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सक्सेस स्टोरी : सिर्फ मैथ्स के समीकरण ही सॉल्व नहीं करते, फिल्मों की स्क्रिप्ट भी लिखते हैं सरकारी स्कूल के ये शिक्षक

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Published : Apr 2, 2022, 8:02 PM IST

Chhattisgarhi film writer Dilip Kaushik
छत्तीसगढ़ी फिल्म राइटर दिलीप कौशिक

यूं तो साहित्य या फिर कहानियां लिखने का शौक सबको नहीं होता. लेकिन जिसे यह लिखने का जुनून चढ़ जाता है, वह फिर ठहरता नहीं. आज हम आपको एक ऐसे शिक्षक से मिलवाएंगे जिनका सब्जेक्ट (Chhattisgarhi film writer Dilip Kaushik) तो मैथ्स है, लेकिन उनमें कहानियां लिखने का जुनून ऐसा है कि लिखते-लिखते वे अब फिल्मों के स्क्रिप्ट लिखने लगे हैं...

रायपुर : कहते हैं शौक और जुनून से बड़ी कोई चीज नहीं होती. पढ़ने-लिखने का शौक इस तरह सिर चढ़ जाए कि पढ़ने वाला फिल्मों के लिए लिखने लगे तो फिर क्या कहने. ऐसा ही वाकया (Chhattisgarhi film writer Dilip Kaushik ) छत्तीसगढ़ के शिक्षक दिलीप कौशिक के साथ भी हुआ है. स्कूल के समय में कविता लिखने और पढ़ने के शौक के कारण आज वे छत्तीसगढ़ी और भोजपुरी फिल्मों के लिए पटकथा और संवाद लिखने का काम कर रहे हैं. दिलीप शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला लिमतरा (मस्तूरी) में गणित के शिक्षक हैं. साथ-साथ वे स्कूल का प्रभार भी देख रहे हैं. ईटीवी भारत ने दिलीप कौशिक से खास बातचीत की. आइये जानते हैं उन्होंने क्या कहा, अपने इस सुहाने सफर के बारे में.

छत्तीसगढ़ी फिल्म राइटर दिलीप कौशिक

सवाल- आप गणित के शिक्षक हैं और फिल्मों के लिए लिख रहे हैं. शुरुआत आपकी कब से हुई?
जवाब - लिखने का शौक स्कूल के दिनों से था. कक्षा नवमी के दौरान कविता लिखा करता था. उस समय मुझे उपन्यास पढ़ने का बहुत शौक था. पढ़ते-पढ़ते मेरा लिखने का शौक बढ़ने लगा.

सवाल-आपने फिल्मों में लेखन के लिए कैसे अप्रोच की?
जवाब- फिल्म के लिए लेखन करना भी इत्तेफाक से ही हुआ. एक व्यक्ति ने कहा था कि वे फिल्में बनाना चाहते हैं. लेकिन मेरे मित्र ने कहा कि आप गाना लिखते हो तो फिल्मों के लिए भी लिखना शुरू करो. फिल्म में किस तरह का लेखन किया जाता है, मुझे यह पता नहीं था. बाद में मैं दो पन्नों पर संक्षेपण लिखकर प्रॉड्यूसर के पास पहुंचा. उन्हें वह बहुत पसंद आया. बाद में मैंने स्क्रिप्ट तैयार की. मैंने शुरुआत छत्तीसगढ़ी फिल्म "ससुराल" के लिए स्क्रिप्ट लिखने के काम से किया. सामान्य रूप से 55 से 60 सीन में एक फिल्म तैयार हो जाती है. लेकिन जब मैंने पहली बार लेखन किया, उसमें 130 सीन लिख दिए. क्योंकि मुझे जानकारी नहीं थी. बाद में फिल्म के सीन कम किए गए और फिल्म बनी.

सवाल- आपने अब तक कितनी फिल्में लिखी हैं?
जवाब-मैंने पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ससुराल लिखी, जो शूट होकर रिलीज हो गई है. बिरतिया बाबा के अमृत माटी, गवन, प्यार होंगे चोरी-चोरी की पटकथा और संवाद लिखा है. एक फिल्म अप्रैल में शूट होगी, जिसका नाम सनम तोर कसम है. इसके अलावा मेरे पास प्रिंट फार्म में बहुत सी कहानियां हैं. इनमें हीरा, पिया का घर और तोला देख लहू की पटकथा, संवाद सभी प्रिंटेड होकर तैयार हैं.

सवाल- हाल ही में आपने भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी दो भाषाओं में बनने वाली फिल्म "इश्क कयामत" लिखी है. आपसे भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों ने कैसे सम्पर्क किया?
जवाब- 3 साल पहले इश्क कयामत के प्रॉड्यूसर अमित कुमार ने संपर्क किया था. इसके बाद बिलासपुर में हमारी मुलाकात हुई. वे चाहते थे कि एक ऐसी कहानी लिखी जाए, जिसपर छत्तीसगढ़ी और भोजपुरी दोनों भाषा में फिल्म बनाई जा सके. मेरी स्टोरी उन्हें पसंद आई.

सवाल- गणित पढ़ाना और फिल्म लिखना दोनों ही अलग विधा है? आप फिल्मों के लिए लिखते हैं तो कैसा लग रहा है?
जवाब- मुझे बहुत अच्छा लगता है. मुझे अफसोस इस बात का होता है कि मैंने हिंदी साहित्य सब्जेक्ट से पढ़ाई नहीं की. लेकिन मैंने पोस्ट ग्रेजुएशन हिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक्स से की है. पढ़ने का शौक शुरू से है. अभी भी यह जारी है. जब भी समय मिलता है मैं साहित्य पढ़ता और पढ़ाता हूं.

सवाल- स्कूली बच्चों को पढ़ाना और फिल्म के लिए लेखन करना, दोनों के लिए आप समय कैसे निकालते हैं?
जवाब-अपने संयुक्त परिवार में मैं सबसे बड़ा हूं. पूरी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है. लेकिंन यह सब मैं अपनी पत्नी के सहयोग से कर पाया हूं. वह घर की पूरी जिम्मेदारी उठान के साथ-साथ मेरी भी कुछ जिम्मेदारियां निभा लेती हैं, इसलिए मुझे लेखन का समय मिल जाता है.

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