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काशी में सामूहिक आत्महत्या; अंधविश्वास में एक और परिवार खत्म! दिल्ली में 11 की हुई थी मौत

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 8, 2023, 9:29 AM IST

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Andhra Pradesh Family Suicide Case : आंध्र प्रदेश के एक ही परिवार के चार लोगों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए है. सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि चारों लोग यानी माता-पिता और दो बेटों ने एक साथ आत्महत्या क्या कर्ज से परेशान होकर की या कोई अंधविश्वास इसके पीछे था.

वाराणसी: दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के देवनाथपुर स्थित काशी कैलाश भवन के सेकेंड फ्लोर स्थित कमरा नंबर S6 में गुरुवार को आंध्र प्रदेश के रहने वाले एक ही परिवार के चार लोगों ने जान दे दी थी. सबसे बड़ी बात यह है कि उनके पास से मिले ढाई पन्ने के सुसाइड नोट में पुलिस ने उन तीन लोगों की पहचान की है जिनसे यह लोग रुपए लेकर अपना घर छोड़कर काशी आए थे.

पुलिस की जांच में यह बात स्पष्ट हुई है कि इन लोगों ने आंध्र प्रदेश के ही रहने वाले तीन अलग-अलग लोगों से 12 लाख रुपये लिए थे. छह लाख खर्च होने के बाद शेष रुपए जब यह वापस करने गए थे तो रुपए देने वालों ने ब्याज के साथ पूरी धनराशि वापस करने के लिए कहा था. ब्याज भी ज्यादा था और ली गई धनराशि से कहीं ज्यादा इन्हें वापस लौटाने के लिए कहा जा रहा था. इसके बाद से यह पूरा परिवार बेहद परेशान था.

सुसाइड नोट में क्या लिखाः सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि जिन लोगों से इन्होंने रुपए लिए थे, वह लोग लगातार इन्हें धमकियां दे रहे थे. परिवार को रुपए न लौटने पर जान से मारने की धमकी भी कुछ दिन पहले दी गई थी. जिसकी वजह से परिवार के सभी सदस्य परेशान थे. जिस धर्मशाला में यह परिवार रुका था, उसके मैनेजिंग ट्रस्टी सुंदर शास्त्री ने बताया कि आंध्र प्रदेश के रहने वाले कोंडा बाबू 50 वर्ष उनका बेटा राजेश 25 वर्ष, कोंडा बाबू की पत्नी लावण्या 45 वर्ष और छोटा बेटा जयराज 23 वर्ष सभी ने कल एक साथ एक कमरे में आत्महत्या की थी.

आत्महत्या का सामान धर्मशाला के पास से ही खरीदा गयाः सबसे बड़ी बात यह है कि इन सभी ने अपनी मौत का सारा सामान आसपास से ही खरीद होगा, क्योंकि पुलिस को कुछ ऐसी चीज मिली थी जो यह स्पष्ट कर रही थी कि इस परिवार ने काशी में जान देने के उद्देश्य से ही डेरा डाला था. अब तक की जांच में यह पता चला है कि तीन लोगों जिनमें माता-पिता और छोटे बेटे ने पहले आत्महत्या की. इसके बाद राजेश ने खुदकुशी की. तीन लाश पूरी तरह से अकड़ चुकी थी, जबकि राजेश की लाश कुछ नॉर्मल थी.

खुदकुशी से पहले की गई पूजा, चारों के हाथ में था कलावा, माथे पर तिलकः इस घटना ने दिल्ली के बुराड़ी में 11 लोगों के सामूहिक सुसाइड के दृश्य को ताजा कर दिया. अक्टूबर 2018 में एक ही परिवार के 11 लोगों के इसी तरह आत्महत्या किए जाने के मामले के बाद कुछ सुसाइड केस में भी ऐसी चीजें सामने आई हैं, जो कहीं ना कहीं अंधविश्वास की तरफ मामले को ले जा सकती है. पुलिस जांच में यह पता चला है कि चारों ने अपनी जान देने से पहले कमरे में पूजा पाठ भी की थी. पास में एक कुमकुम की शीशी भी बरामद हुई है. जिससे मरने से पहले चारों ने एक दूसरे के मस्तक पर तिलक भी लगाया था. एक पॉलिथीन में रोली और चंदन भी मिला है. चारों के हाथ में कलावा भी बंधा था.

