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बीते 28 माह से खाद्य तेलों की थोक मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में

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Published : Apr 19, 2022, 10:48 AM IST

Updated : Apr 19, 2022, 11:05 AM IST

Annual Wholesale Inflation at a 30-year high in FY 2021-22-krishnanad
सारे जतन कर चुकी सरकार फिर भी लगातार 28वें महीने खाद्य तेलों की थोक मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए आपूर्ति संकट से ईंधन के दामों में आयी तेजी का असर देश के थोक मूल्य सूचकांक पर दिखा. मुख्य रूप से कमोडिटी की बढ़ती कीमतों और वित्त वर्ष 2020-21 के निम्न आधार के कारण ऐसे आंकड़े आ रहे हैं. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा का कहना है कि पिछले साल मार्च में 7.89% के उच्च आधार के बावजूद, इस साल मार्च में थोक मुद्रास्फीति (Wholesale inflation) 2011-12 की श्रृंखला में दूसरी सबसे अधिक है.

नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए आपूर्ति संकट से ईंधन के दामों में आयी तेजी का असर देश के थोक मूल्य सूचकांक पर दिखा. थोक मूल्य सूचकांक के मुताबिक, गत माह थोक महंगाई (Wholesale inflation) 14.55 प्रतिशत पर पहुंच गयी जबकि फरवरी में यह आंकड़ा 13.11 प्रतिशत तथा मार्च 2021 में 7.89 प्रतिशत रहा था. यह लगातार 12वां महीना है. जब थोक महंगाई दहाई अंकों में बढ़ी है. पिछले 30 वर्षों में सबसे अधिक वार्षिक मुद्रास्फीति है. सरकार द्वारा व्यापारियों और प्रोसेसर पर स्टॉक सीमा लगाने सहित कई उपायों की घोषणा के बावजूद खाद्य तेलों की थोक मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में रही. मुख्य रूप से कमोडिटी की बढ़ती कीमतों और वित्त वर्ष 2020-21 के निम्न आधार के कारण ऐसे आंकड़े आ रहे हैं. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा का कहना है कि मार्च 2021 में 7.89% के उच्च आधार के बावजूद, इस साल मार्च में थोक मुद्रास्फीति 2011-12 की श्रृंखला में दूसरी सबसे अधिक है.

सिन्हा का कहना है कि वर्ष 2020-21 के अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति 12.96% थी. थोक महंगाई के नए आंकड़ें 30 साल के उच्चतम स्तर पर हैं. ईटीवी भारत को भेजे गए एक बयान में सुनील सिन्हा ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में वृद्धि काफी व्यापक है. सभी तीन प्रमुख श्रेणियां प्राथमिक वस्तु, ईंधन और बिजली और विनिर्माण ने मार्च 2022 में दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति दर्ज की है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आर्थिक सलाहकार कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार प्राथमिक वस्तु के तहत अनाज, फल और सब्जियां, अंडा, मांस और मछली, मसालों में थोक मुद्रास्फीति या तो उच्च एकल अंक या दोहरे अंक में थे.

इसी तरह फूलों की खेती, तिलहन जैसे गैर-खाद्य वस्तुओं के क्षेत्रों में भी इस साल मार्च में दोहरे अंकों में मुद्रास्फीति देखी गई. प्राथमिक वस्तुओं के शेष दो खंडों अर्थात् खनिज और कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में मार्च में क्रमशः 19.46 प्रतिशत और 69.20 प्रतिशत की मुद्रास्फीति देखी गई. फिच ग्रुप की कंपनी इंडिया रेटिंग्स के लिए मैक्रो-इकोनॉमिक डेटा को बारीकी से ट्रैक करने वाले सिन्हा का कहना है कि ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति जो घटती ट्रजेक्टरी पर थी, ने इस साल मार्च में अपनी ट्रजेक्टरी को उलट दिया और एक महीने पहले के 31.5% के मुकाबले बढ़कर 34.5% हो गया. उन्होंने कहा कि ईंधन और बिजली की थोक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी मार्च 2022 में पेट्रोल, डीजल और बिजली जैसी प्रमुख श्रेणियों में बहुत महंगाई के बढ़ने के कारण दिख रही है.

