World Rose Day 2022: वर्ल्ड रोज डे पर जानिए छत्तीसगढ़ में कैंसर के इलाज की क्या है व्यवस्थाएं ?

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Published : Sep 21, 2022, 4:58 PM IST

Updated : Sep 22, 2022, 3:30 PM IST

World Rose Day 2022

World Rose Day 2022 कैंसर एक गंभीर बीमारी है. इस जानलेवा रोग को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 22 सितंबर को वर्ल्ड रोज डे मनाया जाता है Welfare of Cancer Patients. 22 सितंबर को वर्ल्ड रोज डे इसलिए मनाया जाता है क्योंकि साल 1974 में इसी दिन कनाडा की बच्ची मेलिंडा रोज की मौत कैंसर से हो गई थी September 22 World Rose Day. मेलिंडा रोज को ब्लड कैंसर था cancer treatment facility in mekahara hospital raipur.

रायपुर: कैंसर काफी घातक बीमारी है (World Rose Day 2022). इस बीमारी का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं. लाइफ स्टाइल में हो रहे बदलाव और आधुनिकता के दौर में कैंसर बीमारी ने लोगों को और जकड़ लिया है (Welfare of Cancer Patients). चिकित्सा सुविधाओं में विकास हो रहा है. उसके बाद भी कैंसर से पूरी तरह निजात नहीं पाया जा सका है. 22 सितंबर को पूरे विश्व में रोज डे वेलफेयर फॉर कैंसर पेशेंट मनाया जाता है ( September 22 World Rose Day). यह दिन कनाडा की 12 साल की लड़की मेलिंडा रोज की याद में मनाया जाता है. रोज डे वेलफेयर फॉर कैंसर पेशेंट पर ईटीवी भारत आपको यह बताने की कोशिश कर रहा है कि छत्तीसगढ़ में कैंसर के इलाज के लिए कैसी व्यवस्था है. रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में कैंसर का इलाज कैसे होता है. ईटीवी भारत ने मेकाहारा के कैंसर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉक्टर प्रदीप चंद्राकर से बातचीत की है (cancer treatment facility in mekahara hospital raipur).

रोज डे वेलफेयर फॉर कैंसर पेशेंट


छत्तीसगढ़ में कैंसर के इलाज के लिए कैसी सुविधाएं: मेकाहारा में कैंसर विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर प्रदीप चंद्राकर ने बताया कि साल 2003 से क्षेत्रीय कैंसर संस्थान छत्तीसगढ़ में है. जहां कैंसर के इलाज और टेस्टिंग के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध है. पूरे छत्तीसगढ़ से यहां कैंसर के मरीज इलाज के लिए आते हैं. हर साल दो से तीन लाख कैंसर मरीजों का टेस्ट और इलाज यहां किया जाता है.

छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में सुविधाओं पर एक नजर

क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में कैंसर के इलाज के लिए कई तरह की सुविधाएं हैं.

  • रेडियोलॉजी लैब : यहां रेडियोलॉजी लैब की सुविधाएं हैं जिसमें रेडियोथैरेपी की 3 बाहरी सिकाई और एक अंदरूनी सिकाई यूनिट है. यहां कुल टोटल 4 हाईटेक मशीन लगाई गई है.
  • सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट : कैंसर के सर्जरी के लिए हमारे पास स्पेशल सर्जिकल सर्जिकल ऑन्कोलॉजी है. इस डिपार्टमेंट में 4 सर्जन हैं. हर महीने इनके पास में कम से कम 70 से 100 सर्जरी होती है.
  • कीमोथेरेपी लैब : कीमोथेरेपी लैब भी क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में हैं. सभी तरह की कीमोथेरेपी यहां पर की जाती हैं.
  • पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी : पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी का भी हमारे संस्थान में सेपरेट रूम है. संस्थान में बच्चों के कैंसर का विशेष रुप से ध्यान दिया गया है. बच्चों के लिए अलग से इसके लिए वार्ड क्रिएट किया गया है. जहां स्पेशली बच्चों के देखभाल के लिए स्टाफ रखे गए हैं.
  • डाइट सपोर्ट : कमजोरी की वजह से कहीं ना कहीं कैंसर के इलाज में परेशानी होती है. इसके लिए स्पेशली हमने एक डाइटिशियन भी रखा है. जिससे कैंसर मरीजों को डाइट सपोर्ट दिया जाता है.इसके अलावा ब्रेकीथैरेपी , कोबाल्ट, मेमोग्राफी , कैंसर आईसीयू , लीनियर एक्ससल्टेर , कंप्यूटराइज ट्रीटमेंट प्लनिंग कक्ष भी है.

