क्षेत्र आधारित कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं को प्रोत्साहित करे सरकार : संसदीय समिति

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Published : Sep 15, 2022, 6:35 PM IST

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देश में कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच संसदीय समिति ने क्षेत्र आधारित कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया है. समिति ने 139 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

नई दिल्ली: भारत में कैंसर की घटनाओं के लिए भौगोलिक कारक भी जिम्मेदार है. संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने सरकार को एक विशिष्ट क्षेत्र में कैंसर के कारणों को समझने और निष्कर्ष के साथ आने के लिए क्षेत्र आधारित कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया है (cancer research projects).

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर राज्यसभा सांसद प्रो. राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा, 'कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कैंसर की विभिन्न घटनाओं पर अध्ययन भी शामिल होना चाहिए. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर के मामलों की बढ़ती घटनाओं के लिए महत्वपूर्ण समाधान होना चाहिए.'

यादव ने हाल ही में नई दिल्ली में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) को अपनी 139 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. पश्चिमी और मध्य भारत में मुंह और जीभ का कैंसर देखा गया है. रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद क्षेत्र में पुरुषों में मुंह के कैंसर के ज्यादा मामले हैं, जबकि भोपाल में महिलाओं में जीभ के कैंसर के मामले ज्यादा हैं. महाराष्ट्र में भी ये कैंसर महिला और पुरुषों दोनों में ज्यादा है, जबकि वे विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में बहुत कम थे. इसी तरह, इन कैंसर के ज्यादा मामले मेघालय में देखे जाते हैं. नासॉफिरिन्जियल कैंसर नागालैंड में थोड़ा अधिक पाया है.

गॉल ब्लैडर (gall bladder) का कैंसर उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में तेजी से पाया जा रहा है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'पहले के रिकॉर्ड ने उच्च जोखिम वाले भौगोलिक बैंड में पित्ताशय के कैंसर की अपेक्षाकृत उच्च आवृत्ति पर हमारा ध्यान आकर्षित किया है, जो पश्चिम में पंजाब से पूर्व में पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में फैला हुआ है.' हाल की रिपोर्टों के अनुसार, उत्तरी नदी के मैदानों (दिल्ली) में और ब्रह्मपुत्र (कामरूप-असम) नदी के किनारे वाले इलाकों में पित्ताशय के कैंसर के मामले ज्यादा सामने आए हैं.'

थाइरॉइड का कैंसर : विशेषकर महिलाओं में, थाइरॉइड का कैंसर (cancer of the thyroid) उत्तर-पूर्वी राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक होता है. तुलनात्मक रूप से, थायरॉइड के कैंसर की ज्यादा घटनाएं देश के दक्षिण-पश्चिमी तटीय सिरे से दर्ज की गई हैं, जैसा कि तिरुवनंतपुरम और कोल्लम जिलों के आंकड़ों से स्पष्ट है.

रिपोर्ट में कहा गया है, 'पूर्वोत्तर राज्यों में मिजोरम, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम के मामले पेट और अन्नप्रणाली के कैंसर (दोनों लिंगों में) के साथ स्पष्ट भौगोलिक संबंध दिखाती हैं.'

किशोरों और युवा वयस्कों (एवाईए) में कैंसर के संबंध में समिति को बताया गया था कि 2012-2016 की अवधि के दौरान 15 से 39 वर्ष आयु वर्ग में प्रति 100,000 पुरुषों पर 22 मामले और महिलाओं में प्रति एक लाख पर 29.2 मामले सामने आए. सभी कैंसर के लिए AYA कैंसर का सापेक्ष अनुपात नागपुर में पुरुषों में (17.7 प्रतिशत) और नागालैंड (26.9 प्रतिशत) में महिलाओं के लिए सबसे अधिक था.

अपने जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने समिति को बताया कि सरकारी स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणाली में विभिन्न स्तरों पर कैंसर का निदान और उपचार किया जा रहा है जिसमें उपकेंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिला अस्पताल शामिल हैं. तृतीय स्तर (tertiary level) पर सुविधा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार कैंसर केंद्र (टीसीसीसी) देखभाल को मजबूत करने की योजना लागू कर रही है. इस योजना के तहत 39 एससीआई और टीसीसीसी को मंजूरी दी गई है.

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत 22 नए एम्स की स्थापना और 75 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन का काम शुरू किया गया है. सभी 22 एम्स में कैंसर के इलाज की सुविधा की परिकल्पना की गई है.

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