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भारत में अफगानी राजनयिक ने शांति वार्ता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से किया आग्रह

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Published : Apr 5, 2021, 8:49 PM IST

ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी के साथ विशेष साक्षात्कार के दौरान भारत में अफगान राजनयिक फरीद मामुंजे ने कहा कि अफगानिस्तान जो उग्रवाद के खिलाफ है, शांति वार्ता के प्रयासों के बावजूद वर्ष 2020 में क्रूरता में वृद्धि हुई है. फरीद ने शांति प्रक्रिया में भारत के प्रयासों की सराहना की है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से अनुरोध किया है कि वे विद्रोही समूहों पर सामूहिक रूप से दबाव डालकर शांति का मार्ग अपनाने के लिए कहें.
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नई दिल्ली : आगामी इंट्रा-अफगान वार्ता, 16 अप्रैल को आयोजित होने की संभावना है. भारत के लिए अफगान राजनयिक फरीद मामुंजे ने ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में अफगानिस्तान में वर्तमान परिदृश्य के बारे में बात की. साथ ही शांति वार्ता से अफगान से क्या उम्मीदें हैं, इस पर भी बात की है.

मामुंजे ने कहा कि हिंसा और उग्रवाद जो आज अफगानिस्तान में है, वह गृह युद्ध नहीं है. हम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से लड़ रहे हैं और इसके लिए धन और संसाधनों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है. यदि हम भविष्य को देखें, तो हमें मजबूत समर्थन की जरूरत है. संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे प्रमुख सहयोगी हमारी सुरक्षा, रक्षा बलों को मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने में मदद करने के लिए है.

विशेष साक्षात्कार

प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत

फरीद ने कहा कि यह अफगानिस्तान या अफगान में लड़ रहे अफगानिस्तानियों का संघर्ष नहीं है. यूएनएससी की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि वे अंतरराष्ट्रीय लड़ाके हैं. अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की जेलें इस क्षेत्र और पूरी दुनिया को चिंतित और परेशान करती हैं. हम 9/11 या मुंबई में हुए आतंकी हमले जैसे हमले नहीं चाहते हैं. भविष्य में होने वाले इन हमलों को रोकने के लिए हमें पूरी तरह से समर्थन की जरूरत है.

हिंसा का रास्ता छोड़ना ही होगा

यह पूछे जाने पर कि क्या अफगानिस्तान में चल रही हिंसा के समाधान की उम्मीद की जा सकती है. मामुंजे ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इच्छा और रिजनल कंट्री (regional countries) के समर्थन को देखते हुए अगर वे हिंसा को छोड़ने के लिए तालिबान पर आवश्यक दबाव डालते हैं और वे हिंसा के रास्ते सत्ता में आने के विचार से से पीछे हट जाते हैं तो हां समाधान संभव है.

अफगान राष्ट्रपति शांति के पक्षधर

मामुंजे ने कहा कि हमारे राष्ट्रपति जल्दी चुनाव कराने के लिए तैयार हैं. उन्होंने अपना आधे से ज्यादा समय शांति की खातिर बलिदान किया है. यह एक ऐसा अवसर है जो भविष्य में फिर कभी नहीं आ सकता है. इसलिए हम तालिबान से अनुरोध करते हैं कि वह मौजूदा मौके का इस्तेमाल करें व हिंसा को छोड़ दें और अफगान लोगों की इच्छा पर विश्वास करें.

शांति प्रक्रिया में भारत की मौजूदगी

उन्होंने आगे दोहराया कि अफगानिस्तान शांति संबंधी सभी प्रयासों में भारत की उपस्थिति चाहता है. उन्होंने कहा कि भारत की भागीदारी के बिना हम शांति प्रक्रिया को पूरी प्रक्रिया के रूप नहीं देखते हैं. भारत ने अफगान लोगों के लिए बहुत सारे संसाधनों का निवेश किया है और अफगान लोग उन सभी प्रक्रियाओं में एक विश्वसनीय भागीदारी चाहते हैं.

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मामुंजे ने कहा कि अफगान सरकार एक सार्थक प्रक्रिया में प्रवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है जो परिणाम देगा. हम एक जिम्मेदार तरीके से संघर्ष को समाप्त करेंगे. जहां अफगान संप्रभुता से समझौता नहीं किया जाएगा.

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