भी किया है. पुलिसिंग के साथ पठन-पाठन और लेखन में भी उनकी व्यापक रूचि रही है और अबतक कई लेख विभिन्न जगहों से प्रकाशित हो चुके हैं.

फ्रेंच के 58 भाषाओं में लिखा लेख
एसपी आशीष ने बताया कि आज से 12 साल पहले जब वो फ्रांस में स्टडी टूर पर गए थे, तब वहां एक संगोष्ठी में कुछ फ्रेंच लोगों ने उनसे बिहार के बारे में कुछ रोचक और अनूठा बताने के लिए कहा. तब उन्होंने बिहार के महापर्व छठ के बारे में विस्तार से उनलोगों को समझाया. उन्होंने कहा कि छठ की बात सुनकर फ्रेंच लोग काफी प्रभावित हुए और इस विषय पर फ्रांस के साथ फ्रेंच बोलने-समझने वाले अन्य 58 देशों तक भी इस पर्व की महत्ता और पावन सन्देश पहुंचाना चाहिए. इसके बाद कुमार आशीष ने वापस स्वदेश लौटकर इस पर्व के बारे में और गहन अध्ययन और बारीकी से शोध कर छठ पर्व को पूरा परिभाषित करनेवाला एक लेख "Chhath Puja: l'adoration du Dieu Soleil" लिखा जोकि भारत सरकार के अंग भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् दिल्ली की ओर से फ्रेंच भाषा में "rencontre avec l'Inde" नामक किताब में सन 2013 में प्रकाशित हुई. इस लेख में कुमार आशीष ने छठ पर्व के सभी पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण कर फ्रांसीसी भाषा के लोगों के लिए इस महापर्व की जटिलताओं को समझने का एक नया आयाम दिया है.

छठ के कारण और तरीकों का लेख में दिया विवरण
शुरुआत में कुमार अशीष बताते हैं कि छठ मुख्य रूप से सूर्य भगवान् की उपासना का पर्व है. चार दिनों तक चलनेवाले इस पर्व को धार्मिक रूप सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और आचारिक-व्यावहरिक कठोर शुध्त्ता से की जाती है. 'छठ' शब्द सिर्फ दिवाली के छठे दिन का ही उल्लेख नहीं है बल्कि ये बताता है कि भगवान् सूर्य की प्रखर किरणों की सकारात्मक ऊर्जा को हठ योग के 6 अभ्यासों के माध्यम से एक आम आदमी कैसे आत्मसात कर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकता है. इस पर्व के हर छोटे से छोटे विधान की योगिक और वैज्ञानिक महत्ता है, मसलन, साल में 2 बार क्यों मनाया जाता है. सूर्य की उपासना के वक़्त जल में खड़े रहने का आधार क्या है? डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे का विचार क्या है? सूप और दौरे का पूजा में क्या महत्व है?

क्या है छठ पर्व का महत्व
कुमार आशीष ने अपने किताब में लिखा है कि छठ पूजा ऋग्वेद काल से शुरू हुई, महाभारत में धौम्य ऋषि के कहने पर द्रौपदी ने पांचो पांडवों के साथ छठ पर्व कर सूर्य की कृपा से अपना खोया राज्य वापस प्राप्त किया था. बिहार में इसका प्रचलन सूर्यपुत्र अंगराज कर्ण से शुरू होना माना जाता है. बिहार के तीनों बड़े प्रभागों यथा, मगध, भोजपुर और मिथिला में बड़े धूमधाम से यह पर्व मनाया जाता है. मिथिला के क्षेत्र में 'कोसी भरना' भी किया जाता है जिसमे मानव-शरीर के पंचतत्व के प्रतीक रूप में पांच गन्ने एक साथ लगाये जाते हैं और उन्हें ऊष्मा प्रदान करने के लिए चारो तरफ से मिटटी के दिए लगाये जाते हैं. जिस घर में नयी शादी या नए बच्चे का आगमन होता है, वो लोग बड़ी निष्ठा से ये रीति निभाते हैं.

