बेतिया ग्राउंड रिपोर्ट: बाढ़ में डूब गया आशियाना, चंपारण तटबंध पर शरण लेने को मजबूर हैं बाढ़ पीड़ित

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Published : Aug 30, 2021, 2:08 PM IST

बेतिया में बाढ़

बारिश के कारण उत्तर बिहार की नदियां एक बार फिर से उफान पर हैं. पश्चिम चम्पारण जिले के नौतन प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों में बाढ़ का पानी धुस गया है. जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. पढ़ें परी खबर.

पश्चिम चंपारण: नेपाल (Nepal) और बिहार (Bihar) के पश्चिम चंपारण (West Champaran) जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. गंडक बराज (Gandak Barrage) से पानी छोड़े जाने के बाद से बेतिया (Bettiah) के नौतन प्रखंड (Nautan Block) क्षेत्र में बाढ़ का पानी तबाही मचा रहा हैं. कई गांव में पानी घुस चुका है. नौतन प्रखंड के शिवराजपुर पंचायत, भगवानपुर पंचायत, विशंभरपुर बाढ़ की चपेट में है.

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भगवानपुर पंचायत के लोग अपना गांव छोड़कर चंपारण तटबंध पर शरण लेने के लिए मजबूर है. लोगों के घरों में जो अनाज, कपड़ा और जो भी सामग्री है उसे लेकर वह चंपारण तटबंध पर शरण ले रहे हैं, ताकि वह अपना और अपने बच्चों का किसी तरह बचाव कर सकें. बाढ़ में इनका सब कुछ तबाह हो चुका है. घर में रखा अनाज भी पानी में खराब हो चुका है.

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गांव में पानी आ जाने से लोगों का आशियाना छीन चुका है. पानी आने के बाद लोग आनन-फानन में जो हाथ लगा वह घर से लेकर बाहर निकल गए और चंपारण तटबंध पर अपना तंबू लगा रहे हैं. प्लास्टिक और त्रिपाल तानकर वहीं पर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. यहां प्रशासन की ओर से लोगों को किसी प्रकार का राहत सामग्री नहीं मिला है.

बाढ़ पीड़ित जिला प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उनके लिए एक सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की जाए. ताकि उन्हें दो वक्त का भोजन मिल सके. वहीं उनके बच्चों का भी पेट पल सके. लोगों ने कहा कि बाढ़ ने उनका सब कुछ छीन लिया है और वह तबाह हो चुके हैं.

बता दें कि नौतन प्रखंड हर साल बाढ़ की चपेट में आता है. नौतन प्रखंड के कई पंचायत पूरी तरह से टापू बन जाते हैं. उन पंचायतों में जाने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा होता है. अभी बाढ़ के दौरान लोग नाव के सहारे ही गांव से बाहर निकल रहे हैं. गांव में सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं है. लोग प्राइवेट नाव पर जैसे-तैसे अपना सामान रखकर अपने बाल बच्चों के साथ सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं.

बाढ़ के दौरान रहने के लिए कोई शिविर नहीं होने के चलते लोग चंपारण तटबंध पर रहने को मजबूर है. फिलहाल बाढ़ पीड़ित पानी कम होने तक इसी तटबंध पर बने रहेंगे और जब बाढ़ का पानी गांव से बाहर निकलेगा तो फिर से ये लोग अपना आशियाना ढूंढने में लेगेंगे. फिलहाल ये बाढ़ पीड़ित जिला प्रशासन से एक सामुदायिक किचन की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं.

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