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Politics of Chhattisgarh: बस्तर में धर्म विशेष के खिलाफ हिंदू संगठनों का आर्थिक बहिष्कार, कहीं वोटों के ध्रुवीकरण की साजिश तो नहीं !

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Published : Apr 14, 2023, 10:39 PM IST

Updated : Apr 16, 2023, 5:32 PM IST

बस्तर में धर्म विशेष के खिलाफ हिंदू संगठनों ने एक शपथ ली है. इस शपथ में धर्म विशेष के लोगों का आर्थिक बहिष्कार करने की बात कही जा रही है. बस्तर में इस तरह की गतिविधि का छत्तीसगढ़ की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा. आइए जानते हैं

Effect of economic boycott of Hindu organizations
धर्म विशेष के लोगों का आर्थिक बहिष्कार

बस्तर में नया बवाल

रायपुर:छत्तीसगढ़ चुनाव में बस्तर मुख्य केंद्र बनता जा रहा है. यहां 12 सीटें हैं. जो कांग्रेस के पास है. अब यहां हिंदू संगठनों ने वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति शुरू कर दी है. एक खास समुदाय के आर्थिक बहिष्कार की राजनीति की जा रही है. दरअसल 10 अप्रैल बस्तर में हिंदू संगठनों की तरफ से सार्वजनिक तौर पर एक शपथ ली गई. इस कसम में खास समुदाय वर्ग के आर्थिक बहिष्कार की बात कही गई. शपथ से जुड़ा यह वीडियो वायरल हो रहा है. ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता .

इनका ऐसा कहना है कि ,बस्तर में हिंदू वर्ग के लोग खास समुदाय के लोगों से किसी भी तरह का कोई लेनदेन नहीं करेंगे. उनके दुकानों से कुछ भी नहीं खरीदेंगे". इस शपथ के तहत ये भी फैसला लिया गया कि,हिंदू दुकानदार अपने दुकान के बाहर मैं हिंदू हूं का साइनबोर्ड भी लगाएंगे. इस शपथ ग्रहण कार्यक्रम में जय श्रीराम के नारे लगाए गए. इस संकल्प के कार्यक्रम में पूर्व भाजपा सांसद दिनेश कश्यप, बस्तर परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव, जिला अध्यक्ष रूप सिंह मंडावी शामिल थे. इसके अलावा जगदलपुर निगम में नेता प्रतिपक्ष संजय पांडे के साथ 70 से 80 विहिप और भाजपा कार्यकर्ता भी इसमें शामिल हुए. बड़ी संख्या में महिलाएं भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रही. चुनावी साल में इसके कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं.

आर्थिक बहिष्कार के संकल्प पर वीएचपी का क्या है मत: इस मसले पर विश्व हिंदू परिषद के प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर वर्मा ने कहा कि" जो देश विरोधी है, हिंदू विरोधी है, धर्मांतरण कार्य में लिप्त हैं, लव जिहादी हैं, ऐसे लोगों की पहचान कर उसका संपूर्ण बहिष्कार किया जाएगा. यह हर देशवासी और हर देशभक्त नागरिक का प्राथमिक कर्तव्य है.

देश की अमन चैन को बिगाड़ने की साजिश: इस मुद्दे पर मदानी सोशल वर्कर ग्रुप के सदस्य नोमान अकरम हामिद ने भी ईटीवी से बात की है. उन्होंने कहा कि इसमें संकल्प लेने वाले लोग किसी विशेष समुदाय के लोग नहीं थे. बल्कि वे वीएचपी, बजरंग दल के लोग थे. इनके आर्थिक बहिष्कार को लेकर मेरा मानना है कि" विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल हिंदुस्तान की अमन और चैन की फिजा को बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं. छत्तीसगढ़ शांति का टापू माना जाता था. लेकिन यहां भी धीरे धीरे जहर घोला जा रहा है. उन लोगों का यह प्रयास नाकाम रहेगा. हम सब मिलकर इन सारे प्रयासों को फेल करेंगे. इस सारी परेशानियों को खत्म करेंगे. विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जो ये काम कर रहे हैं उनके नापाक इरादों को नाकाम करेंगे"

संविधान की धज्जियां उड़ाने का काम: ईसाई समाज के प्रमुख अरुण पन्नालाल ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हैं. उन्होंने कहा कि "जगदलपुर में जो संकल्प लिया गया यह सबसे ज्यादा संविधान के चेहरे पर कालिख पोतने का काम किया गया है. देश का संविधान इसलिए बनाया कि, सभी में समरसता रहे. आर्टिकल 38 में भाईचारे की बात की गई है और अथॉरिटी भी दी गई है. लेकिन आज की तारीख में संविधान नाम की कोई चीज नहीं है. यही वजह है कि यह सारी बातें हो रही है."

पन्नालाल ने कहा कि "इस तरह के मामले पिछले 4 साल से चले आ रहे हैं. अब इनके हौसले इतने बढ़ते जा रहे हैं कि, यह भगवा अतिवाद अपने चरम पर पहुंच गया है. अब सड़कों पर खुलेआम बोला जा रहा है. भगवाधारी से मतलब किसी पार्टी की ओर इशारा नहीं है . बल्कि भगवाधारी दोनों तरफ ही है. आज तो हर तरफ है. कांग्रेस का नाम लीजिए या बाकी पार्टी का नाम लीजिये. सब में भगवाकरण हो रहा है. किसी पार्टी विशेष में आज ऐसा जहर सीमित नहीं रहा है. ऐसे मामलों में सरकार सुरक्षा नहीं दे पा रही है"

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रमन सिंह मुद्दे को टालते नजर आए: धर्म विशेष के खिलाफ हिंदू संगठनों के आर्थिक बहिष्कार की शपथ पर जब रमन सिंह से सवाल पूछा गया तो. वे इस मुद्दो को टालत नजर आए.उन्होंने कहा कि "कुछ स्थानीय मामला हो सकता है. उसे मैं देख लूंगा."

सीएम बघेल ने बीजेपी और आरएसएस पर लगाया वोटों के ध्रुवीकरण का आरोप: धर्म विशेष के खिलाफ आर्थिक बहिष्कार की बात पर सीएम बघेल ने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने वोटों के लिए इस तरह के कार्य करने का आरोप बीजेपी पर लगाया. सीएम बघेल ने कहा कि" भाजपा को नफरत फैलाने के अलावा कुछ नहीं आता है.आरएसएस की यही ट्रेनिंग है, समाज में नफरत और द्वेष फैलाना. आधा वोट ले लो. जनता के लिए इनके पास कोई कार्यक्रम नहीं है. बिरनपुर की घटना में क्या हुआ, ना तो कोई जांच कमेटी बनाएं, ना तो कोई निष्कर्ष पर पहुंचे और सीधा हिंसा, आग लगाओ ताकि सत्ता हासिल कर सकें." जानकार भी इस तरह की कवायद को चुनावी साल में वोटों के ध्रुवीकरण की साजिश से जोड़कर देख रहे हैं.

Last Updated : Apr 16, 2023, 5:32 PM IST
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