विश्व के कोने-कोने में किया कुमार आशीष ने छठ पर्व उल्लेख
बिहार के सिकंदरा प्रखंड जमुई जिले के रहनेवाले आईपीएस श्री आशीष अपने फ्रेंच भाषाई लेख के माध्यम से विदेशों तक छठ पर्व की महिमा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं जोकि काबिलेतारीफ है. कुमार आशीष फ्रांस से लौटकर वापस आये और यूपीएससी की कठिन परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बन कर अपने गृह राज्य में सेवा देने आये. अब समय आ गया है कि पूरे विश्व में जहां भी बिहारी डायस्पोरा के लोग है, इस अवसर पर अपने-अपने तरीके से आगे आयें और बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि, विरासत और बुद्धत्व से पूरे विश्व को जाग्रत करें.

*छठ पूजा की महिमा का गुणगान अब ५४ फ्रांसीसी भाषाई देशों में..*

बिहार के महापर्व छठ की महिमा ही निराली है. सदियों से बिहारवासियों के मन में अपनी मिटटी और संस्कृति के प्रति लगाव और महान आस्था का संगम है ये त्यौहार. यह पर्व उन तमाम बिहारवासियों के लिए ख़ास हो जाता है जो इस वक़्त बिहार की पावन धरा पर कार्यरत ना होकर देश-विदेश के किसी और छोर पर होतें है. ऐसी ही कुछ निराली बात बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी श्री कुमार आशीष के साथ सन २००६-२००७ में यहाँ से ९००० किलोमीटर दूर फ्रांस में हुई थी. बता दें की श्री आशीष भारतीय पुलिस सेवा के २०१२ बैच के अधिकारी है और अब तक मधेपुरा, नालंदा तथा वर्तमान में किशनगंज एसपी के रूप में अपनी सेवा दे रहें हैं और अपने सामुदायिक पोलिसिंग के विभिन्न सफल प्रयोगों के लिए बिहार सहित पूरे देश में जाने जाते हैं. जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से उन्होंने फ्रेंच भाषा में स्नातक, स्नातोकोत्तर तथा पीएचडी भी किया है. पुलिसिंग के साथ  पठन-पाठन और लेखन में भी उनकी व्यापक रूचि रही है और अबतक कई लेख विभिन्न जगहों से प्रकाशित हो चुके हैं. वो बताते हैं की आज से १२ साल पूर्व जब वो फ्रांस में स्टडी टूर पर गए थे, तब वहां एक संगोष्ठी में कुछ फ्रेंच लोगों ने उनसे बिहार के बारे में कुछ रोचक और अनूठा बताने को कहा..तब उन्होंने बिहार के महापर्व छठ के बारे में विस्तार से उनलोगों को समझाया. फ्रेंच लोग काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कहा की इस विषय पर फ्रांस के साथ फ्रेंच बोलने-समझने वाले अन्य ५४ देशों तक भी इस पर्व की महत्ता और पावन सन्देश पहुँचाना चाहिए. उनकी प्रेरणा से कुमार आशीष ने वापस स्वदेश लौटकर इस पर्व के बारे में और गहन अध्ययन एवं बारीकी से शोध कर छठ पर्व को पूर्णत: परिभाषित करनेवाला एक लेख "Chhath Pouja: l'adoration du Dieu Soleil" लिखा जोकि भारत सरकार के अंग भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् दिल्ली के द्वारा फ्रेंच भाषा में "rencontre avec l'Inde" नामक किताब में सन २०१३ में प्रकाशित हुई.