रस्सी बांधने का तरीका एक जैसा थाः चारों ने आत्महत्या के लिए जिस नायलॉन की रस्सी का इस्तेमाल किया गया, उसका साइज और उसे गाटर पर लगे हुक के जरिए बांधने का तरीका भी एक ही था. ऐसा माना जा रहा है किसी एक ही व्यक्ति ने यह चारों फंदे तैयार किए थे. चार रस्सी में से दो एक रंग की और दो एक रंग की थी. घर के दोनों कमाने वाले सदस्यों जिसमें कोंडा बाबू और राजेश की रस्सी नीले रंग की थी और लावण्या और छोटे बेटे जयराज की रस्सी पीले रंग की थी.

हर कमरे में एक हुक होता है, इस कमरे में चार अतिरिक्त हुक थेः चारों के शव में लगभग एक-एक फिट का ही फासला था और चारों का चेहरा एक दूसरे के सामने था. इसके अलावा परिवार ने जिस लोहे के हुक के सहारे फंदा लटकाया गया वह भी कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है, क्योंकि चारों गाटर पर अलग से लगाए गए प्रतीत हो रहे थे. इन हुक का इस्तेमाल गाटर पर पंखा लटकाने के लिए किया जाता है. हर कमरे में पंखा लटकाने के लिए एक हुक ही काफी होता है.

कमरे लगे हुक की कहानी भी है अलगः जिस हिसाब से कमरे की लंबाई और चौड़ाई थी वह स्पष्ट कर रहा था कि यह हुक कभी इन लोगों ने अलग से ही लगाए थे. चार हुक एक निश्चित दूरी पर लगे थे. कमरे में एक हुक पर पंखा लटका था, जबकि इन चार हुक्स पर कोई पंखा नहीं था, इसके बाद यह स्पष्ट होता है कि परिवार के लोगों ने ही इन चारों हुक को लगाकर अपने जीवन को समाप्त करने का काम किया होगा.

आंध्र प्रदेश में लोन देने वाले तीन लोगों से पुलिस करेगी पूछताछः एसीपी दशाश्वमेध अवधेश पांडेय का कहना है कि अभी तक की जांच में जिन तीन लोगों का नाम सामने आया है, उनसे पूछताछ के लिए आंध्र प्रदेश पुलिस से संपर्क किया जा चुका है. वह तीनों वहीं के लोकल लोग हैं और उनसे आज पूछताछ की जा सकती है. आंध्र प्रदेश पुलिस परिवार के अन्य लोगों से भी संपर्क की कोशिश कर रही है, क्योंकि धर्मशाला में मिले दस्तावेजों में इन चारों के परिवार के किसी अन्य सदस्य का नंबर अभी तक नहीं हासिल हुआ है.

चारों के अन्य परिवार वालों की तलाश कर रही पुलिसः लोकल पुलिस की मदद से आंध्र प्रदेश के परिवार से संपर्क का प्रयास भी किया जा रहा है. चारों का शव फिलहाल पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा चुका है. परिवारजन यदि आएंगे तो दाह संस्कार की रस्म परिवार वाले ही निभाएंगे. इन सभी मामलों में एक बात और जांच के दायरे में है.

मोक्ष की चाह में भी काशी आकर जान देते हैं लोगः आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से अक्सर लोग काशी में मोक्ष की चाह लेकर आते हैं. 2012 में इसी तरह एक मां बेटी ने आंध्र प्रदेश से आने के बाद गेस्ट हाउस में अपनी जीवन लीला सिर्फ इसलिए समाप्त की थी उन्हें लगा था काशी में मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष मिलेगा. अभी कुछ दिन पहले भी गंगा घाट पर आंध्र प्रदेश के एक लोकल व्यक्ति ने अपनी जान दी थी. उसमें जांच में भी यही बात सामने आई थी की मुक्ति की चाह में उसने अपनी जीवन लीला को समाप्त किया था.

प्राकृतिक मौत पर ही मोक्ष की होती है प्राप्तीः विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि अकाल मृत्यु की स्थिति में मोक्ष की कामना नहीं की जा सकती, यह गलत है. यह संभव ही नहीं है. जब मृत्यु प्राकृतिक होगी तो ही मोक्ष और मुक्ति काशी में मिल सकती है, क्योंकि समय से पहले मृत्यु में भगवान शिव तारक मंत्र नहीं देते लेकिन प्राकृतिक मृत्यु में हर प्राण त्यागने वाले को काशी में तारक मंत्र की प्राप्ति होती है, जो मुक्ति का मार्ग अग्रसर करती है.

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