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जानिए कौन थे नंदकुमार बघेल, जातिवाद के खिलाफ हमेशा रहे मुखर

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 8, 2024, 5:24 PM IST

Nandkumar Baghel छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पिता का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल 89 साल के थे. Bhupesh Baghel Father Nandkumar

Nandkumar Baghel
जानिए कौन थे नंदकुमार बघेल

रायपुर : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल लंबी बीमारी के बाद चल बसे.सोमवार सुबह रायपुर के बालाजी अस्पताल में इलाज के दौरान नंदकुमार बघेल ने आखिरी सांस ली.जिस समय पिता की मृत्यु हुई उस वक्त भूपेश बघेल पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली में थे.पिता की निधन की खबर सुनते ही भूपेश बघेल तत्काल दिल्ली से रायपुर वापस लौटे. अब विदेश से सगे संबंधियों के आने के बाद ही नंदकुमार बघेल का अंतिम संस्कार किया जाएगा.जिसकी सूचना खुद भूपेश बघेल ने दी है.

जातिवाद के खिलाफ थे नंदकुमार : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुरुदडीह गांव के मूल निवासी नंद कुमार बघेल हमेशा से ही जातिवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते आए हैं. प्रगतिशील किसान माने जाने वाले नंदकुमार बघेल ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया.इस दौरान वो चुनाव भी लड़े लेकिन कामयाबी नहीं मिली.

रावण को लेकर लिखी की किताब : जाति प्रथा और हिंदुत्व के खिलाफ बोलना नंदकुमार बघेल का गुण रहा है.2001 में नंद कुमार ने 'रावण को मत मारो’ नामक पुस्तक लिखी थी. पुस्तक में दशहरा में रावण का पुतला दहन को समाप्त करने का आह्वान किया गया था. जिसके बाद उनके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ा.इस किताब के विरोध के कारण पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की सरकार ने पुस्तक को प्रतिबंधित किया था.

पुस्तक में क्या था ? : नंद कुमार ने की पुस्तक वाल्मीकि रामायण, पेरियार की सच्ची रामायण, रामचरित मानस और मनु स्मृति के मिश्रण का एक नया स्वरूप है. बघेल ने किताब पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अपील भी की. लेकिन 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अदालत ने 2017 में नंदुकमार की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने पुस्तक को हिन्दू धर्म की मान्यताओं के विपरीत माना.साथ ही समाज पर नाकारात्मक असर डालने वाली सामग्री बताते हुए बैन जारी रखा.

बौद्ध धर्म के अनुयायी थे नंदकुमार : 1970 के दशक में बौद्ध धर्म अपनाने के बाद बघेल का जाति-विरोधी रुख और भी कट्टर हो गया.नंद कुमार ने कभी भी राजनीति में सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लिया, केवल 1980 के दशक में एक बार स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दुर्ग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था.इसके अलावा वो बसपा और जनता पार्टी के सहयोगी भी रहे.

ब्राह्मणों के खिलाफ थे नंदकुमार :नंद कुमार ने 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेतृत्व को पत्र लिखा था. नंदकुमार ने पार्टी के करीब 85 प्रतिशत टिकट एससी-एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को देने का आग्रह किया था. नंदकुमार ने ब्राह्मण,बनिया और ठाकुरों को टिकट देने से मना किया था. नंद कुमार बघेल ने कांग्रेस नेतृत्व को कहा था कि चुनाव जीतने के लिए पार्टी को ऐसा करना पड़ेगा. भूपेश बघेल उस समय पीसीसी अध्यक्ष थे.आलोचना होने के बाद भूपेश बघेल ने कहा कि नंदकुमार कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्य नहीं है.लिहाजा उनका वक्तव्य मायने नहीं रखता.

सीएम भूपेश ने पिता को भेजा था जेल : साल 2021 में लखनऊ में ब्राह्मणों को लेकर जब नंदकुमार बघेल ने लखनऊ में बयान दिया था. तब रायपुर में नंदकुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी.जिस पर सीएम भूपेश ने शासन में ही नंदकुमार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था.

धर्म को लेकर पिता पुत्र में मतभेद : साल 2019 में जब नंद कुमार बघेल की पत्नी का निधन हो गया, तो वह बौद्ध धर्म के अनुसार उनका अंतिम संस्कार करना चाहते थे. लेकिन सीएम ने आपत्ति जताई. आखिरकार सीएम भूपेश ने मां का अंतिम संस्कार हिंदू मान्यताओं के अनुसार ही कराया.लेकिन दूसरी तरफ नंदकुमार बघेल ने राजिम में बौद्ध धर्म के मुताबिक संस्कार किए.

