रायगढ़: प्रदेश में धान खरीदी 1 दिसंबर से शुरू होगी. उसके पहले किसानों का पंजीयन किया जा रहा है. रायगढ़ जिले में बोगस किसानों के धान पंजीयन रोकने के लिए इस बार प्रशासन कई तरह से जांच करवा रहा है.
किसानों के पंजीयन के लिए पहले 31 अक्टूबर की तारीख तय की गई थी, लेकिन किसानों की संख्या ज्यादा होने के चलते यह तारीख 10 नवंबर कर दी गई. इस बार पंजीयन में जिले में किसानों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन रकबा में कटौती नजर आ रही है. खरीफ विपरण वर्ष 2020 21 धान खरीदी के लिए हुए पंजीयन में पिछले साल के मुकाबले 7 हजार किसानों ने ज्यादा पंजीयन कराया है.
किसान बढ़े हैं लेकिन रकबा क्यों कम हुआ
सहायक पंजीयन अधिकारी शिल्पा अग्रवाल ने बताया कि खरीफ विपरण वर्ष 2019-20 में धान खरीदी के लिए 94 हजार 667 किसानों का पंजीयन हुआ था. जिसमें से 1 लाख 49 हजार हेक्टेयर रकबा शामिल था. जबकि इस साल अब तक 95 हजार 140 किसानों का पंजीयन हो चुका है जिनमें से 1 लाख 33 हजार हेक्टेयर रकबा खेती में शामिल हैं. जिले में नए किसानों की संख्या 9 हजार 234 हैं जिनके 159 हेक्टेयर का रकबा एंट्री होना बाकी है. रकबा में कटौती को लेकर कहना है कि वास्तविक गिरदावरी हुई है, जिसमें पटवारी और कृषि विभाग के अधिकारी किसानों के खेत में जाकर सर्वेक्षण किए हैं. इस लिहाज से रकबा कम हुआ है. इससे पहले ग्राउंड में जाकर सर्वे नहीं हुआ था इसलिए रकबा बढ़ा हुआ था
क्या होती है गिरदावरी
गिरदावरी में राजस्व विभाग से संबंधित पटवारी और कृषि विभाग से संबंधित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी किसानों के खेतों में जाकर उनकी फसल के क्षेत्रफल का नाप कर सर्वेक्षण करते हैं. इस पूरी प्रक्रिया को ही गिरदावरी कहा जाता है. इस बार धान खरीदी से पूर्व किसानों के पंजीयन के लिए गिरदावरी कराया गया है और जिन किसानों ने अपने जितने भू-भाग में धान की खेती की है, केवल उसी को ही पंजीकृत किया गया है. यदि किसी किसान के पास 4 एकड़ की जमीन है और वो 2 एकड़ में धान की खेती करता है तो उसके लिए 2 एकड़ का ही पंजीयन हो रहा है. इस कारण इस बार रकबा में कमी आई है.