छपरा (सारण): बिहार के छपरा में खनुआ नाला के विस्थापित दुकानदारों ने विरोध प्रदर्शन किया. आज बुधवार को दुकानदारों ने काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन किया और मौन जुलूस निकाला गया. बता दें कि एनजीटी के आदेश के बाद नाले पर बनी दुकानों को जिला प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया है. इससे करीब 330 दुकानदारों के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है. वहीं इसके बाद सभी दुकानदार आंदोलनरत हैं.
छपरा में दुकानदारों का प्रदर्शन: प्रदर्शन कर रहे दुकानदारों का कहना है कि हमने अतिक्रमण कर दुकानें नहीं बनाई है. हमको नगर निगम प्रशासन के द्वारा बकायदा दुकान बना कर आवंटित की गई थी. हम अभी तक बकायदा नगर निगम को किराया दे रहे थे. दुकानों को तोड़े जाने के बाद हम लोग सड़क पर आ गए हैं. हम और हमारा परिवार के सामने भुखमरी की नौबत पर आ गई है. हम जिला प्रशासन से मांग करते हैं कि दुकानदारों को रोजगार के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए और हमे मुआवजा दिया जाए.
डीएम की पहल पर बनी थी दुकानें: छपरा के खनुआ नाला पर तत्कालीन जिलाधिकारी आरके श्रीवास्तव के द्वारा लगभग 330 दुकानों का निर्माण कर उसे दुकानदारों को आवंटित कर दिया था. इसके बाद तब से यहां पर 330 दुकानदार इन दुकानों से अपनी आजीविका चला रहे थे. इसके बाद नाला के ऊपर दुकानों के बनने से खनुआ नाला का प्रवाह रुक गया. पूरे छपरा शहर में भीषण जल जमाव शुरू हो गया. इसके बाद इसको मुद्दा बनाकर कुछ लोग नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चले गए.
नाला जाम हुआ तो प्रशासन ने चलवा दिया बुलडोजर: खनुआ नाला पर एनजीटी ने इस पर बनी सभी 330 दुकानों को तोड़ने का आदेश दे दिया. वहीं जिला प्रशासन ने पिछले 2 साल के अंदर खनुआ नाला पर बनी सभी 330 दुकानों को तोड़कर धराशाही कर दिया. इसके बाद इन दुकान के दुकानदारों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन और आंदोलन किया जा रहा है. इनका कहना है कि हमें दुकान बना कर दी जाए.
"हमने अतिक्रमण कर दुकानें नहीं बनाई है. हमको नगर निगम प्रशासन के द्वारा बकायदा दुकान बना कर आवंटित की गई थी. इसका नगर निगम को किराया दे रहे थे. जिला प्रशासन से हमारी मांग है कि दुकानदारों को रोजगार के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए और हमे मुआवजा दिया जाए." -शिव अनुग्रह सिंह दुकानदार
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