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रायपुर : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल लंबी बीमारी के बाद चल बसे.सोमवार सुबह रायपुर के बालाजी अस्पताल में इलाज के दौरान नंदकुमार बघेल ने आखिरी सांस ली.जिस समय पिता की मृत्यु हुई उस वक्त भूपेश बघेल पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली में थे.पिता की निधन की खबर सुनते ही भूपेश बघेल तत्काल दिल्ली से रायपुर वापस लौटे. अब विदेश से सगे संबंधियों के आने के बाद ही नंदकुमार बघेल का अंतिम संस्कार किया जाएगा.जिसकी सूचना खुद भूपेश बघेल ने दी है.

जातिवाद के खिलाफ थे नंदकुमार : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुरुदडीह गांव के मूल निवासी नंद कुमार बघेल हमेशा से ही जातिवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते आए हैं. प्रगतिशील किसान माने जाने वाले नंदकुमार बघेल ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया.इस दौरान वो चुनाव भी लड़े लेकिन कामयाबी नहीं मिली.

रावण को लेकर लिखी की किताब : जाति प्रथा और हिंदुत्व के खिलाफ बोलना नंदकुमार बघेल का गुण रहा है.2001 में नंद कुमार ने 'रावण को मत मारो’ नामक पुस्तक लिखी थी. पुस्तक में दशहरा में रावण का पुतला दहन को समाप्त करने का आह्वान किया गया था. जिसके बाद उनके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ा.इस किताब के विरोध के कारण पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की सरकार ने पुस्तक को प्रतिबंधित किया था.

पुस्तक में क्या था ? : नंद कुमार ने की पुस्तक वाल्मीकि रामायण, पेरियार की सच्ची रामायण, रामचरित मानस और मनु स्मृति के मिश्रण का एक नया स्वरूप है. बघेल ने किताब पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अपील भी की. लेकिन 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अदालत ने 2017 में नंदुकमार की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने पुस्तक को हिन्दू धर्म की मान्यताओं के विपरीत माना.साथ ही समाज पर नाकारात्मक असर डालने वाली सामग्री बताते हुए बैन जारी रखा.

बौद्ध धर्म के अनुयायी थे नंदकुमार : 1970 के दशक में बौद्ध धर्म अपनाने के बाद बघेल का जाति-विरोधी रुख और भी कट्टर हो गया.नंद कुमार ने कभी भी राजनीति में सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लिया, केवल 1980 के दशक में एक बार स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दुर्ग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था.इसके अलावा वो बसपा और जनता पार्टी के सहयोगी भी रहे.

ब्राह्मणों के खिलाफ थे नंदकुमार :नंद कुमार ने 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेतृत्व को पत्र लिखा था. नंदकुमार ने पार्टी के करीब 85 प्रतिशत टिकट एससी-एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को देने का आग्रह किया था. नंदकुमार ने ब्राह्मण,बनिया और ठाकुरों को टिकट देने से मना किया था. नंद कुमार बघेल ने कांग्रेस नेतृत्व को कहा था कि चुनाव जीतने के लिए पार्टी को ऐसा करना पड़ेगा. भूपेश बघेल उस समय पीसीसी अध्यक्ष थे.आलोचना होने के बाद भूपेश बघेल ने कहा कि नंदकुमार कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्य नहीं है.लिहाजा उनका वक्तव्य मायने नहीं रखता.

सीएम भूपेश ने पिता को भेजा था जेल : साल 2021 में लखनऊ में ब्राह्मणों को लेकर जब नंदकुमार बघेल ने लखनऊ में बयान दिया था. तब रायपुर में नंदकुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी.जिस पर सीएम भूपेश ने शासन में ही नंदकुमार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था.

धर्म को लेकर पिता पुत्र में मतभेद : साल 2019 में जब नंद कुमार बघेल की पत्नी का निधन हो गया, तो वह बौद्ध धर्म के अनुसार उनका अंतिम संस्कार करना चाहते थे. लेकिन सीएम ने आपत्ति जताई. आखिरकार सीएम भूपेश ने मां का अंतिम संस्कार हिंदू मान्यताओं के अनुसार ही कराया.लेकिन दूसरी तरफ नंदकुमार बघेल ने राजिम में बौद्ध धर्म के मुताबिक संस्कार किए.

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