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जांजगीर चांपा के पास सक्ती में विराजी मां अष्टभुजी, आठ भुजाओं वाली माता के आशीर्वाद से पूरे जिले में बरसती है कृपा

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 19, 2023, 5:50 AM IST

South facing Maa Ashtabhuji statue in Janjgir
जांजगीर चांपा में विराजी मां अष्टभुजी

South facing Maa Ashtabhuji statue in Janjgir जांजगीर चांपा से अलग हुए सक्ती के अड़भार गांव में मां अष्टभुजी माता विराजमान हैं. मंदिर के आस-पास खुदाई करने पर आज भी अन्य खंडित मूर्तियां मिलती है. इस मंदिर का इतिहास जानने के लिए आगे पढ़े... Maa Ashtabhuji Temple in Sakti

जांजगीर चांपा: वैसे तो माता के कई मंदिर हैं. हर मंदिर का अपना खास महत्व है. वहीं, जांजगीर चांपा के अड़भार गांव में मां अष्टभुजी का मंदिर है. इस मंदिर में आठ भुजाओं वाली माता विराजमान हैं. पांचवी-छठवीं शताब्दी के अवशेष इस स्थान पर मिलते हैं. यहां दूसरे जिले से भी माता के भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

मां अष्टभुजी तक पहुंचने का रास्ता: जांजगीर चांपा से अलग हुए जिला सक्ती के अड़भार गांव का छत्तीसगढ़ में पर्यटन के क्षेत्र में अपना खास स्थान है. यहां दक्षिणमुखी विराजमान मां अष्टभुजी का मंदिर है. मंदिर को पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित किया गया है. सक्ती जिला में मुंबई हावड़ा रेल मार्ग पर सक्ती से दक्षिण पूर्व की ओर 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अड़भार में अष्टभुजी माता के मंदिर के नाम पर प्रसिद्ध है. पास के रेलवे स्टेशन सक्ती है. यहां से बस, कार या मोटर साइकिल से भी पहुंचा जा सकता है. सक्ती से 11 किलो मीटर की दूरी पर अड़भार गांव स्थित है.

यहां पांचवी-छठवीं शताब्दी के अवशेष इस स्थान पर मिलते हैं. इतिहास में अड़भार का उल्लेख अष्टद्वार के रूप में मिलता है. मां अष्टभुजी आठ भुजाओं वाली हैं यह बात तो अधिकांश लोग जानते हैं लेकिन देवी के दक्षिण मुखी होने की जानकारी कम लोगों को ही है. यहां माता दक्षिण मुखी विराजमान हैं. -मनोज गोस्वामी, पंडित

खुदाई करने पर मिलता है खंडित मूर्तियां: अड़भार गांव में आज भी खुदाई के दौरान मिलने वाले अवशेषों में पत्थरों की मूर्तियां मिलती है. अड़भार गांव लगभग 6- 7 किलोमीटर की परिधि में बसा हुआ है. यह नगर अपने आप में अजीब है. यहां हर 100 से 200 मीटर की खुदाई करने पर किसी न किसी देवी देवता की मूर्तियां खंडित अवस्था में मिलती है. आज भी यहां के लोगों को भवन, घर बनाते समय प्राचीन टूटी फूटी मूर्तियां या पुराने समय के सोने-चांदी के सिक्के, प्राचीन धातु के कुछ ना कुछ सामान मिलते रहते हैं.

मां अष्टभुजी की प्रतिमा है दक्षिणमुखी: मां अष्टभुजी की प्रतिमा ग्रेनाइट पत्थर से बनी है. आठ भुजाओं वाली मां की प्रतिमा दक्षिणमुखी भी है. पूरे भारत में कोलकाता की दक्षिण मुखी काली माता और छत्तीसगढ़ में जांजगीर-चांपा से अलग हुए नवीन सक्ती जिले के मालखरौदा ब्लॉक अंतर्गत नगर पंचायत अड़भार की दक्षिणमुखी अष्टभुजी देवी के अलावा और कहीं की भी देवी की प्रतिमा दक्षिणामुखी नहीं है.

8 द्वार के कारण गांव का नाम पड़ा अड़भार: सिद्धमाता अष्टभुजी का मंदिर दो विशाल इमली पेड़ के नीचे स्थित है. दक्षिण मुखी मूर्ति के ठीक दाहिने में देगुन गुरु की प्रतिमा योग मुद्रा में विराजीं है. प्राचीन इतिहास में 8 द्वार का उल्लेख अष्ट द्वार के नाम से मिलता है. अष्टभुजी माता का मंदिर और इस नगर के चारों ओर बने 8 विशाल दरवाजों की वजह से इसका प्राचीन नाम अष्ट द्वार पड़ा. हालांकि धीरे-धीरे अपभ्रंश होकर इसका नाम अड़भार हो गया.

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