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VIDEO: देखिए बगहा नगर परिषद के चेयरमैन का मोहल्ला, 6 महीने ऐसे ही रहते हैं हालात

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Published : Aug 4, 2021, 6:07 PM IST

Bagaha Municipal Council
Bagaha Municipal Council

पश्चिम चंपारण के बगहा में लोगों को 6 महीने तक जलजमाव (Water Logging) की समस्या झेलने पड़ती है. हैरानी की बात कि नगर परिषद के वार्ड 24 में ही नगर परिषद के चेयरमैन का भी निवास स्थान है. उसके बावजूद इस दिशा में आजतक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.

पश्चिम चंपारण(बगहा): बगहा नगर परिषद (Bagaha Municipal Council) के चेयरमैन का मोहल्ला तकरीबन छह माह के लिए जलमग्न हो जाता है. यहां जलजमाव (Water Logging In Bagaha) की स्थिति ऐसी रहती है कि मोहल्लेवासियों को मुख्य मार्ग एनएच 727 (NH 727) पर जाने के लिए दूसरे सड़कों का सहारा लेना पड़ता है.

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बगहा नगर परिषद के वार्ड 24 में पूरे बरसात झील सा नजारा रहता है. शहर के इस पॉश इलाके के लोग जलजमाव की समस्या से तकरीबन 15 वर्षों से दो चार होते आ रहे हैं. दरअसल नगर के बॉम्बे मेला मैदान में पूरे शहर के नाली का पानी आता है और छह महीने तक जलजमाव की स्थिति बनी रहती है.

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'इस जलजमाव से हम सभी बहुत परेशान हैं. जलजमाव के कारण हमें दूसरे रास्ते से जाना पड़ता है. कई बार हमने इसके लिए प्रशासन से गुहार भी लगाई लेकिन इसका आजतक हल नहीं निकला.'- कृष्णा, शिक्षक

इसी कंपाउंड में सरकारी मवेशी अस्पताल भी है और इसके कर्मी भी पानी में चलकर आवाजाही करने को मजबूर रहते हैं. बता दें कि इस मोहल्ले में ही नगर परिषद के चेयरमैन का निवास स्थान है. बावजूद इसके जलजमाव की समस्या को कभी गम्भीरता से नहीं लिया जाता है.

10 से 15 साल से ऐसी ही समस्या है. स्थायी निदान आज तक नहीं निकाला गया. बच्चों को परेशानी होती है. यहां कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है.- पंकज कुमार, निवासी, वार्ड नंबर 24

ग्रामीणों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष उनके मोहल्ले के इस मैदान में तालाब सा नजारा रहता है और जब तेज धूप होती है तो नाली के जमा हुए पानी से सड़ांध की बदबू आने लगती है जो कई तरह के बीमारियों का घर है.

जलजमाव के बाबत लोग बताते हैं कि एनएच 727 किनारे यह जलजमाव दशकों से होते आ रहा है. सबसे बड़ी समस्या बच्चों को स्कूल आने जाने में होती है. साथ ही यहां के बाशिंदों को जब एनएच पर जाना हो तो काफी दूर चलकर दूसरे रास्तों से मुख्य मार्ग पर पहुचना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि एसडीएम समेत नप अधिकारियों को प्रत्येक वर्ष समस्याओं से अवगत कराया जाता है लेकिन कोई स्थायी निदान नहीं निकाला जाता है.

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