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Madanpur Devi Temple : यहां पिंडी रूप में विराजमान हैं मां भगवती, हर रात दर्शन के लिए आता है बाघ, जानें क्या है मान्यता

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 21, 2023, 2:51 PM IST

देवी के दर्शन के लिए रोज रात को आता है बाघ
देवी के दर्शन के लिए रोज रात को आता है बाघ

बिहार के एकमात्र वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) के घने जंगलों में अवस्थित है मदनपुर माता का मंदिर. मान्यताओं के अनुसार देवी के दर्शन के लिए प्रतिदिन रात में बाघ इस मंदिर में आता है. यहां मां भगवती पिंडी रूप में विराजमान हैं, जिनसे कई कहानियां और मान्यताएं जुड़ी हैं.

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बगहा: पश्चिम चंपारण के मदनपुर जंगल में विख्यात देवी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. बताया जाता है कि यहां रहसु गुरु बाघों के गले में सांप की रस्सी लपेट दवंरी (फसलों की मड़ाई) करते थे. यूपी और बिहार से सटे वाल्मीकि टाईगर रिजर्व के मदनपुर जंगल में विख्यात देवी मंदिर है.

पढ़ें- Watch Video: कैमूर में मां मुंडेश्वरी के दरबार में पहुंचे नाग देवता, पीने लगे दूध

देवी के दर्शन के लिए रोज रात को आता है बाघ: यह मंदिर नेपाल, बिहार और यूपी के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. बताया जाता है कि रहसु गुरु बाघों के गले में सांप की रस्सी लपेट दवंरी (फसलों की मड़ाई) करते थे. आपने वैसे तो बहुत से चमत्कारी मंदिरों के बारे में सुना होगा लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश सीमा पर वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के घने जंगलों के बीच स्थित सिद्धिदात्री मां मदनपुर देवी मंदिर अपने आप में बेहद खास और चमत्कारी है.

पिंडी रूप में विराजमान हैं मां भगवती
पिंडी रूप में विराजमान हैं मां भगवती

मां भगवती के पिंडी रूप के दर्शन: यहां श्रद्धालुओं को मां भगवती के पिंडी रूप के दर्शन होते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी के इस दरबार में जो कोई भी सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हुए देवी से मन्नतें मांगता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता है. मां मदनपुर देवी का मंदिर बगहा पुलिस जिले से लगभग 17 किलोमीटर दूर मदनपुर वन क्षेत्र के घने जंगलों के बीच स्थित है.

मंदिर के पुजारी ने बतायी पूरी कहानी: मंदिर के पुजारी बलजोर भगत ने बताया कि मदनपुर देवी स्थान कभी राजा मदन सिंह के राज्य के अधीन आता था. यह मंदिर घने जंगलों के बीच स्थित है, जहां राजा कभी कभार शिकार करने के लिए आया करते थे. इसी दौरान राजा को सूचना मिली कि रहषु गुरु नाम के साधु उनके राज्य में जंगलों के बीच बाघ के गले में सांप बांधकर धान की दवनी(मड़ाई) करते हैं. यह बात सुनकर राजा सैनिकों के साथ मौके पर वहां पहुंचे और अपनी आंखों के सामने यह सब देख कर अचंभित हो गए.

"राजा, देवी मां को सामने बुलाने की जिद्द करने लगे. रहषु गुरु ने राजा को बहुत समझाया कि देवी के आने पर उनके राज पाठ का सर्वनाश हो जाएगा, लेकिन राजा ने उनकी एक ना सुनी और अपनी जिद पर अड़े रहे. तब रहषु गुरु ने देवी का आह्वान किया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रहषु गुरु ने देवी का आह्वान किया, तब मां भगवती देवी कामाख्या से चलकर खंडवा में विश्राम करती हुई थावे पहुंची."- बाबा बलजोर दास, मंदिर के पुजारी

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार: मान्यताओं के अनुसार देवी के थावे पहुंचने के बाद रहषु गुरु ने एक बार राजा को फिर चेतावनी दी लेकिन राजा नहीं माने. इस दौरान देवी मां भक्त रहषु गुरु के सिर को फाड़ते हुए राजा को अपने हाथ का कंगन दिखाया. यह देख राजा मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़े और फिर कभी नहीं उठे.

"माता भगवती साक्षात यहां आई हुईं हैं. रहषु गुरु ने माता को बुलाया था. मां की महिमा सभी जानते हैं."- रविंद्र पांडे, श्रद्धालु, कुशीनगर

"माता में बहुत शक्ति है. सारी नाकारात्मता दूर होती है. मैं चाहती हूं कि मेरी नेगेटिव एनर्जी भी दूर हो जाए."- रानी शर्मा, भक्त , गोरखपुर

हरिचरण नामक व्यक्ति ने शुरू की थी पूजा: राजा का पूरा परिवार और राज पाठ सब तहस-नहस हो गया. देवी मां जमीन में समां गईं और यहां पिंडी के रूप में स्थापित हो गईं. कालांतर में हरिचरण नामक व्यक्ति की नजर पिंडी पर पड़ी. उसने देखा कि एक गाय पिंडी पर अपना दूध गिरा रही है. उन्होंने पिंडी के आसपास सफाई कर पूजा करना शुरू कर दिया.

मंदिर में रात को रुकने की नहीं अनुमति: कहा जाता है कि हरिचरण की भक्ति से प्रसन्न देवी मां ने रखवाली के लिए एक बाघ प्रदान किया जो हरिचरण के साथ रहता था. यही वजह है कि माता के इस दरबार में मां का वाहन बाघ प्रतिदिन रात में उनके दर्शन के लिए आता है. लिहाजा आज भी रात के समय यहां किसी को रुकने को अनुमति नहीं दी जाती है.

भक्तों का लगता है तांता: मंदिर के पुजारी खुद संध्या भोग के बाद माता का आसन लगाते हैं और अपने निवास कोच में चले जाते हैं. जिसके बाद सुबह ही बाहर आते हैं. पहले यहां पहुंचना काफी मुश्किल था, लेकिन दो दशक पहले गंडक नदी पर छितौनी बगहा पुल बन जाने से यूपी के भी लाखों श्रद्धालु देवी दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

"मंदिर का नाम बहुत है. कई हस्तियां माता के दर्शन के लिए आ चुके हैं."- राजा बाबू चौधरी, सब इंस्पेक्टर, उत्पाद विभाग

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु: यहां मंदिर का निर्माण हो गया है. नतीजतन नेपाल, बिहार, उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवी दर्शन के साथ ही शादी विवाह मुंडन आदि धार्मिक कार्य कराने यहां पहुंचते हैं. यहां बकरे और मुर्गे की बलि भी दी जाती है और नवरात्र के समय भारी मेला लगता है.

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