पढ़ें: लॉकडाउन का असर: अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति के कुछ समूहों के आंकड़े ही जारी हो पाये

खाद्य तेल : खाद्य तेलों की उच्च थोक कीमतें सरकार और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं. क्योंकि थोक मुद्रास्फीति खाद्य तेल इस साल फरवरी में 14.9% से मार्च में बढ़कर 16.06% हो गई. मार्च 28 वां महीना है जब सरकार द्वारा व्यापारियों और प्रोसेसर पर स्टॉक सीमा लगाने सहित कई उपायों की घोषणा के बावजूद खाद्य तेलों की थोक मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में रही. यह मार्च में बढ़कर 10.9% हो गई, जो इस साल फरवरी में 10% थी. सिन्हा ने कहा कि यह मुख्य रूप से मूल धातुओं, रसायनों और वस्त्रों जैसे विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण हुआ. बढ़ती इनपुट लागत, परिवहन और लॉजिस्टिक्स के कारण निर्माताओं के मार्जिन पर दबाव पड़ रहा है. इसलिए वे इन्हें अपने उत्पादन की कीमतों में डाल रहे हैं. जिससे विनिर्मित उत्पादों में उच्च मुद्रास्फीति झलक रही है. सुनील सिन्हा के अनुसार, यूक्रेन संघर्ष के कारण विशेष रूप से कच्चे माल की लागत बढ़ गई है. जिससे पूरे इनपुट लागत पर काफी असर पड़ा है. सिन्हा का कहना है कि जब तक यूक्रेन संघर्ष समाप्त नहीं होता घरेलू थोक मुद्रास्फीति पर दबाव बना रहेगा.

ऊर्जा मदों में थोक मुद्रास्फीति : नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोल, डीजल और एलपीजी में मुद्रास्फीति मार्च में क्रमशः 53.4%, 52.2% और 24.9% हो गई, जो पिछले साल नवंबर में क्रमशः 89.7%, 87.1% और 66.6% थी, लेकिन दैनिक उपयोग के ईंधन उत्पाद में मुद्रास्फीति अभी भी उच्च स्तर पर बने हुए हैं. इसके अलावा, इस साल मार्च में बिजली की थोक कीमतें 21.8% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गईं.

विनिर्माण मुद्रास्फीति दो अंकों में : विनिर्माण मुद्रास्फीति जो इस साल जनवरी और फरवरी में उच्च एकल अंकों में थी, मार्च में बढ़कर 10.71 फीसदी पर दोहरे अंकों में पहुंच गई. यह चिंता का विषय है.यह चिंता का विषय है क्योंकि विनिर्माण वस्तुओं की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई ही है, जिनकी थोक कीमतों पर सरकार नज़र रखती है.

रूस-यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव, जो 24 फरवरी को शुरू हुआ, विश्व अर्थव्यवस्था और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादातर नकारात्मक रहा, हालांकि इसके कुछ सकारात्मक संकेत भी हैं. सुनील सिन्हा का कहना है कि उच्च मुद्रास्फीति के कारण नॉमिनल जीडीपी उम्मीद से बेहतर रही है, जिससे पहले की तुलना में बहुत अधिक कर संग्रह हुआ है. दूसरे, रूस और यूक्रेन से गेहूं की आपूर्ति बाधित होने के कारण भारत अब वैश्विक बाजार में गेहूं का निर्यात कर रहा है. पिछले हफ्ते मिस्र ने अपने पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं रूस और यूक्रेन से आपूर्ति बाधित होने के कारण भारत से गेहूं की आपूर्ति को मंजूरी दे दी थी. भारत का गेहूं निर्यात निकट अवधि में उच्च स्तर पर रहने की उम्मीद है. सुनील सिन्हा ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने पूर्वानुमान में कहा कि कुल मिलाकर, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च को उम्मीद है कि अप्रैल 2022 से पिछले साल के उच्च आधार के बावजूद थोक मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 23 में उच्च एकल अंकों में रहेगी.

Last Updated :Apr 19, 2022, 11:05 AM IST
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