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कोरोना महामारी के दौरान बेघर हुए पशु और पालतू जानवरों के लिए एक मां

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Published : Jul 22, 2020, 6:50 AM IST

जानवरों की लंबे समय से देखभाल कर रहीं सुनिता क्रिस्टी कोरोना काल में अपने मालिकों द्वारा सड़क पर छोड़े गए जानवरों के लिए एक मां के रूप में सामने आई हैं. वह इन जानवरों की इस तरह सेवा कर रही हैं, मानों जैसे यह बेजुबान जानवर उनकी अपनी औलाद हैं.

सुनिता क्रिस्टी
सुनिता क्रिस्टी

हैदराबाद : जानवरों की लंबे समय से देखभाल कर रहीं सुनिता क्रिस्टी कोरोना काल में अपने मालिकों द्वारा सड़क पर छोड़े गए जानवरों के लिए एक मां के रूप में सामने आई हैं. वह इन जानवरों की इस तरह सेवा कर रही हैं मानों जैसे यह बेजुबान जानवर उनकी अपनी औलाद हैं. सुनिता के लिए जानवरों की देखभाल करना एक मिशन और जुनून है.

उनके घर पर जानवरों के लिए बनाया गया शेड उन मवेशियों के लिए एक आश्रय है जिन्हें उनके मालिकों द्वारा छोड़ दिया गया क्योंकि वह इन जानवरों को खाना नहीं खिला सकते थे या फिर उन्होंने जानवरों को केवल इस सड़क पर छोड़ दिया कि उनको डर था कि वह इन जानवरों के सम्पर्क में आने से कोरोना संक्रमित हो सकते हैं.

सुनिता क्रिस्टी का पशु आश्रय

जानवरों की लंबे समय से देखभाल कर रहीं सुनिता क्रिस्टी के लिए ऐसे बेजुबान जानवरों की देखभाल करना एक मिशन है.

तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के कुमारपुरम स्थित उनके मवेशी शेड में गायों, बैलों, भैंसों, गधों, टर्की और कुत्तों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के पक्षी आश्रय लिए हुए हैं.

अपने बच्चों की तरह इन जानवरों की देखभाल करते हुए, उन्होंने पशु संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. न केवल इस महामारी के दौरान, बल्कि पिछले 15 वर्षों से, वह इस निस्वार्थ सेवा में लगी हुई हैं.

उनके आश्रय में शामिल होने वाले नए जानवर वह हैं जिनको उनके मालिकों द्वारा कोरोना के डर से सड़कों पर छोड़ दिया गया था.

इन सबके अलावा वह उन जानवरों को भी अपने घर लेकर आईं, जिन्हें बूचड़खानों में भेजा जा रहा था. अब उनका पशु आश्रय पक्षियों सहित लगभग 150 से अधिक जानवरों के लिए घर है.

सुनीता इन जानवरों से इतनी जुड़ी हुई हैं कि उन्होंने सभी का नाम रखा हुआ है और वह हर जानवर को उसके नाम से पुकारती हैं.

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अब सवाल उठता है कि वह अकेले इन सभी जानवरों को किस तरह संभालती हैं? उन सभी को खाना खिलाना कैसे संभव है? इस सवालों का जवाब देते वक्त उनके चेहरे पर एक मुस्कान होती है. वह कहती हैं कि मेरा काम इस क्षेत्र में जाना जाता है और इस काम में लोग मेरी मदद करते हैं.

उन्होंने बताया कि जो लोग मवेशियों की देखभाल नहीं कर सकते थे, वह पैसे और सामग्री देकर सहायता कर रहे हैं. इसके लिए सोशल मीडिया काम आता है. मैं उनकी शुक्रगुजार हूं, लोगों की मदद के बिना इस काम को करना मुश्किल होगा.

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