कैंसर अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर संसाधन और मशीनों की जरूरत: मेकाहारा कैंसर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ प्रदीप चंद्राकर ने बताया कि " जिस तरीके से क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में कैंसर का लोड बढ़ रहा है. उस हिसाब से हमारे पास कुछ डायग्नोसिस और थेरेपी की मशीनें और उपलब्ध हो जाए. कैंसर की सिकाई के लिए ब्रेकीथैरेपी की मशीनें हमारे पास अवेलेबल है. लेकिन एक और मशीनें अगर हमारे पास अवेलेबल हो जाए तो लोगों को हम ज्यादा अच्छे से इलाज कर पाएंगे."

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छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे कैंसर के मरीज: कैंसर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ प्रदीप चंद्राकर ने बताया " हर साल प्रदेश में कैंसर के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल मेकाहारा के कैंसर डिपार्टमेंट में हर साल 5 हजार से 6 हज़ार नए कैंसर के मरीज आते हैं. वहीं प्रदेश में हर साल लगभग 50,000 कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. इसका कारण कहीं ना कहीं हमारे लाइफस्टाइल से रिलेटेड होता है. क्योंकि हमारा लाइफस्टाइल तेजी से बदल रहा है.

ब्रेस्ट और लंग कैंसर के मरीज प्रदेश में तेजी से बढ़े: कैंसर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ प्रदीप चंद्राकर ने बताया कि " अभी जो हमारे पास मरीज आ रहे हैं. ट्रेंड पहले के मुकाबले अब थोड़ा चेंज हुआ है. पहले हमारे पास मुंह और गले के कैंसर के मरीज ज्यादा आते थे. लेकिन पिछले कुछ समय से प्रदेश में ब्रेस्ट कैंसर के मरीज ज्यादा मिल रहे हैं. ब्रेस्ट कैंसर के मरीज एक अनुपात में तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके अलावा पहले लंग कैंसर कम मिलता था. लेकिन अब लंग कैंसर ज्यादा मिल रहा है. खासकर महिलाओं में लंग कैंसर के मरीज ज्यादा देखने को मिले हैं."

जानें ब्रेस्ट कैंसर और लंग कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह

  1. तेजी से बदलती लाइफ स्टाइल
  2. लेट मैरिज या ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराना
  3. शादी के बाद लेट से बच्चा होना
  4. 6 महीने तक बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराई जाती है.
  5. ज्यादा ऑयली फूड , फैट और धूम्रपान जैसी चीजों की वजह से भी ब्रेस्ट और लंग कैंसर बढ़ते हैं.

कैंसर के कितने स्टेज होते हैं.

  1. पहले स्टेज में कैंसर एक ऑर्गन में होता है और धीरे-धीरे कैंसर की वजह से वह ऑर्गन खराब होने लगते हैं. पहले स्टेज में उसको डिटेक्ट कर लेने से जल्दी इलाज से व्यक्ति जल्दी ठीक हो सकता है.
  2. पहली अवस्था में कैंसर डिटेक्ट नहीं होने के बाद कैंसर दूसरी अवस्था में आसपास के ऑर्गन को भी खराब करना शुरू कर देता है.
  3. तीसरे स्टेज में कैंसर आसपास के ऑर्गन को पूरी तरह खराब करना चालू कर देता है. जिससे इलाज करने में भी काफी ज्यादा मुश्किलें आती है.
  4. चौथी स्टेज में जिस ऑर्गन में कैंसर हुआ रहता है उस ऑर्गन के अलावा आसपास के ऑर्गन में भी कैंसर का फैलाव इतना ज्यादा हो जाता है कि इलाज करना काफी मुश्किल हो जाता है.

कैंसर की पहचान कैसे करें: कैंसर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ प्रदीप चंद्राकर ने बताया कि " खासकर वह कैंसर जो बॉडी के अंदर होता है जैसे स्टमक कैंसर , लंग कैंसर , पैंक्रियाज कैंसर यह अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है और इसके सिम्टम्स काफी कॉमन होते हैं. जिस वजह से इसे डिटेक्ट कर पाना काफी मुश्किल होता है. अमूमन डायग्नोज होने पर स्टमक कैंसर , लंग कैंसर , पेनक्रियाज कैंसर स्टेज 3 पर ही मिलते हैं. जहां पर इलाज में डॉक्टर को रिजल्ट दे पाना काफी मुश्किल होता है.

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कैंसर मरीजों के परिजनों ने क्या कहा: एक कैंसर मरीज के परिजन कैलाश कुमार से हमने बात करने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि मेरी मां को कैंसर है. उनको दिखाने उन्हें लेकर में यहां आया हूं. यहां कैंसर रिलेटेड इलाज की अच्छी व्यवस्था है. यहां के डॉक्टर अच्छे हैं. अच्छे से बात भी करते हैं. अभी मेरी माताजी का इलाज चल रहा है. इसके लिए यहां किराए से घर लेकर हमें रोज यहां आना पड़ता है. डायग्नोसिस के लिए हमें टाइम दिया जाता है उस टाइम पर आकर हम डायग्नोसिस करा लेते हैं.

Last Updated :Sep 22, 2022, 3:30 PM IST
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