शेखपुराः मोबाइल पर पॉर्न देखकर सामूहिक दुष्कर्म करने वाले 4 आरोपी बच्चे गिरफ्तार, भेजे गए बाल सुधार गृह

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Published : Mar 11, 2022, 5:09 PM IST

शेखपुरा दुष्कर्म केस

शेखपुरा में दो बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. सभी बच्चे 10 से 12 साल के हैं. पुलिस के मुताबिक एक बच्ची की दादी ने थाने में मामला दर्ज कराया था. आरोपियों ने भी अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा कि दुष्कर्म (Gang Rape) से पहले सभी ने मोबाइल पर पॉर्न वीडियो देखा था. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

शेखपुराः शेखपुरा में दो बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म मामले के 4 आरोपियों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है. चारों लड़कों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. पूछताछ के दौरान सभी 4 आरोपियों ने कहा कि पहले सभी ने एक साथ मोबाइल पर पॉर्न वीडियो देखा था. उसके बाद दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. गुरुवार को तीन आरोपियों को उनके घरवालों ने कोर्ट में सरेंडर कराया. एक अन्य आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया.

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10 से 12 साल के थे सभी आरोपीः थानाध्यक्ष जयशंकर मिश्रा ने बताया कि घटना में शामिल सभी लड़के 10 से 12 साल के हैं, जबकि दोनों बच्चियां 8 साल की हैं. पुलिस निरीक्षक ने बताया कि घटना के संबंध में सोमवार 7 मार्च को देर शाम पीड़िता की दादी ने केस दर्ज कराया था. दोनों बच्चियों को मेडिकल जांच के लिए शेखपुरा भेजा गया है. पकड़े गए दोनों आरोपी बच्चों को कोर्ट में पेश किया जा रहा है.

आरोपी बच्चों ने पुलिस को दिया बयानः आपको बताएं कि चार आरोपियों ने पुलिस को बयान दिया है कि पिछले कई दिनों से हम लोग सभी दोस्त साथ मिलकर ऑनलाइन पॉर्न वीडियो देखा करते थे. सोमवार को हम लोगों ने वीडियो देखा. सोमवार शाम खेत की ओर गए तो वहां देखा दो बच्चियां साग तोड़ रही थीं. हम लोगों ने उनको उठा लिया और बारी-बारी से दोनों के साथ दुष्कर्म किया. उसके बाद जब दोनों बच्चियां रोने लगीं, तो एक बच्ची के हाथ में 5 रुपए पकड़ा दिए और कहा कि किसी को कुछ मत बताना.

बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर सामने आया मामलाः जानकारी दें कि शेखपुरा (Crime in Shiekhpura) जिले के बरबीघा थाना क्षेत्र की यह घटना है. उसी गांव के 6 किशोरों ने खेत में साग तोड़ने गई 8-9 साल की दो बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म (Molestation with two Minor Girls) किया. इस घटना के बाद दोनों बच्चियां अपने घर लौट आईं थीं. उनमें से एक बच्ची की तबीयत बिगड़ गई. पीड़िता के परिजनों ने जब उससे पूछताछ की तो उन्हें इस घटना की जानकारी हुई. इसके बाद लड़के और लड़कियों के परिजनों के बीच मारपीट की नौबत आ गई. ग्रामीण स्तर पर मामले को मैनेज करने की कोशिश की जाने लगी.

दादी ने की थाने में शिकायतः एक पीड़ित बच्ची की दादी ने हिम्मत दिखाते हुए पुलिस को इस घटना की जानकारी दे दी थी. इसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए गांव जाकर दो आरोपी को पकड़ा. थाने में पूछताछ के दौरान दोनों ने अपना अपराध कबूल करते हुए कहा कि उनलोगों ने मोबाइल में देखकर इसे सीखा है. वहीं, बच्चियों से जब थाने की महिला पीएसआई ने पूछताछ की तो उसने बताया कि दोनों साग तोड़ने खेत में गई थीं. तभी 6 बच्चों ने उसके साथ ऐसा किया. जब दोनों रोने लगीं तो उन लड़कों ने उसे 5 रुपये दिये और कहा कि किसी को कुछ मत बताना.

