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Bagaha News: मां के निधन का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सका बेटा, दोनों का एक साथ हुआ अंतिम संस्कार

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Published : Jun 4, 2023, 8:40 PM IST

बिहार के बगहा में मां का निधन के बाद बेटे की मौत का मामला सामने आया है. वह मां के निधन का सदमा बेटा बर्दाश्त नहीं कर सका. मां के निधन के कुछ देर के बाद ही बेटे की मौत हो गई. परिजनों को इसकी जानकारी मिली तो दोनों के शव का एक साथ अंतिम संस्कार किया. पढ़ें पूरी खबर...

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नथुनी पंडित, मृतक का चचेरा भाई

बगहाः बिहार के बगहा में मां और पुत्र की एक साथ अर्थी उठी. दरअसल 108 साल की वृद्धा की मौत की खबर सूनकर उसका बेटा सदमे में चल गया. इसी सदमे में उसकी मौत हो गई. इसके बाद गांव के लोगों ने दोनों के शव का एक साथ अंतिम संस्कार किया. यह घटना आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई. सभी लोग इसे आश्चर्य मान रहे हैं, कि यह किस तरह से हो गया.

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घर में सिर्फ मां बेटा ही थाः घटना शनिवार के दोपहर की है. मां और बेटे के अलावा घर परिवार में कोई अन्य सदस्य नहीं रहता था. मामला चौतरवा थाना स्थित सीतापार गांव की है, जहां स्वर्गीय सुखल पंडित की पत्नी बेला देवी (108) वर्ष का निधन हो गया. अंतिम संस्कार के लिए सभी रिश्तेदार पहुंचने लगे. सभी तैयारियां पूरी कर जैसे ही श्मशान घाट पर निकलने की तैयारी हुई, उसी बीच बेटे पारस पंडित (77) की भी मौत हो गई.

एक साथ किया अंतिम संस्कारः मृतक के चचेरे भाई नथुनी पंडित ने बताया कि मां बड़ी मां का निधन के बाद भाई चारपाई पर जाकर लेट गए. जब सभी लोग श्मशान घाट जाने की तैयारी करने लगे तो एक गांव का ही व्यक्ति उन्हें बुलाने गया. जब वे नहीं जगे तब घर में शोर गुल मच गया. उसके बाद मैं भी बुलाने के लिए गया, लेकिन उनका देहांत हो चुका था. इसके बाद पुनः दूसरी अर्थी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई. एक ही चिता पर अंतिम संस्कार कर दिया गया.

पत्नी की हो चुकी है मौतः पारस को एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है. पारस की पत्नी की मौत 15 साल पहले ही हो गई थी. ऐसे में इस घर परिवार में कोई चिराग हीं नहीं बचा है. अब यह घटना चारो तरफ चर्चा का विषय बना है. बताया जा रहा है कि 77 साल के उम्र में भी पारस अपने मां का ख्याल रखते थे. खुद से ही अपना सब काम कर लिया करते थे, साथ हीं मां के दैनिक कामों में भी हाथ बंटाया करते थे. इसी कारण उन्होंने मां का निधन का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके.

"बड़ी का मां का सामान्य निधन हो गया था. मेरे भाई चारपाई पर लेटे थे. सभी लोग अंतिम संस्कार के लिए जाने की तैयारी कर रहे थे. इसी दौरान गांव के एक व्यक्ति मेरे भाई से तंबाकू मांगने के लिए गया तो देखा कि भाई की मौत हो चुकी है. इसके बाद एक और अर्थी बनाकर दोनों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया." - नथुनी पंडित, मृतक का चचेरा भाई


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