कोरबा: विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत (Assembly Speaker Charandas Mahant) और उनकी पत्नी ज्योत्सना की 23 नवंबर को 41वीं सालगिरह थी. इस अवसर पर महंत दंपत्ती कोरबा प्रवास पर रहे. समर्थकों, कांग्रेस नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से भेंट मुलाकात की. उन्होंने लोगों से अभिवादन स्वीकार किया. सांसद बंगले में पूरा दिन कार्यक्रम चलता रहा. इस दौरान वर्तमान में कोरबा लोकसभा क्षेत्र (Korba Lok Sabha Constituency) का प्रतिनिधित्व कर रही सांसद ज्योत्सना महंत (MP Jyotsna Mahanta) ने ईटीवी भारत से बातचीत की.
सांसद से हम राजनीतिक मुद्दों पर अक्सर बातें सुनते रहते हैं. लेकिन इस बार उन्होंने अपने जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को ईटीवी भारत के साथ साझा किया. उन्होंने बताया कि किस तरह वह अपने पति डॉ. चरण दास महंत (Charandas Mahant) के साथ कॉलेज में पढ़ा करती थी. दोनों के बीच प्यार हुआ और फिर वह शादी के बंधन में बंध गए. इसके बाद एक बड़े राजनैतिक परिवार की बहू के साथ गृहिणी के तौर पर परिवार को संभाला. इन सभी बातों को सांसद ने हमारे साथ साझा किया.
सवाल: महंत के परिवार की लंबी राजनीतिक विरासत है, आज आप 41 वी सालगिरह मना रही हैं, इस विशेष में बताइये.
जवाब: मुझे आज बेहद खुशी है कि मेरे संसदीय क्षेत्र के आठों विधानसभा के जनप्रतिनिधि और विधायक भाई यहां आकर हमारी सालगिरह मना रहे हैं. सभी ने हमें शुभकामनाएं दी और आशीर्वाद लिया है. मैं सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूं, कि सब यहां आए और हम से मुलाकात की.
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सवाल: महंत और आप एक साथ एक ही कॉलेज में पढें, फिर विवाह किया इसके बारे में बताइए?
जवाब: यह बात सच है कि हम कॉलेज में एक साथ पढ़े या फिर हमारे बीच आपसी समझ विकसित हुई. इनके परिवार से फिर मेरे विवाह के लिए प्रस्ताव आया, तो हमारे पिता ने स्वीकार किया. मेरे पिता आर्य समाजी थे तो वह जात-पात में विश्वास नहीं रखते थे. मेरे पिताजी और महंत के पिताजी एक दूसरे को काफी बेहतर ढंग से समझते थे. इसलिए यह सोचकर फिर मेरा विवाह इनके साथ तय हुआ.
सवाल: आप गृहिणी रही हैं, अब आपको भी लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला. कितना चुनौतीपूर्ण है दोहरी भूमिका का निर्वाहन करना?
जवाब: यह बात तो बिल्कुल सच है सन 80 में मेरा विवाह हुआ और एक विधायक से ही हुआ था. तो इस वजह से हमारा परिवार काफी बिखरा बुआ रहा, चाहे वह बच्चों की बात हो, उनका परिवार हो या मेरा खुद का भी परिवार हो. सभी की जिम्मेदारी मेरे पास रही और मैंने सभी का निर्वहन किया. जितना मुझसे हो सका मैंने सभी को संभालने का प्रयास किया और सोचती हूं सही भी किया. बच्चों की पढ़ाई रही हो, दोनों भूमिका एक साथ निभाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण तो रहा. परिवार को संभालते हुए जनता को खुश रखना अपने क्षेत्र के साथ न्याय करना आसान नहीं होता. मैंने इनका अनुसरण किया. जीवनसंगिनी होने के नाते मैंने भी इनका जितना हो सके साथ दिया. अपने पिता से मैंने सामाजिक कार्य सीखे थे, तो समाज सेवा करने का भी प्रयास किया और इनसे शादी होने के बाद अपनी सास से यह सीखा कि एक जनप्रतिनिधि की पत्नी और राजनीतिक परिवार में किस तरह से सामंजस्य बिठाना है. किस तरह से काम करना है. तो मेरे खुद के माता-पिता इनके माता-पिता और स्वयं महंत जी, इन तीनों के बताए हुए रास्ते पर मैं चल पड़ी.
सवाल: अभी जब आप संसद भवन में जाती हैं, सवाल उठाती हैं तब क्या महंत जी से सलाह लेती हैं?
जवाब: देखिए हमारा जो संसदीय क्षेत्र है, इसमें आठों विधानसभा शामिल है. यहां से महंत जी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वह यहां के जन-जन से परिचित हैं. सभी उनको जानते हैं, तो उनका मार्गदर्शन तो मुझे मिलता ही है. चूंकि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना था. इसलिए मुझे चुनाव लड़वाया गया. कर्मभूमि उनकी भी है और मेरी भी. इसलिए हम दोनों ही मिलकर क्षेत्र के जनता की सेवा करते हैं. वह बराबर मुझे सलाह देते रहते हैं.
सवाल: वर्तमान में आप कोरबा लोकसभा क्षेत्र (Korba Lok Sabha Constituency) का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, कनेक्टिविटी के मामले में कोरबा काफी पिछड़ा हुआ है, खासतौर पर रेल सुविधा नहीं हैं?
जवाब: इस दिशा में मैंने जो पूर्व में रेल मंत्री थे और जो नए अभी रेल मंत्री बने हैं. उनसे काफी बार पत्राचार किया है. प्रयास यही है कि जनता को वह सब सुविधाएं मिले जो, हम चाहते हैं जो हमारे सपने हैं और जो महंत के पहले के भी सपने हैं. उन्हें पूरा करना है. इस बार मैं लोकसभा में इन सभी प्रश्नों को लेकर जा रही हूं. प्रयास यही रहेगा की जो सुविधाएं कोरबा को मिलनी चाहिए उन सभी को दिलवाया जाए.