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केंद्र-राज्य के झगड़े में फंसा पीएम आवास : 75% काम पूरा, 9% राशि अटकी तो ठेकेदार ने रोका निर्माण

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Published : Mar 9, 2022, 7:54 PM IST

कोरबा में पीएम आवास योजना केंद्र और राज्य सरकार के झगड़े में फंस गई है. 130 करोड़ की लागत से दादर में बड़ी कॉलोनी बनाई जा रही थी. 9 फीसदी राशि यानि 11 करोड़ 70 लाख रुपये निगम को नहीं मिल पाने के कारण ठेकेदार ने मकान निर्माण रोक दिया है.

PM Awas Yojana in Korba
कोरबा में केंद्र राज्य सरकार के झगड़े में फंसा पीएम आवास

कोरबा : गरीबों के लिए पक्का मकान प्रदान करने वाली महत्वकांक्षी योजना कोरबा में केंद्र और राज्य सरकार के झगड़े में फंस गई है. इस कारण नगर पालिक निगम अंतर्गत आने वाली 5 से 6 स्लम बस्तियों के लोगों को विस्थापित कर एक सर्वसुविधायुक्त कॉलोनी में शिफ्ट करने की परिकल्पना अभी भी अधूरी ही है. निगम क्षेत्र के दादर में 130 करोड़ की लागत से 2784 पीएम आवास का निर्माण प्रक्रियाधीन है. इसका 75 फीसदी काम तो पूरा हो चुका है, लेकिन अब राशि नहीं मिलने से ठेकेदार ने काम बंद कर दिया है. इस कारण निर्धारित लक्ष्य के तहत जुलाई 2022 तक सबको आवास देने की परिकल्पना पूरी नहीं हो पाएगी.

कोरबा में केंद्र राज्य सरकार के झगड़े में फंसा पीएम आवास

करोड़ों की लागत से रिहायशी कॉलोनी का निर्माण
दादर में 130 करोड़ की लागत से पीएम आवास योजना के तहत एक बड़ी कॉलोनी का निर्माण हो रहा था. दूर से ही इसकी भव्यता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. किसी बिल्डर द्वारा निर्मित कॉलोनी की तर्ज पर ही यहां पीएम आवास का निर्माण शुरू हुआ था. दादर में कुल 2784 मकानों का निर्माण 3 मंजिली इमारतों में विभाजित किया गया था. इसमें कुल 56 ब्लॉक हैं. यहां बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से परिपूर्ण एक सर्वसुविधायुक्त कॉलोनी बनाने की परिकल्पना की गई थी. यह योजना जुलाई 2019 में शुरू हुई थी. स्लम बस्तियों के हितग्राहियों को जुलाई 2022 तक यहां शिफ्ट कर देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. अब पैसे नहीं मिल पाने के कारण यह योजना अटक गई है.

यह भी पढ़ें : अधूरा है आशियाने का सपना, मिट्टी का घर तोड़ दिया पक्के मकान के लिए नहीं मिले पैसे

9 फीसदी राशि नहीं मिली
दादर में निर्मित प्रत्येक मकान की लागत 4.5 लाख रुपये थे. इसमें राज्य और केंद्र दोनों का अंशदान शामिल था. राज्य और केंद्र के बीच सामंजस्य नहीं होने के कारण बात बन नहीं पाई और अंत में परियोजना की कुल लागत की 9 फीसदी राशि नगर निगम को मिल ही नहीं सकी. वर्तमान में दादर में निर्माणाधीन सभी मकानों के करीब 75 फीसदी का काम पूर्ण हो चुके हैं. इसके बाद अब काम पूरी तरह से बंद हो गया है.

कोहड़िया, राताखार सहित दूसरी स्लम बस्तियों के लिए थी दादर की परियोजना
नगर पालिक निगम कोरबा का क्षेत्रफल 215 वर्ग किलोमीटर है. यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नगर (Korba largest municipal corporation of Chhattisgarh) पालिक निगम है. यहां अधिसूचित मलिन बस्तियों की संख्या 62, जबकि अघोषित मलिन बस्तियों की संख्या 41 है. जबकि स्लम बस्तियों की आबादी 46 फीसदी है. निगम के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पक्का मकान तो दूर मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. नाली और पानी के लिए भी लोग यहां संघर्ष कर रहे हैं. स्लम बस्तियों में यह विवाद का भी बड़ा कारण बन जाता है.

यह भी पढ़ें : आशा की किरण: अब नहीं होगी बारिश में छत टपकने की समस्या, पीएम आवास योजना के तहत मकान स्वीकृत

जनगणना 2011 की सूची के आधार पर चिह्नित किये गए थे हितग्राही
दादर में निर्माणाधीन पीएम आवास की कॉलोनी शहर के आसपास कोहड़िया, राताखार, दादर के करीब व अन्य स्लम बस्तियों के हितग्राहियों के लिए बनाई जा रही थी. हितग्राहियों को जनगणना 2011 की सूची के आधार पर चिह्नित किया गया था. लेकिन वर्तमान परिवेश में अब पूर्व के चिह्नांकित हितग्राहियों को यह मकान मिल पाना संभव नहीं लग रहा है.

