सीतामढ़ी: जिले में अधवारा समूह बागमती नदी, झीम नदी और लखनदेई नदी का जलस्तर जहां कम हो रहा है, वहीं बाढ़ पीड़ितों का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए अब तक स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सामने नहीं आए हैं. घरों में पानी घुस जाने के बाद लोग ऊंचे स्थानों पर बसेरा बनाए हुए हैं. वहीं कुछ लोग खुले आसमान के नीचे रहने को भी मजबूर हैं.
NH-77 पर कईं परिवार रहने को मजबूर
सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर NH-77 गढ़ा गांव के समीप 12 से अधिक परिवार सड़क के किनारे पन्नी का आशियाना बनाकर रहने को मजबूर है. वहीं लेग अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर खुले आसमानों के नीचे बीते 15 दिनों से रह रहे हैं. अब तक कोई स्थानीय जनप्रतिनिधि इनकी सुध लेने नहीं आया हैं. लोगों का कहना है कि बाढ़ के पानी के कारण घर डूब गया है. वहीं घरों में रखा सामान भी बुरी तरह बर्बाद से तबाह हो गया है. सत्रोहन महतो ने बताया कि वे और उनका परिवार खाने का मोहताज हो गया है. वह एक छोटी सी पन्नी में 10 लोगों के साथ रहने को मजबूर है.
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
सड़क के किनारे रह रहे बाढ़ पीड़ित परिवारों के साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. NH-77 पर 100 से अधिक संख्या में गाड़ियां चलती है. इस दौरान सड़क के किनारे रह रहे इन परिवारों के साथ भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
किसानों के सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद
जिले में बाढ़ के पानी से किसानों के सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गया है. बाढ़ का पानी फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर चुका है. वहीं किसान जिला प्रशासन और सरकार से मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं.