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बेतिया: धनकुटवा और बैशखवा पंचायत को जोड़ने वाला धोबहां पुल पूरी तरह से जर्जर, अनहोनी की आशंका हर पल

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Published : Dec 11, 2020, 4:55 AM IST

Updated : Dec 15, 2020, 3:46 PM IST

जिले के सिकटा प्रखंड के धनकुटवा पंचायत के नरकटिया गांव और बैशखवा पंचायत के झकरा गांव को जोड़ने वाले रास्तें में पड़ने वाला धोबहां पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. जिसपर कभी भी कोई भी अनहोनी होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. कई वर्षों से क्षतिग्रस्त हो चुकी इस पुल पर विभाग की नजर नहीं है और ना ही किसी जनप्रतिनिधि इस पुल के बारे में सोचता है. ग्रामीण खुद चंदा इक्टठा कर बनाते कामचलाऊ पुल बनाते हैं.

बेतिया
पुल जर्जर

पश्चिम चंपारण (बेतिया): जिले में कई वर्षों से सिकटा प्रखंड के धनकुटवा पंचायत के नरकटिया गांव और बैशखवा पंचायत के झकरा गांव को जोड़ने वाली सड़क के बीचो-बीच बनी यह धोबहां पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त पड़ा है. जिसे लेकर प्रशासन आंख मूंदे सोया रहता है. जबकि इस पुल पर कई बार हादसे भी हो चुके हैं. लेकिन प्रशासन की कान पीड़ितों के चीख पुकार को नहीं सुनती है. ग्रामीम जान जोखिम में डाल कर रोजाना के कामों के लिए इस पुल से आर-पार होते हैं.

प्रशासन को जानकारी देने के बावजूद अभी तक कोई काम नहीं हुआ
वहीं, इस बाबत नाराज ग्रामीणों का कहना है कि जब भी बाढ़ आता है इस पुल के दोनों तरफ का एप्रोच पथ पानी में बह जाता है. इस साल भी तीन बार सिकटा प्रखंड में बाढ़ आया. बाढ़ की विभीषिका में नरकटिया से मरीज को घाट पर लादकर गांव से बाहर लाया जाता था. जिसकी जानकारी हमने ब्लॉक को भी दी थी. अधिकारी पुल का जायजा लेते हैं और चले जाते. कभी कोई प्रशासनिक अधिकारी ने इस पुल की मरम्मत के लिए पहल नहीं की है. प्रशासनिक विभाग ग्रामीणों को अपने हाल पर छोड़ कर चले जाते हैं.

बेतिया में पुल जर्जर, जोखिम उठाकर आर-पार करते हैं राही

जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट लेने आते हैं
ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव भी बीत गया लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने इस पुल पर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद हम लोगों ने चंदा इकट्ठा कर खुद से इस पुल का एप्रोच पथ भरने का काम किए ताकि रोजाना के कामों को करने के लिए आसानी हो सके. वो कहते हैं अभी किसानों के गन्ना ले जाने का समय है. लेकिन किसान जान जोखिम में डालकर अपना गन्ना ले जाते हैं. डर लगा रहता है कि कहीं कोई बड़ा हादसा ना हो जाए. लेकिन हमारी कोई सुनता ही नहीं है.

हर साल बाढ़ की भेंट चढ़ जाता है एप्रोच पथ
बता दें कि इस पुल का एप्रोच पथ हर साल बाढ़ की भेंट चढ़ जाता है और आसपास के लोग आपस में चंदा इकट्ठा कर इस पुल को चलने लायक बनाते हैं. दोनों पंचायतों के ग्रामीणों का आरोप है कि इसके लिए कई बार प्रशासन को सूचना दी गई कि पुल और एप्रोच पथ का निर्माण किया जाए. लेकिन कोई भी अधिकारी इस पर ध्यान नहीं देता. जिससे यहां के ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति काफी आक्रोश व्याप्त है।

Last Updated : Dec 15, 2020, 3:46 PM IST
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