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Glory of Ganga Maiya :बालोद में देवी प्रतिमा हटाने के दौरान हुई थी अनहोनी,जानिए जल से कैसे निकली थी मां गंगा ?

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 17, 2023, 9:18 PM IST

Glory of Ganga Maiya
बालोद में देवी प्रतिमा हटाने के दौरान हुई थी अनहोनी

Glory of Ganga Maiya :नवरात्रि के पावन पर्व पर दुर्गा माता के नौ रूपों की आराधना हो रही है. बालोद जिले के देवी मंदिरों में भी भक्त दर्शन के लिए आ रहे हैं. जिले के ग्राम झलमला मां गंगा मैया मंदिर में शारदीय नवरात्रि का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. इस नवरात्रि 901 आस्था के ज्योत मां गंगा मैया मंदिर में प्रज्वलित किए गए हैं. Navratri 2023

बालोद में देवी प्रतिमा हटाने के दौरान हुई थी अनहोनी

बालोद : बालोद जिले झलमला गांव में विराजित मां गंगा मैया की महिमा पूरे विश्व में मशहूर है. माता के दर्शन करने के लिए स्थानीय के अलावा विदेशी भक्त भी आते हैं. छत्तीसगढ़ के लिए मां गंगा का ये मंदिर उपासना का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. मां गंगा मैया की कहानी अंग्रेजी शासन काल के समय से जुड़ी है. मां की मूर्ति एक तालाब से निकली थी जिसे बांधा तालाब कहा जाता है. लगभग 134 साल पहले जिले की जीवन दायिनी तांदुला नदी पर नहर का निर्माण चल रहा था. उस दौरान झलमला की आबादी मात्र 100 थी. उस दौरान पशुओं की संख्या अधिक होने के कारण पानी की कमी थी. पानी की कमी को दूर करने बांधा तालाब की खुदाई कराई गई.जहां से माता की प्रतिमा निकली.

केंवट के जाल में फंसी थी प्रतिमा : मंदिर के व्यवस्थापक सोहन लाल टावरी ने बताया कि एक दिन ग्राम सिवनी का एक केवट मछली पकड़ने के लिए इस तालाब में गया. जाल में मछली की जगह एक पत्थर की प्रतिमा फंस गई. केंवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझ कर फिर से तालाब में डाल दिया. इस प्रक्रिया के कई बार पुनरावृत्ति से परेशान होकर केंवट जाल लेकर अपने घर चला गया.


सपने में केंवट को हुआ माता का अहसास : देवी ने गांव के गोंड़ जाति के बैगा को स्वप्न में आकर कहा कि मैं जल के अंदर पड़ी हूं. मुझे जल से निकालकर मेरी प्राण-प्रतिष्ठा करवाओ.स्वप्न की सत्यता को जानने के लिए तत्कालीन मालगुजार छवि प्रसाद तिवारी, केंवट और गांव के अन्य प्रमुखों को साथ लेकर बैगा तालाब पहुंचा.केंवट ने फिर जाल फेंका जिसमें वही प्रतिमा फिर फंस गई. फिर प्रतिमा को बाहर निकाला गया, उसके बाद देवी के आदेशानुसार छवि प्रसाद ने अपने संरक्षण में प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई. जल से प्रतिमा निकली होने के कारण गंगा मैया के नाम से विख्यात हुई.

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प्रतिमा को हटाने के दौरान हुई कई मौतें : तांदुला नहर निर्माण के दौरान गंगा मैया की प्रतिमा को वहां से हटाने की काफी कोशिश हुई.इसी कोशिश को करते वक्त अंग्रेज एडम स्मिथ सहित और कई अंग्रेजों की मौत हो गई. ग्रामीण पलक ठाकुर ने बताया कि गंगा मैया के भक्त ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी है. राज्य और देश के लोग जो विदेशों में जा बसे हैं. वे भी मंदिर में नवरात्रि पर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करवाते हैं. मान्यता है कि सच्चे मन और श्रद्धा रखने वाले भक्तों की मनोकामनाएं देवी गंगा मैया पूरी करती हैं. इस मंदिर में हर साल चैत्र और क्वांर नवरात्रि में नौ दिनों तक कई धार्मिक आयोजन होते हैं.

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