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Deputy CM TS Singh Deo : टीएस सिंहदेव को दी गई डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी, कांग्रेस को होगा फायदा !

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Published : Jun 29, 2023, 9:56 PM IST

Deputy CM TS Singh Deo छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव का कद बढ़ाया गया है. आलाकमान के निर्देश के बाद टीएस सिंहदेव को प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है.लेकिन चुनाव से महज पांच महीने पहले डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस टीएस सिंहदेव बनाकर कितना फायदे में रहेगी ये आने वाला वक्त बताएगा.लेकिन सवाल ये है कि सीएम भूपेश और टीएस सिंहदेव के बीच पावर का बटवारा होगा या फिर सिर्फ टीएस सिंहदेव एक बार फिर सिर्फ नाम के ही सहारे चुनावी मैदान में नजर आएंगे.

Deputy CM TS Singhdeo
टीएस सिंहदेव को दी गई डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी

रायपुर : राजनीति में सियासी हवा कब किस ओर मुड़ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. छत्तीसगढ़ में ऐसी ही सियासी हवा का रूख मोड़ने की कोशिश की गई है. हाल ही में ढाई-ढाई साल के पद की चर्चा में आए टीएस सिंहदेव को दिल्ली के नेतृत्व ने बड़ा पद सौंपा है.ये पद है डिप्टी सीएम का.लेकिन चुनाव से ठीक पहले टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम का पद देना और टीएस सिंहदेव का डिप्टी सीएम के पद को स्वीकार करना अपने आप में कई सवाल पैदा करता है. लेकिन जो संदेश आलाकमान विरोधियों को देना चाहता था उसमें वो काफी हद तक कामयाब होता दिख रहा है.

भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच बढ़ती खाई को कम करने की कोशिश : टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाकर आलाकमान ने अब सीएम भूपेश बघेल के बराबर खड़ा कर दिया है.लेकिन ये बराबरी केवल पद की है या पावर की भी इस बारे में कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.लेकिन डिप्टी सीएम की बड़ी जिम्मेदारी देकर कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव के हवाले से पूरे प्रदेश को ये संदेश दे दिया है कि सारी नाराजगी अब खत्म हो चुकी है.इसलिए साथ आए और एक बार फिर मिलकर चुनाव में विरोधियों को पटखनी दें.लेकिन क्या कांग्रेस की ये सियासी चाल आने वाले चुनाव में काम कर पाएगी.इस बारे में वरिष्ठ पत्रकारों ने अपनी राय दी है.

राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा के मुताबिक सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाए जाने का फायदा निश्चित तौर पर कांग्रेस को मिलेगा. क्योंकि कहीं ना कहीं सिंहदेव को लेकर पार्टी में विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी. लोगों के मन में शंका बनी हुई थी ऐसे में हाईकमान का निर्णय इस विवाद को समाप्त करने में महत्वपूर्ण होगा. भले ही डिप्टी सीएम का पद संवैधानिक ना हो लेकिन लोगों में यह संदेश जाएगा कि सिंहदेव भी हाईकमान की नजरों में है. हाईकमान ने यह निर्णय देते समय कई इंटरनल निर्देश भी दिए होंगे. वहीं सीएम भूपेश बघेल के स्टेट से बाहर रहने पर प्रदेश की कमान टीएस सिंहदेव संभालेंगे.लेकिन टीएस सिंहदेव के फैसलों में सीएम भूपेश बघेल की रजामंदी होगी या नहीं ,ये आने वाला वक्त बताएगा.

सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाकर हाईकमान ने सबको एक करने का संदेश दिया है. हाईकमान ने यह कार्यकर्ताओं के बीच इशारा कर दिया है कि सिंहदेव का कद हमारे पास बड़े रूप में मौजूद हैं. हम टीएस बाबा को भी उतना मानते हैं जितना भूपेश बघेल को मानते हैं. यह संदेश देने का प्रयास किया गया है चुनाव के लिए यह निर्णय काफी महत्वपूर्ण होगा. बाबूलाल शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार रायपुर

क्या है बस्तर के जानकारों की राय : वहीं बस्तर के राजनीति जानकार मनीष गुप्ता का मानना है कि टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने से कांग्रेस को चुनाव में फायदा होगा.मौजूदा समय में प्रदेश के अंदर जो एकतरफा संवाद की स्थिति थी उसे आलाकमान ने एक निर्णय से बैलेंस करने की कोशिश की है. पिछले चुनाव में टीएस सिंहदेव ने मैनिफेस्टो तैयार किया,प्लानिंग की.जिसका नतीजा सभी के सामने है.लिहाजा डिप्टी सीएम बनाने से सरगुजा समेत आसपास के क्षेत्रों में कांग्रेस और भी ज्यादा मजबूती से चुनाव लड़ेगी.