इस रिपोर्ट को भी जानेंः बिहार में बच्चों में पॉर्न देखने की लत तेजी से बढ़ी है. इसका जिम्मेदार कहीं हद तक मोबाइल है, जो उन तक आसानी से पहुंच जाता है. इसे डिजिटल क्रांति का दुष्प्रभाव (Side Effects of Digital Revolution) ही कहेंगे, क्योंकि कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों तक यह और ज्यादा आसानी से पहुंच गया है. इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट भी है कि दुनिया भर में 10 से 19 साल के बच्चों में पॉर्न एडिक्शन बढ़ा है. दुनिया के कई देश इसको लेकर अपने स्तर पर कदम उठा रहे हैं और 2015 में भारत में पॉर्न को बंद कर दिया गया. लेकिन, अभी भी अश्लील, नग्न और पॉर्न कंटेंट इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हैं.

आसानी से उपलब्ध है पॉर्न कंटेंट: पीएमसीएच के सायक्रेटी विभाग के जूनियर डॉक्टर अंकित कुमार ने बताया कि अभी के समय में बहुत सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म आ गए हैं, जिस पर खुलेआम नग्नता दिखाई जाती है. ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन लेने के लिए भी एक गाइडलाइन होती है, जिसके लिए 18 प्लस होना अनिवार्य है. लेकिन, ज्यादातर देखा गया है कि लोग अपने मोबाइल में अश्लील कंटेंट को डाउनलोड कर लेते हैं और मोबाइल बच्चों के हाथों में थमा देते हैं. 8 से 18 साल की उम्र तक के बच्चे हर चीज को एक्सप्लोर करना चाहते हैं.

''अभी के समय एक ऐसी सोसाइटी बन गई है, जहां हर कोई अपने मोबाइल में व्यस्त है. पेरेंट्स अपने मोबाइल में व्यस्त हैं और बच्चे उन्हें परेशान ना करें, इसलिए बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा दिए हैं. पहले बच्चे फील्ड में खेला करते थे, लेकिन आज के समय बच्चे अपने माता-पिता की निगरानी में अधिक रह रहे हैं. घर में ही रह रहे हैं लेकिन मोबाइल और टीवी से चिपके रहते हैं. मोबाइल देखते-देखते बच्चे उसमें आ रहे हर कंटेंट को खोलते हैं और जब पॉर्न कंटेंट की तरफ बच्चे चले जाते हैं तो उन्हें इसकी एडिक्शन हो जाती है.''- डॉक्टर अंकित कुमार, जूनियर चिकित्सक, सायक्रेटी विभाग पीएमसीएच

डिजिटल क्रांति का दुष्प्रभाव: पटना पीएमसीएच (Patna PMCH) के मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि यह डिजिटल क्रांति का दुष्प्रभाव है. डिजिटल क्रांति से बहुत विद्रोही पर्यावरण तैयार हो रहा है और वह समझते हैं कि आने वाले दिनों में समाज के सभी मानक टूट जाएंगे. संचार युग में विकास की रफ्तार ने पारिवारिक संरचनाओं के सामाजिक संस्कार और नियम जो भी थे उन सभी को ध्वस्त कर दिया है. इसे अब नियंत्रित कर पाना मुश्किल है. हाथ में विचार और आत्म अनुशासन जो परिवार की धरोहर होते हैं, वह सभी टूट रहे हैं. हर आदमी किसी भी काम को बिना सोचे करने पर उतारू होते जा रहा है.

