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निलंबित सांसदों के लिए चाय लेकर पहुंचे हरिवंश, पीएम ने कही यह बड़ी बात

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Published : Sep 22, 2020, 8:24 AM IST

Updated : Sep 22, 2020, 2:04 PM IST

राज्य सभा से निलंबित किए गए आठ सांसदों ने अपना धरना खत्म कर दिया है. वे सोमवार से ही संसद परिसर में धरने पर बैठे थे. कृषि बिल और अपने निलंबन का वे विरोध कर रहे थे. आज सवेरे इन सांसदों के लिए चाय लेकर उप सभापति हरिवंश खुद पहुंच गए थे. पीएम मोदी ने उनके व्यवहार को स्टेटसमैन जैसा बताया.

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नई दिल्ली : किसानों से जुड़े विधेयकों और आठ सांसदों के निलंबन पर विपक्ष आगबबूला है. हालांकि, निलंबित सांसदों ने आज अपना धरना खत्म कर लिया. आज सुबह राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश चाय लेकर धरना स्थल पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि वह अपने साथी से मिलने आए हैं. यह उनकी व्यक्तिगत मुलाकात है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उप सभापति के व्यवहार की तारीफ की. उन्होंने कहा कि हरिवंशजी का व्यवहार किसी स्टेटसमैन जैसा था.

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पीएम का ट्वीट

पीएम ने ट्वीट कर कहा यह हरिवंश जी की उदारता और महानता को दर्शाता है. लोकतंत्र के लिए इससे खूबसूरत संदेश और क्या हो सकता है. मैं उन्हें इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं.

वीडियो देखें-

हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उनको किस प्रकार अपमानित किया गया, उन पर हमला किया गया और फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए.

लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई.

बिहार की धरती ने सदियों पहले पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी थी.

आज उसी बिहार की धरती से प्रजातंत्र के प्रतिनिधि बने श्री हरिवंश जी ने जो किया, वह प्रत्येक लोकतंत्र प्रेमी को प्रेरित और आनंदित करने वाला है.

कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने इस पर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि संसद के सामने रात बिताने वाले विपक्षी सांसद को चाय नहीं, न्याय चाहिए. भाजपा सरकार ने किसानों के पक्ष में खड़े होने की वजह से उन पर हमला किया. न्याय उनका अधिकार है और ये उन्हें मिलकर रहेगा. संविधान उम्मीद करता है कि सत्ता में बैठे लोग न्याय की पेशकश करेंगे, चाय की नहीं.

अहमद पटेल

बता दें कि आज राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश राज्यसभा सांसदों के लिए चाय लेकर आए, जो सदन से उनके निलंबन के खिलाफ गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

विपक्ष ने रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के चलते सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला तथा इस कदम के विरोध में संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया.

निलंबित किए गए आठ सांसदों में कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य शामिल हैं. उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयक को पारित किए जाने के दौरान 'अमर्यादित व्यवहार' के कारण इन सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया है.

निलंबन के खिलाफ कांग्रेस, माकपा, शिवसेना, जनता दल (सेक्यूलर), तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और समाजवादी पार्टी के सांसद संसद भवन परिसर में धरने पर बैठ गए. उनके हाथों में 'लोकतंत्र की हत्या' और 'संसद की मौत' लिखी तख्तियां हैं.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, 'किसानों के हितों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ने वाले आठ सांसदों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण है और इस तानाशाह सरकार की उस मानसिकता को दर्शाती है जो लोकतांत्रिक मर्यादाओं और नियमों का सम्मान नहीं करती। हम झुकने वाले नहीं हैं और हम इस तानाशाह सरकार के खिलाफ संसद से लेकर सड़क तक लड़ेंगें.'

माकपा नेता इलामारम करीम ने कहा, 'निलंबन से हमारी आवाज को दबाया नहीं जा सकता. हम किसानों के साथ उनकी लड़ाई में साथ रहेंगे. उपसभापति ने कल संसदीय प्रक्रियाओं का गला घोंटा है. सांसदों के निलंबन ने भाजपा के कायर चहरे को उजागर कर दिया है.'

करीम उन आठ सांसदों में शामिल हैं जिन्हें निलंबित कया गया है. अन्य निलंबित सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह और माकपा के केके रागेश शामिल हैं.

Last Updated : Sep 22, 2020, 2:04 PM IST
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