रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में कई सीटों पर कांटे का मुकाबला हुआ, कई सीटों पर फाइट एकतरफा भी नजर आ रही है. नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक में दिग्गजों ने और स्टार प्रचारकों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. बीजेपी की ओर से जहां खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला था. कांग्रेस की ओर से भी राहुल और प्रियंका गांधी ने ताबड़तोड़ प्रचार किया. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कई दिनों तक छत्तीसगढ़ में कैंप किया. सियासी संग्राम और नतीजों को लेकर चुनाव के पहले चरण से लेकर एग्जिट पोल तक दोनों दलों ने अपनी अपनी जीत के दावे किए थे. आखिरकार जनता जनार्दन होती है और उसका फैसला सबको मानना होता है.
- दुर्ग की पाटन विधानसभा सीट: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सीधी टक्कर यहां बीजेपी सांसद विजय बघेल से हुई. सासंद विजय बघेल रिश्ते में भूपेश बघेल के भतीजे हैं. बीजेपी ने इस बार सीएम को घेरने के लिए सांसद को मैदान में उतारा था.
- कवर्धा विधानसभा सीट: कवर्धा सीट पर मुख्यमंत्री के करीबी मोहम्मद अकबर की टक्कर यहां विजय शर्मा से हुई. बीजेपी ने मोहम्मद अकबर को घेरने के लिए बीजेपी ने तगड़ी योजना बनाई थी. खुद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रचार का मोर्चा संभाला था.
- जांजगीर चांपा विधानसभा सीट: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के दिग्गज नेता नारायण चंदेल का मुकाबला यहां कांग्रेस के पुराने नेता व्यास कश्यप से हुआ. नारायण चंदेल के पक्ष में प्रचार के लिए खुद आलाकमान ने मोर्चा संभाला था.
- लोरमी विधानसभा सीट: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अरुण साव मुंगेली के लोरमी सीट से मैदान में उतरे. अरुण साव का मुकाबला कांग्रेस के थानेश्वर साहू से हुआ. थानेश्वर साहू को भी साहू समाज का बड़ा नेता माना जाता था.
- रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट: रायपुर शहर की दक्षिण विधानसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल का मुकाबला महंत रामसुंदर दास से हुआ. कांग्रेस ने इस बार बृजमोहन की हिंदू छवी को तोड़ने के लिए महंत को टिकट देकर मैदान में उतारा था.
- भरतपुर-सोनहत विधानसभा सीट: मोदी सरकार की कैबिनेट मंत्री रेणुका सिंह कोरिया के भरतपुर-सोनहत सीट से चुनाव मैदान कांग्रेस को शिकस्त देने के लिए उतारा था. रेणुका सिंह का यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता और पुराने कांग्रेस रहे गुलाब सिंह कमरो से हुई.
- सीतापुर विधानसभा सीट: सीतापुर सीट भी हाई प्रोफाइल सीटों में से एक रहा. कांग्रेस ने अपने पुराने दिग्गज अमरजीत भगत को मैदान में उतारा. बीजेपी ने अमरजीत भगत को मात देने के लिए सेना के रिटायर्ड जवान रामकुमार टोप्पो को मैदान में उतारा
- कुनकुरी विधानसभा सीट: कुनकुरी सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला रहा, पिछली बार के विजेता और कांग्रेस के दिग्गज नेता यूडी मिंज का यहां मुकाबला बीजेपी के सीनियर लीडर विष्णुदेव साय से हुआ. साय इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके थे.
- रायगढ़ विधानसभा सीट: पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी को इस बार बीजेपी ने रायगढ़ सीट से खड़ा किया. ओपी चौधरी 2018 विधानसभा चुनाव में रायपुर से बीजेपी की ओर से लड़े थे लेकिन चुनाव हार गए थे. बीजेपी ने इस बार ओपी चौधरी कांग्रेस के शक्रजीत नायक से लड़ाया
- बिल्हा विधानसभा सीट: बिलासपुर का बिल्हा विधानसभा सीट इस बार भी हाई प्रोफाइल सीटों की गिनती में शुमार रहा. धरमलाल कौशिक का यहां मुकाबला कांग्रेस के सियाराम कौशिक से हुआ. दोनों दिग्गज एक ही समाज से चुनाव मैदान में उतरे थे.
- दुर्ग ग्रामीण विधानसभा सीट: दुर्ग ग्रामीण सीट कांग्रेस ने अपने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा. ताम्रध्वज साहू का मुकाबला बीजेपी के ललित चंद्राकर से हुआ. दुर्ग की ग्रामीण सीट को जीतने के लिए बीजेपी ने काफी जोर लगाया था.
