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शूरवीरों के प्रति नागरिकों की भी है नैतिक जिम्मेदारी

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Published : Dec 7, 2020, 9:12 AM IST

किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत सैनिक होते हैं. देश की सुरक्षा में हमेशा मुस्तैद. जरूरत पड़ने पर जान देने को तैयार, ताकी आम नागरिक चैन से जी सकें. इन्हीं शूरवीरों के सम्मान में हर वर्ष सशस्त्र सेना ध्वज दिवस मनाया जाता है. यह दिन एक नागरिक के तौर पर सैनिकों, शहीदों और उनके परिवारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

Armed Forces Flag Day
Armed Forces Flag Day

हैदराबाद : सन् 1949 से हर वर्ष सात दिसंबर को देशभर में सशस्त्र सेना ध्वज दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य वर्दी धारियों के प्रति सम्मान व्यक्त करना है, जिन्होंने अनगिनत मौकों पर देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान खतरे में डालते हैं.

इस दिन थल सेना, नौसेना और वायु सेना के जवानों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं को याद किया जाता है. ध्वज के लाल, गहरे नीले और हल्के नीले रंग क्रमशः भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के प्रतीक हैं.

सैनिक किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत होते हैं. वह राष्ट्र के संरक्षक हैं और अपने नागरिकों की हर कीमत पर रक्षा करते हैं. अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए उन्होंने अनेकों त्याग किए हैं. देश हमेशा वीर सपूतों का ऋणी रहेगा.

यह हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह वीरों और उनके परिवार के प्रति आभार व्यक्त करे, क्योंकि वीरों के बलिदान में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान होता है. केंद्र और राज्य स्तर पर कई सरकारी योजनाएं उपलब्ध हैं. हालांकि, हमारे देश के प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह जरूरतमंदों को देखभाल, सहायता, पुनर्वास और वित्तीय सहायता प्रदान करे.

ध्वज दिवस युद्ध में घायल सैनिकों, वीर नारियों, शहीदों के परिवारों और जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया है उनकी देखभाल करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

सशस्त्र सेना ध्वज दिवस का इतिहास

भारत के रक्षा मंत्रालय के तहत 28 अगस्त, 1949 को एक समिति का गठन किया गया था. सात दिसंबर को एक वार्षिक ध्वज दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था. इसका उद्देश्य छोटी मोटी वस्तुएं वितरित कर धन एकत्रित करना था.

ध्वज दिवस का महत्व
ध्वज दिवस मनाने के तीन महत्वपूर्ण उद्देश्य

⦁ सेवारत कर्मियों और उनके परिवारों का कल्याण

⦁ पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों का पुनर्वास और कल्याण

⦁ युद्ध के हताहतों का पुनर्वास

सशस्त्र सेना ध्वज दिवस कोष में योगदान के लिए आम जनता से अपील
रक्षा मंत्रालय का भूतपूर्व - सैनिक कल्याण विभाग विधवाओं, शहीद और पूर्व सैनिकों के परिजनों, दिव्यांग के कल्याण और पुनर्वास के लिए काम कर रहा है. विभाग उन लोगों की चिह्नित की गई व्यक्तिगत जरूरतों, जैसे कि गरीबी अनुदान, बच्चों की शिक्षा के लिए अनुदान, अंतिम संस्कार अनुदान, चिकित्सा अनुदान और अनाथ/दिव्यांग बच्चों के लिए अनुदान, के लिए वित्तीय सहयता प्रदान कर रहा है.

यह वित्तीय सहायता सशस्त्र सेना ध्वज दिवस कोष (एएफएफडीएफ) से प्रदान की जाती है. इसके लिए सशस्त्र सेना ध्वज दिवस, जो हर साल सात दिसंबर को मनाया जाता है, के अवसर पर आम जनता से योगदान प्राप्त होता है.

प्रेस विज्ञप्ती में कहा गया कि भारत के सभी नागरिकों से यह अनुरोध किया जाता है कि वे युद्ध-विधवाओं, ईएसएम, शहीद सैनिकों के परिजनों के हितों से जुड़ें और हमारे सैनिकों और उनके परिजनों या आश्रितों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए एएफएफडीएफ में उदारतापूर्वक योगदान दें.

पूरे माह मनाया जाएगा सशस्त्र सेना ध्वज दिवस
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि सशस्त्र सेना ध्वज दिवस पूरे दिसंबर में मनाया जाएगा. सैनी बोर्ड के साथ केंद्र और राज्य पूरे दिसंबर में सशस्त्र सेना ध्वज दिवस मनाएंगे, यह हमारे सुरक्षाकर्मियों के परिवारों का समर्थन करने के लिए हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है.

सशस्त्र सेना ध्वज दिवस पर केंद्रीय सैनिक बोर्ड ने नागरिकों को MyGov मंच के माध्यम से सशस्त्र सेना ध्वज दिवस पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है.

प्रतियोगिता का विषय 'सशस्त्र सेना के दिग्गजों को श्रद्धांजलि' है.

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