इस लेख में श्री आशीष ने छठ पर्व के सभी पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण कर फ्रांसीसी भाषा के लोगों के लिए इस महापर्व की जटिलताओं को समझने का एक नया आयाम दिया है. शुरुआत में वे बताते है की छठ मूलत: सूर्य भगवान् की उपासना का पर्व है. चार दिनों तक चलनेवाले इस पर्व में धार्मिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक एवं आचारिक-व्यावहरिक कठोर शुध्त्ता रखी जाती है. 'छठ' शब्द सिर्फ दिवाली के छठे दिन का ही द्योतक नहीं है बल्कि ये इंगित करता है की भगवान् सूर्य की प्रखर किरणों की सकारात्मक ऊर्जा को हठ योग के छः अभ्यासों के माध्यम से एक आम आदमी कैसे आत्मसात कर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकता है? इस पर्व के हर छोटे से छोटे विधान की योगिक और वैज्ञानिक महत्ता है, मसलन, साल में दो बार क्यों मनाया जाता है यह पर्व? सूर्य की उपासना के वक़्त जल में खड़े रहने का आधार है? डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे का विचार है? सूप और दौरे का पूजा में क्या महत्व है?  यह पूजा ऋग्वेद काल से शुरू हुई, महाभारत में धौम्य ऋषि के कहने पर द्रौपदी ने पांचो पांडवों के साथ छठ पर्व कर सूर्य की कृपा से अपना खोया राज्य वापस प्राप्त किया था. बिहार में इसका प्रचलन सूर्यपुत्र अंगराज कर्ण से शुरू होना माना जाता है.
बिहार के तीनों बड़े प्रभागों यथा, मगध, भोजपुर और मिथिला में बड़े धूमधाम से यह पर्व मनाया जाता है. मिथिला के क्षेत्र में 'कोसी भरना' भी किया जाता है जिसमे मानव-शरीर के पंचतत्व के प्रतीक रूप में पांच गन्ने एक साथ लगाये जाते हैं और उन्हें ऊष्मा प्रदान करने के लिए चारो तरफ से मिटटी के दिए लगाये जाते हैं. जिस घर में नयी शादी या नए बच्चे का आगमन होता है, वो लोग बड़ी निष्ठा से ये रीति निभाते हैं.  
बिहार के सिकंदरा प्रखंड जमुई जिले के रहनेवाले आईपीएस श्री आशीष अपने फ्रेंच भाषाई लेख के माध्यम से विदेशों तक छठ पर्व की महिमा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं जोकि काबिलेतारीफ है. उल्लेखनीय है की श्री आशीष को फ्रांस में हुई उसी मीटिंग में बिहार में रहकर बिहार के लिए कुछ करने की भी प्रेरणा मिली थी जब एक फ्रेंच वृद्धा मादाम निकोले ने उनसे बिहार के पिछड़ेपन का कारण पूछा था और तब तमाम तथ्यों में एक ये भी तथ्य उभर कर सामने आया था की बिहार के प्रतिभाशाली लोग भारत सहित और अन्य विदेशी जगहों पर अपने-अपने क्षेत्रों में हमेशा आगे रहते हैं पर बिहार वापस लौटना पसंद नहीं करते, इस कारण बिहार से प्रतिभा का पलायन रुक नहीं रहा है और परिणामस्वरूप बिहार पिछड़ा राज्य बना रहता है. इस तथ्य को चुनौती के रूप में लेते हुए श्री आशीष फ्रांस से लौटकर वापस आये और upsc की कठिन परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बन कर अपने गृह राज्य में सेवा देने आये. मोतिहारी, दरभंगा, बलिया-बेगुसराय, मधेपुरा, नालंदा और अब किशनगंज, जहाँ भी उन्होंने कार्य किया है, अपने बिहार की मिटटी के प्रति सच्ची आस्था और जरुरतमंदों को त्वरित न्याय प्रदान करने का कार्य कर लोगों को दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. सामुदायिक- सांस्कृतिक कार्यों से वे लगातार  क्रूर पुलिसिंग का चेहरा बदल कर पब्लिक-फ्रेंडली पुलिसिंग कर रहे है जिससे ना सिर्फ अपराध नियंत्रण में काफी सहायता मिली है वरन पुलिस और सरकार में आम लोगों का विश्वास भी बढ़ा है.  
अब समय आ गया है की पूरे विश्व में जहाँ भी बिहारी डायस्पोरा के लोग है, इस अवसर पर अपने-अपने तरीके से आगे आयें और बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि, विरासत और बुद्धत्व से पूरे विश्व को जाग्रत करें.



Sent from my Samsung Galaxy smartphone.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.