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Patna Opposition Meeting: नीतीश के संयोजक बनने के बाद राजनीति में आ सकता ये बदलाव, 5 बिंदुओं से समझिए

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Published : Jun 23, 2023, 4:29 PM IST

विपक्षी एकता को मजबूत करने और उसकी बैठक कराने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही है. पूरे देश में घूम घूम कर भाजपा विरोधी नेताओं से मुलाकात की.आज विपक्षी एकता की अहम बैठक है. उम्मीद है कि उन्हें संयोजक बनाया जा सकता है. आइये जानते हैं कि अगर नीतीश को संयोजक बनाया गया तो देश और बिहार की राजनीति क्या बदलाव आ सकता है.

Nitish Coordinator
Nitish Coordinator

पटना: राजधानी पटना में विपक्षी एकता के लिए भाजपा विरोधी दल के नेताओं की बैठक आज शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर शुरू हुई. इस बीच यह खबर निकलकर सामने आ रही है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी एकता के लिए संयोजक चुना जा सकता है. 5 बिंदु से समझिए नीतीश कुमार के संयोजक बनने के बाद किस तरह से देश और राज्य की राजनीति बदलेगी.

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विपक्षी एकता के लिए कैंपेन करेंः संयोजक बनने के बाद नीतीश कुमार पर यह दबाव बनेगा कि वह मुख्य बिहार के मुख्यमंत्री का पद छोड़कर पूरे देश में विपक्षी एकता के लिए कैंपेन करें. जो दल छूट गए हैं उसे एकजुट करें और आने वाले समय में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए सब को एक मंच पर लाएं.

तेजस्वी यादव को मिलेगा मौकाः नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद छोड़ते हैं तो इससे सबसे बड़ा फायदा तेजस्वी यादव को होगा. तेजस्वी यादव फिलहाल बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं और नीतीश कुमार जैसे ही मुख्यमंत्री पद छोड़ेंगे वैसे ही तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के दावेदार बन जाएंगे. ऐसे में बिहार को तेजस्वी यादव के रूप में नया मुख्यमंत्री मिल सकता है.

ललन सिंह हो सकते हैं उपमुख्यमंत्रीः पिछले 18 सालों से जदयू बिहार में सत्तारूढ़ दल बन कर रहा है. नीतीश कुमार उसके सर्वोच्च नेता बन कर रहे हैं. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद छोड़ते हैं तो जदयू की तरफ से उपमुख्यमंत्री के लिए एक नाम देना होगा. यह नाम जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का हो सकता है.

भाजपा की राजनीति तेज हो जाएगीः मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद नीतीश कुमार को पूरे देश में विपक्षी दलों को एक सूत्र में बांधने की बड़ी चुनौती होगी. उन्हें हर वक्त सभी विपक्षी नेताओं को भाजपा के खिलाफ मजबूती से खड़ा रखने की चुनौती होगी. जैसे ही विपक्षी एकता की तरफ से संयोजक के रूप में नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लग जाएगी. उसके बाद भाजपा की राजनीति तेज हो जाएगी और उस समय नीतीश कुमार को मजबूती से उनके सामने खड़ा होना पड़ेगा.

राष्ट्रीय फलक पर नीतीश का कद बढ़ जाएगाः विपक्षी एकता के संयोजक बनने के बाद नीतीश कुमार खुलकर नरेंद्र मोदी के सामने राजनीतिक लड़ाई के लिए खड़े हो जाएंगे. अब नीतीश कुमार का मुकाबला नरेंद्र मोदी से होगा. ऐसे में नीतीश कुमार की राष्ट्रीय फलक पर कद बढ़ जाएगा. भले जदयू क्षेत्रीय दल हो लेकिन नीतीश कुमार के संयोजक बनने के बाद राष्ट्रीय स्तर के नेता बन जाएंगे.

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