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बालोद: केदार कश्यप ने धर्मांतरण करने वालों पर साधा निशाना

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Published : Nov 13, 2022, 10:13 PM IST

Kedar Kashyap targets on convertion in balod
प्रदेश स्तरीय रामधूनी प्रतियोगिता का आयोजन

Kedar Kashyap targets on convertion भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर प्रदेश स्तरीय रामधूनी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जहां बतौर मुख्य अतिथि कांकेर लोकसभा सांसद मोहन मंडावी शामिल हुए. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश के पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने किया. इस दौरान पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने धर्मांतरण करने वालों को खुला चैलेंज किया.

बालोद: बालोद के आस्था के प्रतीक भोला पठार में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर प्रदेश स्तरीय रामधूनी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. भोला पठार विकास समिति एवं रामधुनि महासंघ द्वारा यह आयोजन किया गया. जहां बतौर मुख्य अतिथि कांकेर लोकसभा सांसद मोहन मंडावी शामिल हुए. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने किया. यहां आदिवासी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम भी मौजूद रहे. इस आयोजन के माध्यम से भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने धर्मांतरण करने वालों को खुला चैलेंज किया. Kedar Kashyap targets on convertion

प्रदेश स्तरीय रामधूनी प्रतियोगिता का आयोजन
"धर्मांतरण के साथ मतांतरण भी हो रहा": हम भगवान राम के मानने वाले पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि "आज युवा पीढ़ी को बिगाड़ने लोग लगे हुए हैं. यहां पर धर्मांतरण के साथ मतांतरण भी हो रहा है. यहां पर आज कुछ लोग राम का विरोध करते हैं." उन्होंने कहा कि "उनके बाप दादा को पूछना हमारे वंशज कौन है. आज हमारे समाज को कुछ लोग दिग्भ्रमित कर रहे हैं."

धर्मांतरण को लेकर हल्ला बोला: उन्होंने धर्मांतरण को लेकर हल्ला बोला उन्होंने कहा कि "धर्मांतरण करना है तो सामने से आओ, पीछे दरवाजे से नहीं. भगवान श्रीराम के तरफ उंगली उठाने वाले लोग, मैं कह देता हूं. वनवास के समय हमारे आदिवासियों ने साथ नहीं छोड़ा है. आज भी हम भगवान के मानने वाले हैं. उन्होने भगवान बिरसा मुंडा के बारे में कहा कि "वो एक ऐसे योद्धा हैं, जिन्होंने 25 वर्ष की आयु में अपना सम्पूर्ण काम कर गए, जो काम महापुरुष करते हैं. दिव्य आत्मा करते हैं."

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धर्म, संस्कृति का संरक्षण के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता: कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सांसद मोहन मंडावी ने भी इस आयोजन को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि "इस तरह के आयोजन की आवश्यकता है. ताकि धर्म संस्कृति का संरक्षण हो सके. इस आयोजन में अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश के अध्यक्ष विकास मरकाम ने कहा कि "भगवान राम से हमारा पूरा आदिवासी समाज जुड़ा हुआ है. आज हमारे समाज को सहेजना बड़ा अनिवार्य है.

हर साल होता है आयोजन: भोला पठार में यह आयोजन हर साल होता है. आदिवासी समाज सहित पूरे जिले एवं प्रदेश के हर वर्ग समाज के लोगों की आस्था इस पठार से जुड़ी हुई है. किदवंती है कि जब माता सीता का हरण हुआ था. तब भगवान राम इस पर्वत से होकर गुजर थे. यहां पर माता सती ने भगवान राम की परीक्षा ली थी. इसे दंडकारण्य क्षेत्र भी कहा जाता है. भगवान राम के दर्शन के लिए भगवान शिव यहां प्रकट हुए थे.

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