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महिला दिवस: 'लाल आतंक' और डिप्रेशन से जंग लड़ रहे जवानों की प्रेरणा बनीं वर्णिका

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Published : Mar 7, 2021, 4:34 PM IST

कुछ कर गुजरने का मुझमें शुरू से ही इरादा था. मैं कभी जानती नहीं थी कि जवानों का सहारा बनूंगी. फौलादी इरादों को मजबूती दूंगी. ये शब्द सैन्य मनोवैज्ञानिक वर्णिका के हैं, जो जवानों को नक्सलवाद से लोहा लेने की हिम्मत दे रहीं हैं.

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नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों की मदद कर रही वर्णिका

रायपुर: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग नक्सल समस्या से ग्रस्त है. इससे निबटने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बल के हजारों जवान यहां तैनात हैं. उनमें से ज्यादातर जवान दूसरे राज्यों से आए हैं. इन्हें इस तरह के मनोवैज्ञानिक मरहम की खासी जरूरत पड़ती है. लेकिन इस दिशा में समस्या को समझने वाले बहुत कम लोग थे. मानसिक पीड़ा के कारण कई जवान अपने ही साथियों के खून के प्यासे हो जाते हैं. अब इन सबको को समझने के लिए मनोवैज्ञानिक वर्णिका शर्मा का चयन किया गया है. वर्णिका जवानों को ट्रेनिंग देंगी और उनकी समस्याओं को समझकर नई जिंदगी देंगी.

नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों की मदद कर रही वर्णिका

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महासमुंद की रहने वाली वर्णिका की ग्रेजुएशन के बाद ही शादी हो गई. शादी के बाद रायपुर आई वर्णिका तमाम विरोध के बाद भी डिफेंस में पोस्ट ग्रेजुएट करने की ठानी. उन्होंने इस गंभीर विषय की पढ़ाई की. पढ़ाई के दौरान उन्होंने ठान लिया कि वे सिर्फ डिग्री के लिए ही पढ़ाई नहीं करेंगी, बल्कि जमीनी स्तर पर भी वह काम करेंगी.

Varnika Sharma giving strength to fighters fighting Naxalism and depression in chhattisgarh
सैन्य मनोविज्ञान वर्णिका

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मजबूत इरादों के साथ वर्णिका से शुरू किया सफर

वर्णिका शर्मा ने कहा कि कुछ कर गुजरने का इरादा मुझमें शुरू से ही था, लेकिन मैं भी नहीं जानती थी कि मैं कभी उनका सहारा बनूंगी. जिनके फौलादी इरादे हमें जीवन के हर संघर्ष से जूझने का हौसला देते हैं.

Varnika Sharma giving strength to fighters fighting Naxalism and depression in chhattisgarh
महासमुंद की रहने वाली वर्णिका शर्मा

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सैन्य मनोवैज्ञानिक के तौर पर वर्णिका शर्मा की पहचान

एक छोटे से शहर में पलीं बढ़ीं वर्णिका शर्मा की पहचान आज सैन्य मनोवैज्ञानिक के तौर पर देशभर में बन गई है. हमारे सुरक्षा बल चाहे सीमाओं पर तैनात हों या फिर दुर्गम बस्तर के जंगल में नक्सलियों से लोहा ले रहे हों. जवानों के मनोदशा पर अक्सर असर पड़ता है. इसका दुष्परिणाम अक्सर देखने को मिल रहा है. आए दिन खबर मिलती है कि किसी जवान ने खुदकुशी कर ली. किसी जवान ने अपने साथियों पर ही जानलेवा हमला कर दिया. इन सभी समस्याओं से निबटने के लिए वह पढ़ाई की हैं.

माओवाद और अवसाद से जंग लड़ रहे जवानों को सहारा दे रही हैं वर्णिका
माओवाद और अवसाद से जंग लड़ रहे जवानों को सहारा दे रही हैं वर्णिका

मनोवैज्ञानिक वर्णिका नक्सल समस्या को समझती हैं

मनोवैज्ञानिक वर्णिका लगातार अपनी बस्तर यात्रा के दौरान नक्सल समस्या को बखूबी समझने लगी हैं. उन्हें इस समस्या को एक एक्सपर्ट के तौर पर जाना है. इस समस्या से उबरने के लिए उन्होंने कई सुझाव दिए हैं, जो कि भौगोलिक परिस्थिति और वहां के हालात पर आधारित हैं. एक महिला को इन दुर्गम इलाकों में जाना और इस तरह के दुरुह कार्य. इसको करने के लिए बेहद हौसला चाहिए.

वर्णिका की पुलिस और CRPF के अफसर कर रहे सराहना

वर्णिका शर्मा ने कहा कि कहीं विरोध तो कहीं समर्थन, कुछ हौसला कुछ झिझक के साथ वर्णिका ने अपना सफर जारी रखा है. पुलिस और CRPF के अफसर भी वर्णिका के काम और योगदान की सराहना कर रहे हैं. वर्णिका के प्रयास से कई जवानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है.

दुनिया में सैन्य मनोविज्ञान पर काम करने की जरूरत

विशेषज्ञ बताते हैं कि आज पूरी दुनिया में सैन्य मनोविज्ञान पर काम करने की जरूरत है. भारत में इस दिशा में बहुत कम ही काम हुआ है. हम सुरक्षा बलों को 'सुपरमैन' का तमगा देकर उनकी संवेदनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं. जबकि वे भी इंसान होते हैं. माना कि उनकी खास ट्रेनिंग होती है, लेकिन लगातार बैटल ग्राउंड में रहने और परिवार से दूर होने का असर उन पर भी होता है.

जवानों को आत्मघाती कदम उठाने से रोकने का प्रयास

नक्सल इलाके में वर्णिका शर्मा के कार्य को लेकर हाउसिंग बोर्ड के उपायुक्त भी कायल हैं. उनका कहना है वर्णिका के लिए यह काम किसी चुनौती से कम नहीं है. वह महिला होकर जवानों की समस्याओं के बारे में शोध कर रही हैं. जवानों को आत्मघाती कदम उठाने से रोकने का प्रयास कर रही हैं.

वर्णिका बस्तर नें तैनात जवानों के लिए एक विश्वास हैं

बिलासपुर रेंज के आईजी रतन लाल डांगी कहते हैं. वर्णिका बस्तर नें तैनात जवानों के लिए एक विश्वास बनकर उभरी हैं. बस्तर के अंदरूनी इलाकों में गोली और बरूद से बातें होती है, लेकिन वर्णिका कागज कलम लेकर लोगों को एक नई राह दिखा रहीं हैं. सोलजर्स और स्थानीय लोगों को इसका फायदा मिल रहा है

वर्णिका शर्मा जवानों को मानसिक अवसाद से बाहर निकालने में कर रही हैं मदद

वर्णिका शर्मा आज उन लोगों के लिए जवाब बन गई हैं, जो अभी भी सैन्य या सुरक्षा जैसे मसलों से महिलाओं को दूर रखना चाहते हैं. वर्णिका आज समाज के सामने इस बात का उदाहरण है कि अगर महिला ठान ले तो वो सब-कुछ कर सकती हैं. सैनिकों को मानसिक अवसाद से बाहर निकाल सकती हैं. उन्हें मौत के मुंह से लौटा सकती हैं.

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