सोनपुर मेले पर प्रतिबंध के बावजूद पापड़ी की डिमांड बरकरार.. लजीज स्वाद के दीवाने हैं लोग

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Published : Dec 4, 2021, 3:52 PM IST

Famous Papdi of Sonpur

वैसे तो सोनपुर का हरिहर क्षेत्र मेला (Harihar Kshetra Fair In Vaishali) एशिया में पशु मेले के लिए विख्यात रहा है लेकिन, यहां कई ऐसी भी चीजें हैं जो काफी मशहूर हुई हैं. इन्हीं में से एक नाम है, पापड़ी का. पापड़ी कितना मशहूर है इसका अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि, इसे मेले की मिठास भी कहा जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

वैशाली: सोनपुर मेला एशिया का सबसे प्रसिद्ध पशुओं का मेला है. लेकिन कोरोना के कारण अब भी मेले में लगा प्रतिबंध (Ban on Sonepur Fair) हटाया नहीं गया है. इस मेले की कई चीजें इसे खास बनाती हैं. एक खास तरह की पापड़ी (Famous Papdi of Sonpur) के लिए भी यह मेला पूरे देश में मशहूर है. यहां मिलनेवाली खास तरह की पापड़ी के शौकीन लोग पूरे साल पापड़ी का इंतजार करते हैं. सोनपुर मेला लगते ही पापड़ी खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ती है.

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कोरोना ने सोनपुर मेले की सारी रौनक खत्म कर दी है. दुकानदारों को लगा था कि, इस बार प्रशासन की ओर से सदियों पुराने हरिहर क्षेत्र मेला लगाने की इजाजत मिल जाएगी. लेकिन मेला लगाने की अनुमति सरकार ने नहीं दी. सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा के दौरान स्नान की इजाजत श्रद्धालुओं को दी गई थी. मेला न लगने से दुकानदारों में मायूसी है, वहीं पापड़ी की मांग आज भी बरकरार रहने से खुशी भी है.

सोनपुर मेले की पापड़ी है मशहूर

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सोनपुर वासियों की मांग के बावजूद सोनपुर मेला इस बार नहीं लगाया जाएगा. स्थानीय प्रमोद कुमार बताते हैं कि जब भी कोई नेता सोनपुर से गुजरता है उनसे वो लोग यह सवाल पूछते हैं कि, जब पूर्णिमा स्नान में लोगों की भीड़ होगी तो, मेला क्यों नहीं लगेगा. वहीं सोनपुर मेले की पापड़ी कितनी मशहूर है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, जो भी लोग सोनपुर आते हैं वो, पापड़ी खरीदना नहीं भूलते हैं. यही कारण है कि इसे मेले की मिठास भी कहा जाता है. ज्यादातर मेला घूमने वाले लोग यहां की पापड़ी जरूर खरीदते हैं ताकि, अपने घर वालों को खिला सकें और रिश्तेदारों के बीच भी बांट सकें.

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कई लोग पूरे साल सोनपुर मेला का सिर्फ इसलिए इंतजार करते हैं कि, मेला आएगा और वह मेले की मशहूर पापड़ी खरीद पाएंगे. हालांकि कोरोना गाइडलाइन (Corona Guidelines For Sonepur Fair) को देखते हुए सरकारी तौर पर सोनपुर मेले को लगाने की पाबंदी है. बावजूद स्थानीय लोगों के सहयोग से मेला काफी हद तक गुलजार हो चुका है.

मेले के कई मशहूर बाजार लग चुके हैं जिसमें, पापड़ी बाजार 40% तक मौजूद है. मेले की मिठास 'पापड़ी' के कई प्रकार हैं. इनको बनाने में ज्यादातर बेसन, मैदा, ड्राई फ्रूट, दूध, घी, रिफाइंड तेल, सूजी आदि का प्रयोग होता है. पापड़ी की अलग-अलग वैरायटी होती है. जिसमें मियां पापड़ी सबसे ज्यादा मशहूर है. मियां पापड़ी चांद के आकार का बना होता है. इसकी कीमत 160 से लेकर 400 रुपये तक होती है.

सोनपुर मेले की पापड़ी लजीज होने के कारण फेमस है और इसके दाम भी अलग-अलग है. सोनपुर की पापड़ी की कीमत इस प्रकार से है. सुपर पापड़ी 160 रुपये किलो, पापड़ी स्पेशल 220 रुपये, पापड़ी खास 400 रुपये किलो बिकता है. वहीं खजूर स्पेशल 160 रुपये किलो, चांद खजूर 120 रुपये किलो, सूजी खजूर 140 रुपये किलो बिक रही है.

मेले की पापड़ी के साथ ही कई अन्य मिठाईयां भी लोगों को खूब पसंद आती है. यहां का मशहूर सोहन हलवा 120 रुपये से लेकर 200 रुपये किलो तक बिकता है. मसूरी मिठाई के भी कई प्रकार हैं. यह भी 120 से लेकर 400 रुपये किलो तक बेचे जाते हैं. अमूमन 10 फीट की दुकान सजाने में दुकानदार को दो लाख के करीब की पूंजी लगती है. मेले के दौरान न सिर्फ पूंजी निकल जाती है बल्कि, फायदा अलग से होता है. हालाकि इस बार दुकानदारों में निराशा है. पापड़ी की ब्रिकी में कोई फर्क नहीं पड़ा है. इस बार ज्यादातर लोगों ने पापड़ी की दुकान ही लगाई है.

पापड़ी बनाने के खास एक्सपर्ट्स होते हैं. इन मिठाई कारीगरों को उत्तर प्रदेश और किशनगंज से बुलाया जाता है. पापड़ी बेच रहे रंजीत साह ने बताया कि,'इस बार उम्मीद थी कि, मेला लगेगा जिसकी तैयारी करके आए थे. लेकिन मेला हल्का फुल्का लगा है. लोग काफी कम आ रहे हैं.'

वहीं पापड़ी के शौकीन मोहम्मद हिदायतुल्लाह उल्ला ने बताया कि, सोनपुर मेले में जो लोग भी आते हैं, वह पापड़ी जरूर लेकर जाते हैं. इसको मेले की मिठाई कहा जाता है. मेले से जाने के बाद अपने रिश्तेदारों को भी बांटते हैं. इसकी मिठास पूरे देश में मशहूर है.

कोविड-19 को देखते हुए बिहार सरकार ने इस बार सोनपुर मेला नहीं लगाने का फैसला सुनाया है. बावजूद स्थानीय लोगों के सहयोग से सोनपुर मेला आंशिक रूप से गुलजार हो गया है. मेले के कई मशहूर चीजें भी मेले में दिखनी शुरू हो गई हैं. जिसमें से एक पापड़ी भी है. मेले में सरकारी व्यवस्था नहीं होने से खरीदार की भारी कमी दिख रही है. ऐसे में यह मेला कितने समय तक गुलजार रह पाएगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन फिलहाल इतना कहा जा सकता है कि स्थानीय लोगों के साथ साथ मेला घूमने आने वाले भी काफी खुश नजर आ रहे हैं.

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