''डिजिटल क्रांति होने की वजह से बाहर के आकर्षण इतने अधिक हो गए हैं कि बच्चे उस तरफ खींचे चले जा रहे हैं. वह चाहते हैं कि जितने भी ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं उनके लिए सरकार कुछ नियम बनाएं, ताकि अश्लीलता रोकी जा सकें. लड़के और लड़कियों में एक निश्चित उम्र के बाद हार्मोनल प्रवाह बहुत ज्यादा होने लगता है. लड़कियों में लड़कों से थोड़ा पहले होने लगता है. जब लड़के और लड़कियां प्यूबर्टी गेन कर रहे होते हैं, उस समय उनका रुझान सेक्स के प्रति बहुत अधिक होता है.''- डॉक्टर नरेंद्र प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष, मनोचिकित्सा विभाग पीएमसीएच

इंटरनेट के निगेटिव एस्पेक्ट्स से रहे सावधान: डॉक्टर नरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज डिजिटल मीडिया से विकास की क्रांति और आर्थिक क्रांति की बात कही जा रही है, लेकिन बच्चों को इसमें आर्थिक क्रांति से विशेष मतलब नहीं होता है. बच्चों के लिए मोबाइल एक मनोरंजन का साधन भर होता है और यह एक मनोरंजन का साधन होकर के विध्वंसक रूप में हमारे सामने आ रहा है. मोबाइल और इंटरनेट के अच्छे और बुरे दोनों एस्पेक्ट्स हैं, लेकिन अगर बच्चों का हित चाहते हैं तो निगेटिव एस्पेक्ट्स को अधिक ध्यान में रखना होगा. अगर डिजिटल क्रांति के दौर में सब कुछ चाहते हुए विकास चाहते हैं तो यह इन्वायरमेंट सहना होगा.

बच्चों को लग रही मोबाइल की लत: वर्तमान में परिवार के जो स्ट्रक्चर थे वह टूट रहे हैं. माता-पिता भी डिजिटल क्रांति की गिरफ्त में हैं और बच्चों से अधिक समय मोबाइल स्क्रीन पर दे रहे हैं. बच्चों को चुप कराने के लिए हाथ में मोबाइल थमा दे रहे हैं और बच्चों को मोबाइल की आदत लग जा रही है. जब बच्चों को कोई क्या देख रहे हैं क्या नहीं देख रहे हैं रोकने टोकने वाला नहीं होगा तो बच्चों का मन भागेगा ही और इन्हीं सब चीजों की तरफ ध्यान आकर्षित होगा. बच्चे जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं और मोबाइल पर आए हुए हर लिंक को खोल कर उसे देखना और जानना चाहते हैं. ऐसे में कई बार अश्लील कंटेंट को भी वह खोल लेते हैं और धीरे-धीरे वह इसके आदी हो जाते हैं.

बच्चों को पॉर्न एडिक्शन से ऐसे रखें दूर: अगर बच्चों को पॉर्न की लत से बचाना है, तो पेरेंट्स को सबसे पहले बच्चे की परेशानी को समझना होगा. कहीं बच्चा अकेलापन तो महसूस तो नहीं कर रहा है या फिर किसी तरह का डिसऑर्डर तो नहीं हो गया है. बच्चों को समझाना होगा कि यह एक तरह की बीमारी है, इससे बचना चाहिए. यह बैड हैबिट्स में आता है. अगर बच्चों में पॉर्न की लत लग गई है, तो इससे बचने के लिए थैरेपी बेस्ट विकल्प है. बच्चों में पॉर्न की लत मानसिक बीमारियों की वजह बन सकती है. कई बार बच्चे, टीचर्स और पेरेंट्स एक दूसरे के साथ ऐसे मुद्दों पर बात करने में कंफर्टेबल नहीं रहते हैं. ऐसी स्थिति में थेरेपिस्ट या मेडिकल प्रोफेशनल से काउंसलिंग करा सकते हैं. इससे उन्हें पॉर्न से दूर रहने में मदद मिल सकती है.

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