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45 साल से निशुल्क शिक्षा की अलख जगा रहे हैं रामेश्वर ठाकुर, शिव मंदिर प्रांगण में चलता है ये गुरुकुल

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Published : Apr 16, 2022, 5:41 PM IST

गुरुकुल में पढ़ाने वाले 70 वर्षीय रामेश्वर ठाकुर
गुरुकुल में पढ़ाने वाले 70 वर्षीय रामेश्वर ठाकुर

पश्चिमी चंपारण जिले के रामनगर में 70 वर्षीय बुजुर्ग 45 वर्षों से निशुल्क शिक्षा (Free education system in Bagaha) देते आ रहे हैं. आसपास के गरीब लड़के लड़कियां यहां बाल वर्ग से तीसरी कक्षा तक शिक्षा ग्रहण करते हैं. रामनगर के शिव मंदिर प्रांगण में गुरुकुल संचालित करने के लिए जमीन मुहैया कराई गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गुरुकुल में बच्चों की नींव मजबूत होती है और यहां उनकी तीन पीढ़ियां पढ़ चुकी हैं. पढ़ें पूरी खबर..

पश्चिमी चंपारण: पश्चिमी चंपारण में रामनगर के शिव मंदिर प्रांगण में गुरुकुल संचालित (Gurukul in Shiva temple premises of Ramnagar) होता है, जहां आज पढ़ रहे बच्चों के दादा और पापा समेत तीन पीढ़ियां नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं. दरअसल, रामनगर राजदरबार के तरफ से वर्ष 1972 में मंदिर प्रांगण में ही गुरुकुल के लिए एक कमरा दिया गया था, जहां बाल वर्ग से तीसरी कक्षा तक के बच्चों का निःशुल्क भविष्य संवारा जाता है.

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बगहा में निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था: गुरुकुल में पढ़ाने वाले 70 वर्षीय रामेश्वर ठाकुर (70 Year Old Guru Rameshwar Thakur) का कहना है कि जून 1972 से वह बच्चों को संस्कृत और अंग्रेजी समेत सभी विषयों का ज्ञान देते आ रहे हैं. यहां निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था राज दरबार की तरफ से शुद्ध वातावरण में किया गया है, ताकि देश के कर्णधारों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराई जा सके और शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ रखते हुए बच्चों के भविष्य को संवारा जा सके. गुरुकुल के गुरुजी बताते हैं कि बच्चे सेवा शुल्क के रूप में कुछ दें दे तब भी ठीक और ना दें तब भी वो शिक्षा का अलख आजीवन जगाते रहेंगे.

कई पीढ़ियों को पढ़ा चुके रामेश्वर ठाकुर: वहीं, आसपास के जो गरीब बच्चे इस गुरुकुल में पढ़ने आते हैं उनके अभिभावकों का कहना है कि मात्र 1 रुपया शुल्क देकर उन लोगों ने भी यहीं से ककहरा सीखा है और आज महंगाई के दौर में उनके बच्चे भी नाम मात्र के खर्च में बड़े-बड़े स्कूलों से बेहतर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. परिजनों का कहना है कि उनकी तीन से चार पीढ़ियां इन्हीं गुरुजी के शिष्य रह चुके हैं.

बच्चों के पढ़ने का सपना हो रहा साकार: कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि जहां आज के दौर में निजी विद्यालयों में पढ़ाई काफी महंगी है और बच्चों पर बस्ते का बोझ बढ़ता जा रहा है. साथ ही सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में किस कदर गिरावट आई है, वैसे समय में इस गुरुकुल में ना तो बस्ते का बोझ दिखता है और ना ही पढ़ाई पर कोई खर्च है. लिहाजा यहां बच्चों की नींव नि:शुल्क मजबूत हो रही है और दर्जनों गरीब असहाय बच्चों के पढ़ने का सपना साकार हो रहा है.

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