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SPECIAL: 'आधी' हुई अन्नदाता की खुशी, मजबूरी में मंडी में बेच रहे धान

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Published : Nov 12, 2020, 11:30 AM IST

कोरोना संक्रमण और अब धान खरीदी में देरी ने छत्तीसगढ़ के किसानों को परेशान कर दिया है. दिवाली का खर्चा और मजदूरों का भुगतान करने के लिए किसानों ने अपना धान आधे रेट में मंडियों में बेचना शुरू कर दिया है.

Farmers selling paddy in half rate
आधे रेट में धान बेच रहे किसान

राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में सरकार और विपक्ष भले किसानों के हक में बात करने का दावा करते हों लेकिन हकीकत खेतों और मंडियों में देखने को मिल जाएगी. पहले कोरोना संक्रमण और अब धान खरीदी में देरी ने प्रदेश के किसानों को परेशान कर दिया है. दिवाली का खर्चा, मजदूरों का भुगतान करने के लिए किसानों ने अपना धान आधे रेट में मंडियों में बेचना शुरू कर दिया है. बात अगर राजनांदगांव जिले की करें तो यहां करीब 1000 किसानों ने लगभग चार करोड़ 82 लाख 65 हजार रुपए का ध्यान मंडी में बेच दिया है.

आधे रेट में धान बेच रहे किसान

आधे रेट में धान बेचने से किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है. सरकार जब धान खरीदती है तो उन्हें 25 रुपए प्रति क्विंटल मिलते हैं. लेकिन यहां महज 1200 रुपए में संतोष करना पड़ रहा है. यानी सीधे आधे दाम का नुकसान किसान उठा रहे हैं और उनकी मजबूरी समझने वाला कोई नहीं है. किसान कहते हैं कि धान खरीदी में देरी से उन्हें उठाव और फिर इसमें आने वाले खर्च को उठाने में परेशानी होगी.

पढ़ें- बिलासपुर: धान खरीदी में देरी से किसान परेशान, सता रही भंडारण की समस्या

किसान मंडी पहुंचकर धान बेच रहे हैं

delay paddy purchase
किसानों की मजबूरी

अब तक राजनांदगांव जिले से तकरीबन 1000 किसानों ने चार करोड़ 82 लाख 65 हजार रुपए का ध्यान मंडी में भेज दिया है. 6 अक्टूबर से कृषि उपज मंडी में धान खरीदी शुरू की गई है और लगातार किसान मंडी में पहुंचकर अपना धान बेच रहे हैं. जिले के तकरीबन एक हजार से अधिक किसानों ने 32510 क्विंटल धान मंडी में व्यापारियों को बेच दिया है. इसके एवज में चार करोड़ 82 लाख 65000 रुपए का भुगतान किसानों को किया गया है.

सरकार ऐसे करती है भुगतान

delay paddy purchase
आधे रेट में धान बेच रहे किसान

राज्य सरकार के समर्थन मूल्य पर की जाने वाली धान खरीदी में किसानों को प्रति क्विंटल 2500 रुपए दिए जाते हैं. ये राशि 1810 से 1836 रुपए समर्थन मूल्य के जरिए और शेष राशि राजीव गांधी न्याय योजना के तहत दी जाती है. इस प्रकार प्रत्येक किसान को प्रति क्विंटल 2500 की राशि का भुगतान किया जाता है लेकिन मंडी में धान बेचने पर किसानों को 12 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जा रहा है. धान खरीदी वक्त पर शुरू होती तो शायद किसानों को ये नुकसान नहीं होता.

पढ़ें-रायगढ़: धान खरीदी के लिए 7 हजार से ज्यादा किसानों ने कराया पंजीयन, किसान बढ़े लेकिन रकबा हुआ कम

मंडी सचिव आरके साहू का कहना है कि किसान लगातार मंडी का रुख कर रहे हैं. अब तक 1000 से अधिक किसानों ने अपना धान मंडी में बेचा है. तकरीबन 20 दिन में 20 करोड़ रुपए तक के धान की आवक होने की उम्मीद है.

धान खरीदी के लिए दिशा निर्देश जारी

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सीईओ सुनील कुमार वर्मा का कहना है कि राज्य शासन के निर्देश के अनुसार 1 दिसंबर से सरकारी धान खरीदी किए जाने के आदेश आ चुके हैं. सभी सोसाइटियों के माध्यम से धान खरीदी किए जाने को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं. वे कह रहे हैं कि तैयारी पूरी हो चुकी है एक दिसंबर से सरकारी खरीदी प्रारंभ की जाएगी.

फैक्ट फाइल-

  • जिले में तकरीबन 1 लाख 62000 किसानों किसानों ने इस बार खरीफ की फसल ली है.
  • वर्तमान में कृषि उपज मंडी में धान 12 सौ से लेकर 1400 रुपए प्रति क्विंटल तक बेचा जा रहा है.
  • किसानों को सीधे तौर पर प्रति क्विंटल 13 सौ रुपए का नुकसान हो रहा है.
  • अब तक जिले के 1000 किसान मंडी में 32510 क्विंटल धान भेज चुके हैं.
  • किसानों को अब तक चार करोड़ 82 लाख 65000 रुपए का भुगतान किया जा चुका है.
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