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Balveer: सुविधाओं के अभाव में भी डटी रही तीरंदाज रमिता, तीरंदाजी में कमाया नाम

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Published : Nov 14, 2021, 7:06 AM IST

Updated : Nov 23, 2021, 4:10 PM IST

You will be stunned to hear the exploits of archer Ramita
तीरंदाज रमिता के कारनामें सुन रह जायेंगे दंग

कोंडागांव (Kondagaon) के नक्सल इलाके (Naxalite areas) की 12वीं की छात्रा रमिता सोरी (Ramita Sori) तीरंदाजी कला (archery art) में अपना नाम रौशन कर रही है. दरअसल, असुविधाओं को झेलते हुए भी रमिता ने कभी हिम्मत नहीं हारी.

कोंडागांव: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोंडागांव (Kondagaon) का नाम वहां के बच्चे तीरंदाजी कला (Archery art) से कर रहे हैं. हम आपको कोंडागांव की बेहतरीन तीरंदाज रमिता (Archer Ramita) के कारनामे बताने जा रहे हैं. जो कि सुविधाओं के अभाव में भी डटकर परिस्थियों का सामना करती रही. नक्सल क्षेत्र (Naxalite areas) में रहने वाली बच्ची ने कई पदक जीते (won many medals) हैं. साथ ही आगे वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर (International level) पर अपनी कला दिखाने को आतुर है.

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नक्सल क्षेत्र से हैं रमिता

दरअसल, धुर नक्सल क्षेत्र बयानार जिला कोंडागांव (Dhur Naxal Area Bayanar District Kondagaon) की रहने वाली कक्षा 12वीं में अध्ययनरत रमिता सोरी, जो कि माड़ क्षेत्र की होते हुए भी आज राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कोंडागांव जिले का तीरंदाजी में प्रतिनिधित्व करते हुए कई पदक हासिल कर चुकी है. साथ ही अपने जिले का नाम रोशन कर रही है.

सुविधाओं के अभाव में सीखा गुर

बता दें कि इस बालिका ने राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता (state level archery competition) में 15 से 20 बार खेलते हुए एवं राष्ट्रीय स्तर पर 9 बार जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए 2 सिल्वर और दो कांस्य पदक प्राप्त करते हुए जिला एवं राज्य का नाम उच्च पटल पर अंकित किया है. इस बाल दिवस के अवसर पर आज यह बच्ची उन सभी बच्चों के लिए प्रेरणा है, जो कि सुविधाओं के अभाव में अपना मुकाम हासिल नहीं कर पाते. सुविधाओं के अभाव में भी इस बच्ची ने राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर जिले एवं राज्य को गौरवान्वित करते हुए. ओलंपिक खेल खेलने की इच्छा जाहिर की है. इसके लिए वह लगातार प्रयासरत है.

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त्रिलोचन मोहंतो ने उठाया गुर सिखाने का जिम्मा

दरअसल, तीरंदाजी के क्षेत्र में कोंडागांव के बच्चों ने राज्य ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग छाप छोड़ी है. इसका सारा श्रेय आइटीबीपी 41 बटालियन को जाता है. सितंबर 2016 में आइटीबीपी 41 बटालियन के कमांडेंट सुरेंद्र सिंह खत्री ने कोंडागांव जिले में आर्चरी के प्रशिक्षण की शुरुआत की थी. इसके लिए उन्होंने आइटीबीपी के जवान त्रिलोचन मोहंतो को यहां के बच्चों को तीरंदाजी के गुर सिखाने का जिम्मा सौंपा.

सन 1993 से तीरंदाजी का खेल खेल रहे

वहीं, आइटीबीपी 41 के जवान त्रिलोचन मोहंतो (ITBP 41 jawan Trilochan Mohanto), जो कि आइटीबीपी में स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती हुए थे. वो सन 1993 से तीरंदाजी का खेल खेल रहे हैं. उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल बटोरे हैं. उनके कंधों पर कोंडागांव जिले में तीरंदाजी के क्षेत्र में एक नई चुनौती थी. जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और आज उन्होंने राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर आर्चरी को जिले से कई खिलाड़ी दिए. यही नहीं उनके तीरंदाजी के चैंपियनों ने जिले को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल भी दिए हैं. जिससे राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर आर्चरी के क्षेत्र में कोंडागांव जिले ने नया आयाम गढ़ा है.

जिले से राष्ट्रीय स्तर पर 235 बच्चों ने राष्ट्रीय तीरंदाजी खेल प्रतियोगिता में भाग लिया

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान त्रिलोचन मोहंतो ने बताया कि जिले से राष्ट्रीय स्तर पर 235 बच्चों ने राष्ट्रीय तीरंदाजी खेल प्रतियोगिता में भाग लिया है. जिसमें तीन स्वर्ण पदक, दो रजत पदक एवं एक कांस्य पदक हासिल किए हैं. ऐसे ही राज्य स्तरीय खेलों में भाग लेते हुए इन बच्चों ने 193 पदक जीते हैं. जिसमें स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक शामिल है. ऐसी ही एक युक्ति जो कि नक्सलग्रस्त इलाके से ताल्लुक रखती है. उसने आर्चरी के क्षेत्र में जिले को राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक दिलाए.आज राष्ट्रीय स्तर पर बड़े-बड़े खिलाड़ी उसके शूटिंग से थर-थर कांपते है. उसने आर्चरी के क्षेत्र में जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी है.

Last Updated :Nov 23, 2021, 4:10 PM IST
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