राशि नहीं मिलने की वजह से रुका काम
नगर पालिक निगम के पीएम आवास योजना के नोडल अधिकारी एनके नाथ ने बताया कि दादर में 2784 मकान बनाए जा रहे हैं. 130 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना का करीब 75 फीसदी काम पूरा हो चुका है. कुल लागत की 9 फीसदी राशि सरकार से नहीं मिल सकी है. इस कारण वर्तमान में काम बंद हुआ है. अब इस योजना को राज्य सरकार ने परिवर्तित कर दिया है. इसके तहत अब ऐसे लोगों को मकान आवंटित किए जाएंगे जो कहीं न कहीं किराए के मकानों में निवासरत हैं. अब नई योजना के अनुसार ही काम किया जाएगा. इसको लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जल्द जारी किये जाएंगे.

कोरबा : गरीबों के लिए पक्का मकान प्रदान करने वाली महत्वकांक्षी योजना कोरबा में केंद्र और राज्य सरकार के झगड़े में फंस गई है. इस कारण नगर पालिक निगम अंतर्गत आने वाली 5 से 6 स्लम बस्तियों के लोगों को विस्थापित कर एक सर्वसुविधायुक्त कॉलोनी में शिफ्ट करने की परिकल्पना अभी भी अधूरी ही है. निगम क्षेत्र के दादर में 130 करोड़ की लागत से 2784 पीएम आवास का निर्माण प्रक्रियाधीन है. इसका 75 फीसदी काम तो पूरा हो चुका है, लेकिन अब राशि नहीं मिलने से ठेकेदार ने काम बंद कर दिया है. इस कारण निर्धारित लक्ष्य के तहत जुलाई 2022 तक सबको आवास देने की परिकल्पना पूरी नहीं हो पाएगी.

कोरबा में केंद्र राज्य सरकार के झगड़े में फंसा पीएम आवास

करोड़ों की लागत से रिहायशी कॉलोनी का निर्माण
दादर में 130 करोड़ की लागत से पीएम आवास योजना के तहत एक बड़ी कॉलोनी का निर्माण हो रहा था. दूर से ही इसकी भव्यता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. किसी बिल्डर द्वारा निर्मित कॉलोनी की तर्ज पर ही यहां पीएम आवास का निर्माण शुरू हुआ था. दादर में कुल 2784 मकानों का निर्माण 3 मंजिली इमारतों में विभाजित किया गया था. इसमें कुल 56 ब्लॉक हैं. यहां बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से परिपूर्ण एक सर्वसुविधायुक्त कॉलोनी बनाने की परिकल्पना की गई थी. यह योजना जुलाई 2019 में शुरू हुई थी. स्लम बस्तियों के हितग्राहियों को जुलाई 2022 तक यहां शिफ्ट कर देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. अब पैसे नहीं मिल पाने के कारण यह योजना अटक गई है.

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9 फीसदी राशि नहीं मिली
दादर में निर्मित प्रत्येक मकान की लागत 4.5 लाख रुपये थे. इसमें राज्य और केंद्र दोनों का अंशदान शामिल था. राज्य और केंद्र के बीच सामंजस्य नहीं होने के कारण बात बन नहीं पाई और अंत में परियोजना की कुल लागत की 9 फीसदी राशि नगर निगम को मिल ही नहीं सकी. वर्तमान में दादर में निर्माणाधीन सभी मकानों के करीब 75 फीसदी का काम पूर्ण हो चुके हैं. इसके बाद अब काम पूरी तरह से बंद हो गया है.

कोहड़िया, राताखार सहित दूसरी स्लम बस्तियों के लिए थी दादर की परियोजना
नगर पालिक निगम कोरबा का क्षेत्रफल 215 वर्ग किलोमीटर है. यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नगर (Korba largest municipal corporation of Chhattisgarh) पालिक निगम है. यहां अधिसूचित मलिन बस्तियों की संख्या 62, जबकि अघोषित मलिन बस्तियों की संख्या 41 है. जबकि स्लम बस्तियों की आबादी 46 फीसदी है. निगम के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पक्का मकान तो दूर मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. नाली और पानी के लिए भी लोग यहां संघर्ष कर रहे हैं. स्लम बस्तियों में यह विवाद का भी बड़ा कारण बन जाता है.

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जनगणना 2011 की सूची के आधार पर चिह्नित किये गए थे हितग्राही
दादर में निर्माणाधीन पीएम आवास की कॉलोनी शहर के आसपास कोहड़िया, राताखार, दादर के करीब व अन्य स्लम बस्तियों के हितग्राहियों के लिए बनाई जा रही थी. हितग्राहियों को जनगणना 2011 की सूची के आधार पर चिह्नित किया गया था. लेकिन वर्तमान परिवेश में अब पूर्व के चिह्नांकित हितग्राहियों को यह मकान मिल पाना संभव नहीं लग रहा है.

राशि नहीं मिलने की वजह से रुका काम
नगर पालिक निगम के पीएम आवास योजना के नोडल अधिकारी एनके नाथ ने बताया कि दादर में 2784 मकान बनाए जा रहे हैं. 130 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना का करीब 75 फीसदी काम पूरा हो चुका है. कुल लागत की 9 फीसदी राशि सरकार से नहीं मिल सकी है. इस कारण वर्तमान में काम बंद हुआ है. अब इस योजना को राज्य सरकार ने परिवर्तित कर दिया है. इसके तहत अब ऐसे लोगों को मकान आवंटित किए जाएंगे जो कहीं न कहीं किराए के मकानों में निवासरत हैं. अब नई योजना के अनुसार ही काम किया जाएगा. इसको लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जल्द जारी किये जाएंगे.

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