- भिलाई नगर विधानसभा सीट: भिलाई सीट पर बीजेपी ने इस बार पूर्व शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पांडे को उतारा. प्रेम प्रकाश पांडे का यहां सीधा मुकाबला कांग्रेस के सिटिंग विधायक देवेंद्र यादव से हुआ. प्रेम प्रकाश पांडे के लिए बीजेपी ने दिग्गजों की फौज को प्रचार में उतारा था.
- रायपुर नगर पश्चिम विधानसभा सीट: इस सीट से बीजेपी ने अपने सबसे मजबूत नेता राजेश मूणत को मैदान में उतारा था. राजेश मूणत का मुकाबला कांग्रेस के सबसे तेज तर्रार और युवा नेता विकास उपाध्याय से हुआ. दोनों के बीच कांटे की टक्कर हुई.
- आरंग विधानसभा सीट: आरंग की परंपरागत सीट से इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता और मंत्री शिवकुमार डहेरिया चुनाव मैदान में उतरे थे. शिवकुमार डहेरिया मुकाबला बीजेपी के गुरु खुशवंत सिंह से हुआ. गुरु खुशवंत सिंह कांग्रेस से नाराज होकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे.
- कुरुद विधानसभा सीट: कुरुद सीट से बीजेपी के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर मैदान में उतरे थे. अजय चंद्राकर का मुकाबला कांग्रेस के तारिणी चंद्राकर से हुआ था. कांग्रेस और बीजेपी दोनों के प्रत्याशी चंद्राकर समाज से थे. दोनों के बीच फाइट टाइट रही.
- साजा विधानसभा सीट: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक रविंद्र चौबे का मुकाबला बीजेपी के ईश्वर साहू से हुआ. साजा में हुई हत्या के बाद से ही यहां की राजनीति गर्मा गई थी. बीजेपी ने माहौल को भांपते हुए ईश्वर साहू को मैदान में उतारा था.
- नवागढ़ विधानसभा सीट: नवागढ़ सीट से कांग्रेस के गुरु रुद्र कुमार मैदान में उतरे थे. गुरु रुद्र कुमार बीजेपी से दयालदास बघेल से हुआ. गुरु रुद्र कुमार को सभी समाज का समर्थन प्राप्त था जबकी दयालदास बघेल को किसानों का करीबी माना जा रहा था.
- खरसिया विधानसभा सीट: खरसिया विधानसभा सीट से कांग्रेस ने फिर से नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल को टिकट दिया था. उमेश पटेल का मुकाबला बीजेपी के महेश साहू से हुआ. माना जा रहा था कि वोटिंग के दौरान साहू समाज का वोट बंट जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ.
- कोरबा विधानसभा सीट: कांग्रेस ने इस सीट से अपने राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल को मैदान में उतारा था. जय सिंह अग्रवाल का मुकाबला बीजेपी के लखनलाल देवांगन से हुआ. प्रत्याशी घोषित होने के वक्त से ही बीजेपी के उम्मीदवार को कमजोर माना जा रहा था.
- तखतपुर विधानसभा सीट: बिलासपुर का तखतपुर विधानसभा सीट इस बार हाई प्रोफाइल सीट रहा. जोगी कांग्रेस को बाय बाय कर बीजेपी में आए धर्मजीत सिंह को बीजेपी ने यहां से उतारा था. धर्मजीत सिंह का मुकाबला यहां कांग्रेस की रश्मि सिंह सिंह से हुआ.
- अंबिकापुर विधानसभा सीट: अंबिकापुर विधानसभा सीट से प्रदेश के डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव खुद मैदान में उतरे. टीएस बाबा का यहां मुकाबला बीजेपी के राजेश अग्रवाल से हुआ. बीजेपी ने जब राजेश अग्रवाल को टिकट दिया तभी से ये कहा जा रहा था कि अंबिकापुर का मुकाबला एकतरफा रहने वाला है.
- सक्ती विधानसभा सीट: सक्ती सीट से कांग्रेस ने अपने सबसे दिग्गज और सीनियर लीडर चरणदास मंहत को मैदान में उतारा था. महंत का मुकाबला यहां बीजेपी के खिलावन साहू से हुआ. यहां भी बीजेपी प्रत्याशी को कमजोर माना जा रहा था.
- कोटा विधानसभा सीट: कोटा विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला रहा. बीजेपी ने जूदेव परिवार से प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को मैदान में उतारा था. कांग्रेस की ओर से यहां अटल श्रीवास्तव मैदान में उतरे थे. जबकी जोगी कांग्रेस की ओर से खुद रेणु जोगी मैदान में उतरीं थीं. कोटा जोगी कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है.
- केशकाल विधानसभा सीट: केशकाल में सबसे जोरदार मुकाबला इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच हुआ. बीजेपी ने जहां आईएएस की नौकरी छोड़कर चुनावी मैदान में उतरे नीलकंठ टेकाम को टिकट दिया था. कांग्रेस की ओर से संत राम नेताम मैदान में थे. संतराम को जमीनी नेता माना जाता है.