तत्काल रूप से तो कंट्रोल डैमेज हो गया है. क्योंकि बीच में असंतोष के स्वर उभरे थे.टीएस सिंहदेल ने असंयमित रुप से अपनी नाराजगी और असंतोष जाहिर की थी.लेकिन डिप्टी सीएम का पद मिलने से उन्हें बड़ा सम्मान दिया गया है.लेकिन इसमें यह भी देखना होगा कि उपमुख्यमंत्री बना दिया लेकिन पावर क्या दिया गया. यदि पावर शेयरिंग दिखाई दिया तो यह कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक होगा. -मनीष गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार बस्तर

बीजेपी की उम्मीदों पर फिरा पानी : अब तक ऐसा लग रहा था कि टीएस सिंहदेव की सीएम भूपेश से नाराजगी का लाभ बीजेपी को मिलेगा.चुनाव में दोनों की नाराजगी के कारण कार्यकर्ताओं में भी मतभेद होगा.लेकिन चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को पूरी तरह से अपने खेमे में ही रखने की कोशिश की है. वहीं दूसरी तरफ जिस अलगाव का इंतजार बीजेपी को थी उसमें उसे निराशा हाथ लगी है. बीजेपी को ऐसा लग रहा था कि पार्टी के नाराज लोग चुनाव में अंदरूनी डैमेज करेंगे.जिसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा.लेकिन अब जब टीएस बाबा को बड़ा सम्मान मिल चुका है,उसे देखकर यही लग रहा है कि आने वाले चुनाव में ऐसी किसी भी तरह की संभावना पैदा नहीं होगी.


कितना पड़ेगा सरगुजा पर असर : सरगुजा से राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पांडे की माने तो हाईकमान ने कांग्रेस को एकजुट करने का निर्णय लिया है. डिप्टी सीएम बनाने के बाद सरगुजावासियों को ये मैसेज गया है कि आने वाले समय में टीएस सिंहदेव को सीएम भी बनाया जा सकता है. ऐसे में सरगुजा संभाग में टीएस सिंहदेव और सीएम भूपेश बघेल के समर्थकों के बीच जो टकराव की स्थिति थी उसे आलाकमान ने दूर कर दिया है. क्योंकि ये टकराव आने वाले चुनाव में पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित होती.तीसरी चीज जो अटकलें लगाई जा रही थी कि सिंहदेव राजनीति से सन्यास लेंगे या घर बैठ जाएंगे.वो खत्म हो गई है. इस निर्णय से समझा जा सकता है कि आगामी चुनाव में टीएस सिंहदेव की अहम भूमिका में होंगे.

टीएस सिंहदेव ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे बीजेपी में किसी भी कीमत पर नहीं जाएंगे. उनकी बीजेपी नेताओं से मुलाकात हुई थी. उसके बाद भी उन्होंने बीजेपी में जाने से इंकार कर दिया था. इसके बाद बीजेपी ने भी घोषणा कर दी थी कि वे सिंहदेव से कभी संपर्क नहीं करेंगे. वह विश्वास योग्य नहीं है.जिसके बाद सिंहदेव के बीजेपी में जाने की अटकलों पर विराम लग गया है. -सुधीर पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार सरगुजा

2013 विधानसभा चुनाव में सरगुजा संभाग में कांग्रेस की ये थी स्थिति

2013 विधानसभा चुनाव के परिणाम:

1. अम्बिकापुर- टीएस सिंहदेव (कांग्रेस)
2. लुंड्रा - चिंतामणि सिंह (कांग्रेस)
3. प्रतापपुर - रामसेवक पैकरा (भाजपा)
4. सीतापुर - अमरजीत भगत (कांग्रेस)
5. सामरी - डॉ. प्रीतम राम (कांग्रेस)
6. रामानुजगंज- बृहस्पति सिंह (कांग्रेस)
7. प्रेमनगर - खेल साय सिंह (कांग्रेस)
8. भटगाँव - पारस नाथ राजवाड़े (कांग्रेस)
9. बैकुंठपुर - भैया लाल राजवाड़े (भाजपा)
10. भरतपुर सोनहत - चंपा देवी पावले (भाजपा)
11. मनेन्द्रगढ़ - श्याम बिहारी जायसवाल (भाजपा)
12. जशपुर - राजा शरण भगत (भाजपा)
13. कुनकुरी - रोहित साय (भाजपा)
14. पत्थलगांव - शिव शंकर पैकरा (भाजपा)

2018 में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की. सरगुजा की 14 में से 14 सीट पर कांग्रेस के विधायक बड़े अंतर से जीतकर आए.

2018 विधानसभा चुनाव के परिणाम:

1. अम्बिकापुर- टीएस सिंहदेव (कांग्रेस)
2. लुंड्रा - डॉ. प्रीतम राम (कांग्रेस)
3. प्रतापपुर - प्रेमसाय सिंह टेकाम (कांग्रेस)
4. सीतापुर - अमरजीत भगत (कांग्रेस)
5. सामरी - चिंतामणि सिंह (कांग्रेस)
6. रामानुजगंज- बृहस्पति सिंह (कांग्रेस)
7. प्रेमनगर - खेलसाय सिंह (कांग्रेस)
8. भटगाँव - पारसनाथ राजवाड़े (कांग्रेस)
9. बैकुंठपुर - अम्बिका सिंहदेव (कांग्रेस)
10. भरतपुर सोनहत - गुलाब कमरो (कांग्रेस)
11. मनेन्द्रगढ़ - विनय जायसवाल (कांग्रेस)
12. जशपुर - विनय भगत (कांग्रेस)
13. कुनकुरी - यूडी मिंज (कांग्रेस)
14. पत्थलगांव - रामपुकार सिंह (कांग्रेस)

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