सूद के पैसे के लिए महिला ने नाबालिग को शख्स को सौंपा.. गर्भवती होने के बाद खुला मामला, कोर्ट ने दोनों को सुनाई उम्रकैद की सजा

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Published : Apr 22, 2022, 8:45 PM IST

व्यवहार न्यायालय वैशाली

हाजीपुर कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में अहम फैसला सुनाया है. दो लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. केस के बाद पीड़िता के बच्चे और आरोपी का डीएनए टेस्ट करवाया गया था. जिसके बाद खुलासा हुआ कि नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था. कोर्ट ने इस आधार पर फैसला सुनाया. पढ़ें रिपोर्ट..

वैशालीः हाजीपुर व्यवहार न्यायालय में नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले का फैसला आया है. जिसमें अदालत ने दो लोगों को उम्र कैद की सजा (Hajipur Court Sentenced Two People to Life Imprisonment) सुनाई है. दोनों दोषियों को अंतिम सांस तक सलाखों के पीछे रहने का अदालत द्वारा आदेश दिया गया है. एडीजे 6 व विशेष न्यायाधीश पोक्सो आशुतोष कुमार झा की अदालत ने सजा की बिंदु पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया है. मामले में सरकार की ओर से केस की पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में आरोपी संजीव पासवान और उसकी सहयोगी संगीता देवी को अंतिम सांस तक उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत सजा सुनाई गई है.

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2020 में मामला हुआ था दर्जः स्पेशल पीपी मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि उम्र कैद के साथ संजीत पासवान को 1 लाख के अर्थदंड की सजा भी सुनाई गई है. अर्थदंड की राशि नहीं देने पर 1 वर्ष की सजा का प्रावधान है. वहीं संगीता देवी को 50 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है. जिसकी राशि नहीं देने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा का प्रावधान रखा गया है. स्पेशल पीपी मनोज कुमार शर्मा ने आगे बताया कि 15 अक्टूबर 2020 को महिला थाना में मामला दर्ज किया गया था. इस से छह-सात माह पहले ही बच्ची के साथ कई बार दुष्कर्म किया गया था. संजीत पासवान सूद लेनदेन का काम करता था. जिसमें सूद के पैसे वसूलने के लिए उसके साथ संगीता देवी रहती थी. संगीता देवी ने अपने बेटी की 15 वर्षीय सहेली को बहला-फुसलाकर संजीत पासवान के कमरे में बंद कर दिया था. जिसके बाद बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया.

डीएनए टेस्ट से हुआ खुलासाः दुष्कर्म के छह सात महीने के बाद जब बच्ची का शरीर फूलने लगा तो उसकी चाची ने उससे सवाल जवाब किया. जिसके बाद मामला सामने आया. मनोज कुमार शर्मा ने आगे बताया कि नाबालिग बच्ची ने एक शिशु को जन्म दिया था. जिसका डीएनए टेस्ट हुआ. रिपोर्ट से साबित हो गया कि आरोपी संजीत पासवान ही शिशु का बायलॉजिकल पिता है. इस मामले में कुल 9 गवाहों की गवाही करवाई गई थी. जिसमें डीएनए रिपोर्ट का अहम योगदान रहा, उन्होंने आगे बताया कि सूद के पैसे की लालच में संगीता देवी द्वारा यह घिनौनी हरकत की गई थी. अदालत ने अपने फैसले में पीड़िता को 10 लाख रुपये कंपन्सेशन की राशि जिला विधिक सहायता केंद्र को देने का फैसला सुनाया है. इसके साथ ही 15 लाख रुपए शिशु के नाम से फिक्स करने का भी आदेश दिया है.

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