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गौमूत्र खरीदी योजना:पहले दिन छत्तीसगढ़ में गौमूत्र की रिकॉर्ड खरीदी, कवर्धा जिला टॉप पर

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Published : Jul 29, 2022, 6:19 PM IST

Cow urine purchase scheme on hareli
गौमूत्र खरीदी योजना

छत्तीसगढ़ में गौमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत हरेली तिहार 2022 से हो (Cow urine purchase scheme on hareli) गई है. गौमूत्र खरीदी योजना के पहले दिन दो हजार तीन सौ लीटर से ज्यादा की गौमूत्र खरीदी (Record purchase of cow urine in Chhattisgarh) हुई है. कवर्धा में रिकॉर्ड 307 लीटर गौमूत्र की खरीदी हुई ( Kawardha tops in cow urine purchase) है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 28 जुलाई को हरेली के पर्व पर गौमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत की गई (Cow urine purchase scheme on hareli) थी. इस योजना के तहत पहले दिन 2306 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गई. गौमूत्र की खरीदी में कवर्धा जिला सबसे अव्वल (Record purchase of cow urine in Chhattisgarh) है. यहां पहले दिन रिकॉर्ड 307 लीटर गौमूत्र की खरीदी हुई है. बालोद जिले में पहले दिन 287 लीटर गौमूत्र की खरीदी हुई है. तो वहीं महासमुंद जिले में 184 लीटर गौमूत्र की खरीदी की ( Kawardha tops in cow urine purchase) गई है.

चार रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा गौमूत्र: छत्तीसगढ़ चार रुपये प्रति लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है. फिलहाल 63 गांवों के गौठानों में गौमूत्र की खरीदी हुई है. अब धीरे धीरे राज्य के सभी गौठानों में गौमूत्र की खरीदी होगी. इसके लिए आवश्यक तैयारियां कर ली गई है. गौमूत्र की खरीदी के लिए गौठान समितियों और सदस्यों को भी रिचार्ज किया जा रहा है. इसके अलावा महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को गौमूत्र से जैविक कीटनाशक और जीवामृत ग्रोथ प्रमोटर बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है.

गौमूत्र खरीदी योजना के पहले हितग्राही बने सीएम बघेल: सीएम भूपेश बघेल की विशेष पहल पर छत्तीसगढ़ में गोबर के बाद गौमूत्र की खरीदी की जा रही है. इस खरीदी का उदेश्य जैविक खेती को बढ़ावा देना है. ताकि खाद्यान के उत्पादन और कृषि कार्यों को पेस्टिसाइड से मुक्त किया जा सके. सीएम भूपेश बघेल गौमूत्र खरीदी योजना के तहत गौमूत्र खरीदने वाले पहले हितग्राही बने. उन्होंने हरेली तिहार पर सीएम आवास में एक कार्यक्रम में 5 लीटर गौमूत्र खरीदा.

गौमूत्र खरीदी करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य: गौमूत्र खरीदी करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बना है. यहां चार रुपये प्रति लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है. इस पहल से राज्य में पशुपालकों की आय में बढ़ोत्तरी और जैविक खेती को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है. गोबर की खरीदी और इससे जैविक खाद के निर्माण से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है. गौमूत्र खरीदी का मकसद इससे गौठानों में जैविक कीटनाशक, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर का निर्माण करना है. ताकि राज्य के किसानों को कम कीमत पर जैविक कीटनाशक आसानी से मिल सके.

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साल 2020 में शुरू हुई थी गोधन न्याय योजना: छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत 2 साल पहले 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से ही हुई थी. इसके तहत गौठनों में पशुपालक ग्रामीणों से गोबर की खरीदी की जा रही है. इस गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाया जा रहा है. गौमूत्र से जैविक कीटनाशक तैयार कर किसानों को इसे 50 रुपये लीटर में उपलब्ध कराया जाएगा.

जिलेवार गौमूत्र खरीदी का विवरण : राज्य के बस्तर जिले के सर्वाधिक 7 गौठानों में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है. जबकि राजनादगांव और रायपुर जिले के 3-3 गौठनों में गौ-मूत्र खरीदा जा रहा है. शेष जिलों के 2-2 गौठानों में गौ-मूत्र की खरीदी शुरु की गई है. पहले दिन 28 जुलाई को कोरिया जिले में 110 लीटर, बलरामपुर जिले में 45 लीटर, सूरजपुर में 37 लीटर, सरगुजा में 163 लीटर, जशपुर में 24 लीटर, रायगढ़ में 49 लीटर, कोरबा में 82 लीटर, जांजगीर-चांपा में 36 लीटर, बिलासपुर में 39 लीटर, मुंगेली में 52 लीटर , गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में 15 लीटर गोमूत्र की खरीदी हुई. जबकि 28 जुलाई को कबीरधाम जिले में सर्वाधिक 307 लीटर, राजनादगांव में 47 बेमेतरा में 85, दुर्ग में 52 ,बालोद जिले में 207, बलौदा- बाजार में 55, रायपुर में 64, गरियाबंद में महासमुंद में 184, धमतरी में 12, कांकेर जिले में 125, कोंडागांव में 15, बस्तर में 59, नारायणपुर में 11 दंतेवाड़ा में 112 , सुकमा जिले में 105 और बीजापुर जिले में 35 लीटर गोमूत्र की खरीदी हुई.

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