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खुद ही जज बनना है तो उतार दीजिए वर्दी, जानिए पुलिस अफसर पर क्यों भड़के जज ?

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 16, 2023, 8:16 PM IST

Judge angry at police officer in Bilaspur High Court
खुद ही जज बनना है तो उतार दीजिए वर्दी

Bilaspur High Court बिलासपुर हाईकोर्ट में पुलिस अफसर को जस्टिस ने जमकर लताड़ लगाई है.आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे संगीन अपराध में रिपोर्ट दर्ज नहीं पर कोर्ट में मामला गया था.जिस पर पुलिस अफसर पर जज बरस पड़े. Judge angry at police officer

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान बिलासपुर सिविल लाइन आईपीएस अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई है.इसी के साथ मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि जब पुलिस अफसर जज का काम करने लगे तो कोर्ट की जरूरत ही नहीं है. पुलिस ही फैसला कर ले तो हम जज लोग क्या करेंगे. जज बनने का शौक है तो आपका स्वागत है, आईए वकालत करिए.

क्यों की जज ने टिप्पणी ? : आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने के बाद मामले में लिप्त नेताओं को क्लीन चिट दे रही थी. जो आरोपी था उसका नाम एफआईआर में नहीं था. वहीं ये संगीन मामला और तथ्य हाईकोर्ट के सामने आया तो जस्टिस एनके व्यास ने टिप्पणी की. जस्टिस ने कहा कि ईश्वर ने आपको वर्दी दी है तो थोड़ी सी इज्जत करिए और इसकी जिन्हें जरूरत है उनकी मदद करिए, इंसानियत के नाते अपना काम ठीक से करिए.

भू-माफिया पर संगीन आरोप : बिलासपुर सकरी थाना क्षेत्र में रहने वाले वीरेंद्र नागवंशी के बेटे सिद्धांत नागवंशी ने करीब दो साल पहले सुसाइड कर लिया था. सिद्धांत की आत्महत्या के केस पर पिता वीरेंद्र ने बेटे को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि जमीन खरीदी-बिक्री के विवाद में उनके बेटे का नाम घसीटकर प्रताड़ित किया जा रहा था, जिससे तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली. उसे इस कदम को उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. मृतक बेटे के प्रताड़ना के मामले में पिता ने पुलिस अफसरों से कई बार इसकी शिकायत की. वीरेंद्र नागवंशी अपने बेटे की मौत की जांच और दोषी भू-माफिया पर कार्रवाई की मांग को लेकर लंबे समय तक पुलिस अफसरों के दफ्तरों का चक्कर काटते रहे.लेकिन जब कोई फायदा नहीं हुआ तो लाचार पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

जमीन विवाद में की थी आत्महत्या : याचिका में बताया कि सिद्धांत नागवंशी कांग्रेस नेता अकबर खान के साथ जमीन का काम करता था. अकबर खान और दिपेश चौकसे ने सिद्धांत के जरिए जमीन खरीदने के लिए मीनाक्षी बंजारे से सौदा किया. अकबर ने मीनाक्षी की जमीन खरीदने के लिए सिद्धांत के साथ एग्रीमेंट कराया और एग्रीमेंट के दौरान 30 लाख रुपए सिद्धांत के खाते में जमा कराए. कुछ समय बाद जमीन विवादित हो गई और अकबर अपने कर्मचारी सिद्धांत पर पैसे वसूलने के लिए लगातार दबाव बनाने लगा. मीनाक्षी ने पैसे वापस करने से मना कर दिया. इस मामले में मृतक के पिता का आरोप है कि अकबर खान और दीपेश चौकसे ने मिलकर बेटे को परेशान करते थे. मजबूरन बेटे सिद्धांत को आत्महत्या करना पड़ा. पिता ने इस केस में दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

पुलिस की कार्यशैली पर कोर्ट ने जाहिर की नाराजगी : सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस एनके व्यास सीएसपी संदीप पटेल (आईपीएस) को कड़ी फटकार लगाते हुए नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि पुलिस की जांच स्पष्ट नहीं है. अकबर खान को क्यों क्लीन चिट दी गई. कोई पॉलिटिकल प्रेशर था क्या, कोर्ट ने यहां तक कहा कि हमें मत बोलवाइए अगर हम कुछ लिख देंगे तो दिक्कत हो जाएगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस व्यास ने कहा कि ऐसे कोई भी केस में पुलिस आसानी से केस दर्ज कर लेती है.जब बड़े लोगों का नाम आता है तब कुछ प्रॉब्लम हो जाती है.कोर्ट ने कहा कि एफआईआर करने में क्या दिक्कत है. सुनवाई के दौरान अधिकारी संदीप पटेल ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि केस मामले में एफआईआर की जाएगी.

पिछले महीने भी कोर्ट में हुई थी सुनवाई : मामले में पिछली सुनवाई 30 नवंबर को हुई थी और इस मामले में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी. पुलिस ने कार्रवाई नहीं करने के साथ ही जमीन दलालों की प्रताड़ना से लोगों की जान जाने के मामले में कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी. कोर्ट ने कहा था कि पुलिस जानबूझकर कार्रवाई नहीं करना चाहती थी. इसलिए पूरे मामले को डेढ़ साल तक लटकाया गया है. जहां पुलिस रसूखदारों के मामले में पूरी रात काम कर रिजल्ट पर तत्काल पहुंचती है, वहीं गरीब लोगों के लिए पुलिस यह कर्तव्य क्यों नहीं निभाती. जिसके बाद मामले में कोर्ट ने राज्य शासन, एसपी बिलासपुर को भी नोटिस जारी किया था.

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