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First Phase Chhattisgarh Elections 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव, पहले चरण में इन हाईप्रोफाइल सीटों पर जबरदस्त मुकाबला

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 22, 2023, 9:57 PM IST

First Phase Chhattisgarh Elections 2023
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव

First Phase Chhattisgarh Elections 2023:छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कुछ हाईप्रोफाइल सीटों पर जबरदस्त मुकाबला देखने को मिलेगा. इनमें कई सीटें कांग्रेस और बीजेपी का अभेद किला है. आइए जानते हैं 20 सीटों में किन खास सीटों पर जबरदस्त मुकाबला होने वाला है. जिस पर सबकी नजरें टिकी हुई है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 20 सीटों पर मतदान होगा. सात नवंबर को सियासी संग्राम है. इन सीटों में कई सीटें हाईप्रोफाइल है. कुछ सीटें तो ऐसी भी हैं, जिन पर दूसरी पार्टी का खाता तक नहीं खुला है. वहीं, कुछ सीटों पर फिफ्टी-50 का मुकाबला देखने को मिलता है. ऐसे में इन 20 विधानसभा सीटों में कुछ हाईप्रोफाइल सीटों और उनके दिग्गज नेताओं के साथ सियासी समीकरणों पर एक नजर डालते हैं.

राजनांदगांव विधानसभा सीट पर दिखेगी जबरदस्त टक्कर: सबसे पहले हम बात करेंगे पूर्व सीएम रमन सिंह का गढ़ कहे जाने वाले राजनांदगांव विधानसभा सीट की. इस सीट से छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तीन बार जीत कर मुख्यमंत्री बने रहे. पिछली बार भी इस सीट से रमन सिंह ने कांग्रेस की करुणा शुक्ला को हरा दिया था. इस बार रमन सिंह के सामने कांग्रेस के गिरीश देवांगन है. काग्रेस ने इस सीट से गिरीश देवांगन को चुनावी मैदान में उतारा है. देवांगन सीएम बघेल के करीबी होने के साथ ही बघेल सरकार में खनिज विकास निगम के अध्यक्ष भी हैं. रमन सिंह के साथ ही गिरीश देवांगन भी क्षेत्र से जीत का दावा कर रहे हैं. दोनों नेता लगातार हर मुद्दों को लेकर एक दूसरे को घेरते नजर आते हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस बार के चुनाव में रमन के गढ़ में गिरीश सेंध लगा पाते हैं कि नहीं.

मंत्री कवासी लखमा को हराना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती: दूसरी हाईप्रोफाइल सीट कोंटा विधानसभा सीट है. इस सीट से छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा विधायक हैं. इस बार भी कांग्रेस ने लखमा को इस क्षेत्र से टिकट दिया है. लखमा पांच बार इस सीट से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. ये सीट कांग्रेस का अभेद किला है. इस बार इस सीट पर बीजेपी ने सोयम मुका को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी सालों से कांग्रेस के इस अभेद किले को भेदने के प्रयास में है. हालांकि बीजेपी को अब तक सफलता नहीं मिल पाई है. ऐसे में देखना होगा कि इस बार लखमा के क्षेत्र और कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी सेंध लगा पाती है या नहीं.

दीपक बैज के खिलाफ बीजेपी का नया चेहरा: तीसरे हाईप्रोफाइल सीट में चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र पड़ता है. यहां से पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को कांग्रेस ने टिकट दिया है. इस क्षेत्र में दिग्गज कांग्रेस नेता दीपक बैज के सामने बीजेपी ने नए चेहरे को जगह दी है. यहां से बीजेपी ने जिला पंचायत सदस्य विनायक गोयल को टिकट दिया है. वहीं पिछले विधायक का टिकट क्षेत्र से कांग्रेस ने काट दिया है. इसका थोड़ा बहुत असर भले कांग्रेस के वोट बैंक पर देखने को मिले. हालांकि कांग्रेस यहां बीजेपी को जबरदस्त टक्कर देगी.

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केदार कश्यप और चंदन कश्यप आमने सामने: नारायणपुर विधानसभा सीट से बीजेपी ने पूर्व मंत्री केदार कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट से कांग्रेस ने मौजूदा विधायक चंदन कश्यप पर फिर से भरोसा जताया है. इससे पहले दो बार इन दोनों नेताओं का चुनावी मैदान में आमना-सामना हो चुका है. दोनों के बीच पहला मुकाबला साल 2013 में हुआ था. उस समय केदार कश्यप भाजपा सरकार में मंत्री थे. केदार ने 12 हजार से अधिक वोटों से चंदन कश्यप को हराया था. फिर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में दोनों का मुकाबला हुआ. इस चुनाव में 2600 वोटों से केदार कश्यप को चंदन कश्यर ने हरा दिया. यही कारण है कि इनका तीसरा मुकाबला भी रोचक होने वाला है.

मोहन मरकाम और लता उसेंडी का चौथी बार होगा आमना-सामना: कोंडागांव विधानसभा सीट भी हाईप्रोफाइल सीटों में आता है. यहां से पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को कांग्रेस ने टिकट दिया है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी को बीजेपी ने क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा है. मोहन मरकाम और लता उसेंडी के बीच चौथी बार चुनावी मुकाबला होने जा रहा है. साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लता उसेंडी के खिलाफ मोहन मरकाम को उतारा था. जिसमें मोहन मरकाम हार गए थे. इसके बाद हुए दो विधानसभा चुनाव 2013 और 2018 में मोहन मरकाम लता उसेंडी को हराने में कामयाब रहे. यही कारण है कि इस बार का चुनाव रोचक है.

महेश गगड़ा और विक्रम मांडवी के बीच मुकाबला: बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में भी चुनाव रोचक होने वाला है. यहां से जहां एक ओर कांग्रेस ने विधायक विक्रम मांडवी को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा ने रमन कैबिनेट में मंत्री रह चुके महेश गागड़ा को मौका दिया है. यह दोनों उम्मीदवार तीसरी बार चुनावी मैदान में आमने-सामने होंगे. इन दोनों के बीच पहला मुकाबला साल 2013 विधानसभा में हुआ था. उस समय महेश गागड़ा रमन सरकार में मंत्री थे. विक्रम मांडवी को कांग्रेस ने इस साल पहली बार चुनावी मैदान में उतारा था. इस चुनाव में विक्रम मांडवी 9000 वोटों से हार गए थे. हालांकि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में विक्रम मंडावी ने पिछला हिसाब चुकता करते हुए 21000 वोटों से जीत हासिल की थी.इस बार का भी चुनावी मुकाबला काफी रोचक होने वाला है.

विक्रम उसेंडी और रूप सिंह पोटाई के बीच होगा मुकाबला: बात अगर अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहां से बीजेपी ने विक्रम उसेंडी को उम्मीदवार बनाया है. विक्रम उसेंडी रमन कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं. जबकि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक अनूप नाग का क्षेत्र से टिकट काटकर नए चेहरे को मौका दिया है. कांग्रेस ने रूप सिंह पटोई को यहां से उम्मीदवार बनाया है. इधर, पार्टी से बागी हुए अनूप नाग ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस के नए चेहरे और पुराने चेहरे के साथ बीजेपी के विक्रम उसेंडी का मुकाबला रोचक होगा. अगर निर्दलीय अनूप नाग चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस के वोट बैंक पर इसका असर पड़ सकता है.

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